“रेड बुक्स डे” के अवसर पर पिपुल्स लिट्रेचर सेंटर ने कम्युनिस्ट घोषणा पत्र का किया सामुहिक पाठ

“रेड बुक्स डे” के अवसर पर पिपुल्स लिट्रेचर सेंटर ने कम्युनिस्ट घोषणा पत्र का किया सामुहिक पाठ


जे टी न्यूज़ ————————-

पटना : आज “रेड बुक्स डे” के अवसर पर पिपुल्स लिट्रेचर सेंटर (जमाल रोड, पटना) पर कम्युनिस्ट घोषणा पत्र का सामुहिक पाठ किया गया।
” रेड बुक्स डे ” का स्पष्ट संदेश है कि मार्क्सवादी और प्रगतिशील पुस्तकों का अध्ययन किया जाय और दूसरों को प्रोत्साहित भी ।स्वाध्याय आदमी को परिपुर्णता प्रदान करता है।अध्ययन के बगैर हम क्रान्ति की कठिन राहों पर चलते चलते थक जायेंगे ।लक्ष्य अधूरा ही रह जायेगा।पुस्तकें हमारे दिमाग को रौशन करती हैं।संगठन और आन्दोलन दोनों के लिये अध्ययन वैसा ही है जैसे दिन के लिये सुरज का उगना पहली शर्त है। आज इन्टरनेट के जमाने में युवाओं में अध्ययन के प्रति अरुची तारी है।उनका अधिकांश समय facebook, Whatsapp,Instagram,youtube etc. खा जाते है।बहुत सारी जानकारियाँ google हमें दे देता है, सही है।फिर भी पुस्तकों का विकल्प यह google कतई नहीं हो सकता।हाँ फौरी जानकारी के लिये यह सहायक अवश्य है पर समग्रता के लिये हमें किताबों से दोस्ती ही करनी होगी।किताबें हमें सिखाती हैं कि हम अपनी जिन्दगी को बेहतर तरीके से कैसे जियें, अपने हक अधिकार की लडा़ई कैसे लडे़,संघर्ष के लिये जनता को संगठित कैसे करें, संघर्ष को फतहयाब कैसे बनाये।

सभी ने अध्ययन के महत्व को समझाया है।लेनिन , मार्क्स , अम्बेडकर , पेरियार , रविदास, कबीर आदि सभी ने। शोषित पीड़ित अवाम के लिये, भटकते बेरोजगार नौजवानों के लिये, उत्पीडि़त महिलाओं के लिये, फटेहाल मजदूरों के लिये, नीले आकाश के नीचे भूखे सोने वालों के लिये,नंगे बदन वालों के लिये, कूपोषित बच्चों के लिये और कहूँ तो अपने लिये और एक खूबसूरत दुनिया के लिये हमें पढ़ना ही होगा।
जी हाँ, पढ़ना ही होगा, अन्यथा मांजिल की राहों से भटकने का खतरा हमेशा बना रहेगा। आइये इस ” रेड बुक्स दिवस ” पर हम किताबों से दोस्ती का संकल्प लें।

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