आत्मा अमर है, शरीर पहले भी नहीं था और आगे भी नहीं रहेगा

आत्मा अमर है, शरीर पहले भी नहीं था और आगे भी नहीं रहेगा

सत्संग ही मौत को मोक्ष में बदलने की कला सिखाता है, हार को जीत में बदलने की कला सिखाता है: राजेश कुमार गौतम

जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

ठाकुर अनुकूल चंद्र जी सद्गुरु हैं, उनकी कृपा से ही हमारा आपका विकास संभव है। उनके सत्संग में शामिल होने,उनकी दीक्षा ग्रहण कर उनकी नीति विधि का पालन करने वाले नर-नारियों का मंगल ही मंगल होता है। उक्त बातें नालंदा शेखपुरा ऑनलाइन सत्संग को संबोधित करते हुए राजेश कुमार गौतम दादा ने शनिवार को कही। साथ ही उन्होंने कहा कि सत्संग में हमें ज्ञानयोग से बुधि मिलती है। सत्संग पाकर मनुष्य परम वैभव को प्राप्त करता है। सद्गुरु की कृपा से ही विकास संभव है। उन्होंने कहा कि सत्संग ही मौत को मोक्ष में बदलने की कला सिखाता है, हार को जीत में बदलने की कला सिखाता है। श्री गौतम दा ने कहा कि ठाकुर जी बोले हैं कर्म को भक्ति में और भक्ति को कर्म में लगाओ। गलत संगति से विनाश होता है। संत संगति से सत्संग मिलता है।

उन्होंने कहा है कि गुरुमंत्र जीव और ईश्वर के बीच संबंध जोड़ने वाली कड़ी है। मंत्र दीक्षित साधक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। दीक्षा के बाद जीव को नवजीवन मिलता है। गुरु के सत्संग से आत्मसाक्षात्कार होता है। आत्मा अमर है। शरीर पहले भी नहीं था और आगे भी नहीं रहेगा।
सत्संग में आने से पुण्य मिलता है। दीक्षित साधक कभी दुःखी नहीं होता। सामाजिक जीवन में सफलता हेतु किसी की निंदा न करें। साथ ही दूसरों के सुख से दुखी न हों। एक-दूसरे के प्रति निंदा, ईर्ष्या एवं द्वेष से बचें।
??जय गुरु!??

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