वैश्विक महामारी एवं कुछ प्रशासनिक अस्थिरता के कारण विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर पड़ा भारी प्रभाव

वैश्विक महामारी एवं कुछ प्रशासनिक अस्थिरता के कारण विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर पड़ा भारी प्रभाव

जे टी न्यूज़

पटना : बयालीस नये अध्ययन केंद्र स्थापित। बीएड की मान्यता बहाल करने हेतु एनसीटीई से पत्राचार। अगले सत्र से दर्जनों नये कोर्स शुरू करने की तैयारी। नैक से मान्यता के लिए यथावश्यक प्रयास शुरू। शिक्षा विभाग, बिहार सरकार से अन्य विश्वविद्यालयों के भांति, नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के लिए भी (एक्ट में प्रावधानित) बजट आवंटन की मांग हेतु बजट का प्रेषण। सभी शिक्षकों एवं कर्मियों को सातवें वेतनमान के साथ नियमित कर्मियों के पचास प्रतिशत एरियर का भुगतान। नालंदा खुला विश्वविद्यालय के चार महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद, यथा, कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव एवं कुलसचिव (परीक्षा) के द्वारा विश्वविद्यालय गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विगत दो-तीन वर्षों में वैश्विक महामारी एवं कुछ प्रशासनिक अस्थिरता से विश्वविद्यालय गतिविधियों पर भारी प्रभाव पड़ा है। अब जबकि इस विश्वविद्यालय को लगभग सभी पदों पर एक निश्चित अवधि के लिए पदाधिकारियों की उपलब्धता हो गयी है, विश्वविद्यालय में प्रायः लंबित एवं प्रशासनिक निर्णय में तीव्रता आयी है, जिसका परिणाम यह है कि पिछले छः: माह में अवरूद्ध कार्य पटरी पर आ चुके हैं। यहां यह बताया जाना आवश्यक है कि, वर्तमान कुलपति, प्रोफेसर के० सी० सिन्हा ने 20 अगस्त 2021 को, डॉ० घनश्याम राय ने, कुलसचिव के पद पर, 19 अगस्त 2021 को, प्रति कुलपति के पद पर प्रोफेसर संजय कुमार ने, 25 नवंबर 2021 को योगदान दिया। इस अल्पकालिक अवधि में कतिपय महत्वपूर्ण निर्णयों में उल्लेखनीय है कि, सत्र 2021-2022 में नामांकन दाखिला की प्रक्रिया जुलाई, 2021 के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ थी। आरंभ में नामांकन प्रक्रिया काफी धीमी गति से चल रही थी, जिसे गति प्रदान करने के लिए सभी यथावश्यक निर्णय को चुनौती के साथ स्वीकार करने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित की गई।

नालंदा खुला विश्वविद्यालय एक स्ववितपोषित संस्था है, जिसका अवलंबन नामांकन की संख्या पर निर्भर करता है, तदनुरूप यह विश्वविद्यालय अपने व्यय भार को सहन करने में सक्षम होता है। लॉकडाउन के कारण नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के स्टडी सेंटर जो बिहार और झारखंड राज्य में स्थापित है, उनके बीच ज़मीन स्तर पर संवाद एवं उनके समन्वय स्थापित करने में परिस्थितिक कठिनाइयों से गुजरना पड़ा, संवाद के सार्थक प्रयास दिशाहीन हो गये थे, जिन्हें प्रशासनिक निर्णय के तहत जीवंत किया गया। समय पर नामांकित विद्यार्थियों को पाठ्य सामग्री, काउन्सेलरों , लेखकों, समन्वयकों, परीक्षकों, अध्ययन केन्द्रों का निर्धारित मानदेय तीन साल से बकाया था, उसे नियमित करने में कामयाबी मिली है और जो लंबित है उसे भी शीघ्र पूरा करने का सार्थक प्रयास जारी है। परिस्थितिवश सत्र की विलंबता के कारण विधार्थियों में निराशा की स्थिति होना लाजिमी था, किन्तु उसे भी युद्ध स्तर पर पूरा किया गया और शेष के लिए भी लगातार कोशिश की जा रही है।

कुलपति प्रोफेसर के सी सिन्हा के शीघ्र कार्य निष्पादन से, बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से नये अध्ययन केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पर तीव्रता से स्वीकृति प्रदान की गई तदनुरूप छह महीनों के दौरान बिहार के सुदूरपूर्व पिछड़ा इलाकों में बयालीस नये अध्ययन केंद्र स्थापित किए गए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डॉ घनश्याम राय द्वारा कुलपति के आदेश से छतीस महाविद्यालयों में अध्ययन केन्द्र स्थापित करने हेतु निरीक्षण सह उद्घाटन किया गया। डॉ राय द्वारा स्थापित किए गए अध्ययन केन्द्रों पर संगोष्ठी, परिचर्चा, जागरूकता कार्यक्रम, नालंदा खुला विश्वविद्यालय की प्रासंगिकता के संदर्भ में आयोजित की गई। सरकार की महत्वाकांक्षा के अनुसार बिहार में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए नालन्दा खुला विश्वविद्यालय की अहम भूमिका रही है और है भी। ऐसे महत्वाकांक्षी विचार को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एन ओ यू द्वारा व्याख्यान दिया गया। महात्मा फुले, रामास्वामी पेरियार, बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ राममनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जननायक कर्पूरी ठाकुर, शहीद जगदेव प्रसाद आदि क विचारों के परिप्रेक्ष्य में नालंदा खुला विश्वविद्यालय की भूमिका विषय पर व्याख्यान आयोजित किए गए। कुलपति प्रोफेसर सिन्हा के नेतृत्व में पहली बार सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में अध्ययन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया। बिहार के सुदूर पूर्व पिछड़ा क्षेत्रों में स्थित बारह संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में अध्ययन केन्द्र स्थापित किए गए।

बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त इच्छुक शिक्षण संस्थानों में अध्ययन केन्द्र स्थापित करने हेतु प्रस्ताव पर अध्ययन केंद्र स्थापित करने हेतु सरकार से पत्राचार कर दिशानिर्देश की मांग की गई। एन ओ यू के 1995 के एक्ट में संशोधन हेतु दिशानिर्देश पर संशोधन हेतु सुझाव दिए गए। दूर शिक्षा पद्धति पर आधारित विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा से वंचित विद्यार्थियों को, डिस्टेंस मोड में शिक्षा प्राप्त करने हेतु सुदूरपूर्व क्षेत्रों में स्टडी सेंटर के माध्यम से मुख्य धारा से जोड़ना संभव हुआ। समाज का वह तबका जो आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर है, गृहणी,दिव्यांग, कामकाजी, महिलाएं आदि डिस्टेंस मोड से अध्ययन कर डिग्री प्राप्त करें। एन ओ यू के 1987 के स्थापना काल से कांसिलिंग क्लास और परीक्षा, बिस्कोमॉन भवन, पटना में स्थित प्रशासनिक मुख्यालय में आयोजित की जाती रही है। परिणामस्वरूप बिहार के सुदूर पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक सामाजिक रूप से कमजोर, दिव्यांग, गृहणी, कामकाजी लोगों ने एन ओ यू में नामांकन लेना बंद कर दिया। कुलपति द्वारा प्रमंडल और जिला स्तर पर भी कांसिलिंग क्लास और परीक्षा केंद्र संचालित करने का आश्वासन दिया गया। विदित हो इग्नू का बिहार में मात्र सत्रह जिलों में अध्ययन केंद्र है। जबकि एन ओ यू का बिहार के सभी जिलों में पहले से अध्ययन केंद्र स्थापित है। इग्नू विधार्थियों को सुविधा हेतु जिला स्तर पर परीक्षा केंद्र आयोजित करता रहा है। परिणामस्वरूप आर्थिक रुप से कमजोर, गृहिणी, दिव्यांग, कामकाजी लोग अधिकाधिक संख्या में नामांकन लेते हैं। इग्नू में तमाम फैक्लटी विधिवत कार्यरत है। भारत सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। एन ओ यू, अपने आन्तरिक श्रोत से ही अपने सभी प्रकार के व्ययों का वहन करता है।

एन ओ यू द्वारा नामांकित विद्यार्थियों को, न्यूनतम नामांकन राशि की प्राप्ति से ही उन्हें पाठ्य सामग्री, उनका काउन्सलिंग एवं परीक्षा कराया जाना सुनिश्चित होता है, इसके लिए नामांकित विधार्थियों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है। विधार्थियों की सुविधा हेतु पहली बार ऑनलाइन कौंसिलिंग क्लास की शुरूआत की गई है। कुलपति स्वयं गणित का ऑनलाइन क्लास लेकर विधार्थियों की समस्याओं का समाधान कर रहें हैं। बिहार सहित देशभर के छात्र ऑनलाइन क्लास कर रहें हैं। ई-कंटेट, ई-लर्निंग, ई-लाइब्रेरी,ई-परीक्षा आदि को सुगमतापूर्वक लागू करने का कार्य किया जा रहा है।

विधार्थी घर बैठे नामांकन,फार्म, पाठ्य सामग्री, परीक्षा, सर्टिफिकेट आदि प्राप्त करेंगे। इस दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। एन ओ यू बिहार हीं नहीं संपूर्ण देश में डिस्टेंस मोड में अधिकाधिक विधार्थियों को नामांकन कराने का प्रयास करेगा ताकि बिहार के सकल नामांकन अनुपात को एक वृहत स्वरुप प्रदान किया जा सके, जो अभी मात्र चौदह प्रतिशत के करीब है। वही देश में सकल नामांकन अनुपात सताइस प्रतिशत है जिसे वर्ष 2035 तक पचास प्रतिशत तक लक्ष्य पूरा करने का है। एन ओ यू द्वारा आगामी सत्र से बहुउपयोगी दर्जनों नये पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने की तैयारी की जा रहा है। नैक से एक्रीडेशन के लिए प्रतिकुलपति प्रोफेसर संजय कुमार के दिशानिर्देश में तैयारी शुरू कर दी गई है। विश्वविद्यालय में सेमिनार, कॉफ्रेंस, वर्कशॉप, सिम्पोजियम, ट्रेनिंग आदि कार्यक्रम विषयानुसार आयोजित करने हेतु परामर्शी और संचालन समिति का गठन किया गया है।

Related Articles

Back to top button