*भीख मांगने की बात सरासर झूठ*

*भीख मांगने की बात सरासर झूठ*

 

 टी न्यूज़

समस्तीपुर:: समस्तीपुर जिले को बदनाम करने और सदर अस्पताल के माफिया तत्वों द्वारा जिला प्रशासन को बदनाम करने के उद्देश्य एक वीडियो वायरल किया जाना कहीं ना कहीं पत्रकारिता जगत को भी बदनाम करने की साजिश है या पत्रकारिता के नाम पर अधिकारी और कर्मचारी को भयदोहन करने जैसा मामला प्रतीत होता है. समस्तीपुर जिले के एक वीडियो धड़ल्ले से वायरल किए जा रहें हैं. ऐसे पत्रकारों से मैं यह जानना चाहता हूं की सदर अस्पताल में रिश्वत लेने और देने की कोई नई परंपरा नहीं है क्योंकि स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष और सचिव के संज्ञान में लाने की दिशा में इसके पहले कोई व्यक्ति या कोई जिले का पत्रकार जिला प्रशासन या सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को लिखित या मौखिक रूप से सूचना दी है. बात यह कोई बड़ा चैनल से लेकर छोटे अखबार के मालिक क्या करना उनही हिसाब से बड़े अखबार से छोटे अखबार तक सत्ता के गुणगान , एनडीए सरकार के खिलाफ कुछ लिखने और पढ़ने से अपना मुंह मोड़ लेते हैं और केवल विपक्ष पर प्रश्न उठाते रखते हैं.

 

 

अधिकांश पत्रकार कहीं ना कहीं किसी निजी क्लीनिक मे अपना बिजनेस के रूप में एक्स रे मशीन ,ब्लड जांच घर या किसी न किसी डॉक्टर के चक्कर में प्रकार सिविल सर्जन को परेशान करने के उद्देश्य पुख्ता सबूत के साथ कोई भी खबर नहीं लगाते हैं. एक मामला 6 जून 2022 का है एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुसरीघरारी थाना एक लावारिस शव को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था. जिसकी पहचान नहीं होने के कारण 3 दिनों तक सदर अस्पताल में बढ़त स्टोर करके रखा गया. शायद बिहार की पुलिस पहली बार इतना तीव्र गति से जिले के सभी थाना को लावारिस लाश की सूचना दी और इस संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशन किया गया था इन सभी के फलस्वरूप जानकारी मिली थी मृतक ताजपुर थाने के अंतर्गत गांव कसवेआहार वार्ड नंबर 2 का रहने वाला जिसका नाम संजीव ठाकुर पिता महेश ठाकुर है.

 

 भी चर्चा है कि इसके संबंधी सदर अस्पताल आए और पोस्टमार्टम हाउस के लिए चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी नागेंद्र मल्लिक से संजीव ठाकुर का शव मांगा. परंतु किसी ने मालिक द्वारा मांगे गए अवैध राशि की शिकायत ना तो सिविल सर्जन से किया और ना ही बिहार पुलिस के दरोगासे, जो अस्पताल में कंटीन्यूअस रहते हैं या सिक्योरिटी गार्ड या डिप्टी सुपरिंटेंडेंट सदर अस्पताल समस्तीपुर से की. और ना ही ताजपुर स्थित किसी जनप्रतिनिधि से की और ना ही जिला प्रशासन को रिश्वत मांगने की कोई शिकायत की. ऐसा देखा जाता है की लावारिस लाशों को प्रशासन बड़ी मुस्तैदी से शव का निपटारा करती है.

मेरे समझ से ऐसे खबर चलाने से पहले एक बार जिला प्रशासन को संज्ञान में देना चाहिए. मैंने लगातार इस तरह के नजाज हरकतों के खिलाफ जिला प्रशासन सरकार राज्य और केंद्र सरकार को किसी न किसी माध्यम से संज्ञान में देने का काम करते रहे हैं. जिला प्रशासन को चाहिए . पत्रकार के वेश अपराधियों को मदद पहुंचाने का काम करता हो, ऐसे लोगों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. अगर मृतक के परिवार समस्तीपुर मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर जाकर अपने पुत्र के शव को ले जाने के लिए भीख मांगने का काम किया है यह बड़ी निंदनीय. जिस पंचायत के मृतक हैं उस पंचायत के वार्ड कमिश्नर से लेकर मुखिया पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए या उस थाने के थानेदार से लेकर वीडियो और सीईओ पर भी कार्रवाई होनी चाहिए अन्यथा ऐसी घिनौना वीडियो वायरल करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इस बीच समस्तीपुर के प्रभारी जिलाधिकारी विनय कुमार राय और और सैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी समस्तीपुर संजय कुमार चौधरी ने कल रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटना को गंभीर बात बताते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर 9 तारीख को जांच रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया है इस कमेटी के अध्यक्ष समस्तीपुर के नव पदस्थापित डीडीसी बनाया जाए. प्रभारी जिलाधिकारी विनय कुमार राय ने कहां है कि किसी भी हालत में जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद दोषीयों लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन पर कानून सम्मत मामले भी दर्ज किए जा सकते हैं. समस्तीपुर में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो जनता के सीरियस मामले से ध्यान भटकाने के लिए दिन प्रतिदिन नए-नए घटनाओं प्रतिघटना को सोशल मीडिया पर वायरल कर ध्यान भटकाने में लगे.ऐसे लोगों चिन्हित करने की आवश्यकता है.

 

 

मैं यह जानना चाहता हूं की सदर अस्पताल में रिश्वत लेने और देने की कोई नई परंपरा नहीं है क्योंकि स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष और सचिव के संज्ञान में लाने की दिशा में इसके पहले कोई व्यक्ति या कोई जिले का पत्रकार जिला प्रशासन या सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को लिखित या मौखिक रूप से सूचना दी है. बात यह कोई बड़ा चैनल से लेकर छोटे अखबार के मालिक क्या करना उनही हिसाब से बड़े अखबार से छोटे अखबार तक सत्ता के गुणगान , एनडीए सरकार के खिलाफ कुछ लिखने और पढ़ने से अपना मुंह मोड़ लेते हैं और केवल विपक्ष पर प्रश्न उठाते रखते हैं. अधिकांश पत्रकार कहीं ना कहीं किसी निजी क्लीनिक मे अपना बिजनेस के रूप में एक्स रे मशीन ,ब्लड जांच घर या किसी न किसी डॉक्टर के चक्कर में प्रकार सिविल सर्जन को परेशान करने के उद्देश्य पुख्ता सबूत के साथ कोई भी खबर नहीं लगाते हैं. एक मामला 6 जून 2022 का है एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुसरीघरारी थाना एक लावारिस शव को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था. जिसकी पहचान नहीं होने के कारण 3 दिनों तक सदर अस्पताल में बढ़त स्टोर करके रखा गया. शायद बिहार की पुलिस पहली बार इतना तीव्र गति से जिले के सभी थाना को लावारिस लाश की सूचना दी और इस संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशन किया गया था इन सभी के फलस्वरूप जानकारी मिली थी मृतक ताजपुर थाने के अंतर्गत गांव कसवेआहार वार्ड नंबर 2 का रहने वाला जिसका नाम संजीव ठाकुर पिता महेश ठाकुर है. यह भी चर्चा है कि इसके संबंधी सदर अस्पताल आए और पोस्टमार्टम हाउस के लिए चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी नागेंद्र मल्लिक से संजीव ठाकुर का शव मांगा. परंतु किसी ने मालिक द्वारा मांगे गए अवैध राशि की शिकायत ना तो सिविल सर्जन से किया और ना ही बिहार पुलिस के दरोगासे, जो अस्पताल में कंटीन्यूअस रहते हैं या सिक्योरिटी गार्ड या डिप्टी सुपरिंटेंडेंट सदर अस्पताल समस्तीपुर से की. और ना ही ताजपुर स्थित किसी जनप्रतिनिधि से की और ना ही जिला प्रशासन को रिश्वत मांगने की कोई शिकायत की. ऐसा देखा जाता है की लावारिस लाशों को प्रशासन बड़ी मुस्तैदी से शव का निपटारा करती है. मेरे समझ से ऐसे खबर चलाने से पहले एक बार जिला प्रशासन को संज्ञान में देना चाहिए. मैंने लगातार इस तरह के नजाज हरकतों के खिलाफ जिला प्रशासन सरकार राज्य और केंद्र सरकार को किसी न किसी माध्यम से संज्ञान में देने का काम करते रहे हैं. जिला प्रशासन को चाहिए . पत्रकार के वेश अपराधियों को मदद पहुंचाने का काम करता हो, ऐसे लोगों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. अगर मृतक के परिवार समस्तीपुर मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर जाकर अपने पुत्र के शव को ले जाने के लिए भीख मांगने का काम किया है यह बड़ी निंदनीय.

 

जिस पंचायत के मृतक हैं उस पंचायत के वार्ड कमिश्नर से लेकर मुखिया पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए या उस थाने के थानेदार से लेकर वीडियो और सीईओ पर भी कार्रवाई होनी चाहिए अन्यथा ऐसी घिनौना वीडियो वायरल करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इस बीच समस्तीपुर के प्रभारी जिलाधिकारी विनय कुमार राय और और सैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी समस्तीपुर संजय कुमार चौधरी ने कल रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटना को गंभीर बात बताते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर 9 तारीख को जांच रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया है इस कमेटी के अध्यक्ष समस्तीपुर के नव पदस्थापित डीडीसी बनाया जाए. प्रभारी जिलाधिकारी विनय कुमार राय ने कहां है कि किसी भी हालत में जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद दोषीयों लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन पर कानून सम्मत मामले भी दर्ज किए जा सकते हैं. समस्तीपुर में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो जनता के सीरियस मामले से ध्यान भटकाने के लिए दिन प्रतिदिन नए-नए घटनाओं प्रतिघटना को सोशल मीडिया पर वायरल कर ध्यान भटकाने में लगे.ऐसे लोगों चिन्हित करने की आवश्यकता है.

Related Articles

Back to top button