राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दलों का महामंथन जरूरी

जे टी न्यूज़

दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कैसा हो इस पर तमाम विपक्षी दलों को गंभीरता से विचार करना चाहिए । क्योंकि राष्ट्रपति का पद ऐसा होता है , जो देश और दुनिया समेत अपने देश व राज्यों में अहम भूमिका निभाने की क्षमता रखता है । इसलिए इस सर्वोच्च पद के लिए एक प्रखर और विद्वान व्यक्तित्व की आवश्यकता है , ना कि किसी ऐसे व्यक्ति जो हमारे संविधान की मूल भावनाओं के प्रति गैर जिम्मेदार हो और संविधान तथा लोकतंत्र को तार तार करने वाली किसी दल का रवर स्टाम्प जैसा हो । वर्तमान राष्ट्रपति दलित वर्ग से आते हैं और संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष भी दलित वर्ग के थे । जो देश को ब्रिटिश हुकूमत से मिली आजादी के बाद विभिन्न धर्म , जाति , संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का काम किए ।

उन्होंने अनेकता में एकता को ही देश की विशेषता माना । लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति आज तक एक भी संविधान विरोधी करवाई पर उंगली नहीं उठाई या भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय को संविधान के दायरे में काम करने के लिए दबाव नहीं दिया । उल्टे देश के अधिकांश केंद्रीय विश्वविद्यालय में आरक्षण और रोस्टर की समाप्ति कर केवल रुपया कमाने की गोरख धंधा करने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों को संरक्षण देने का काम करते रहे । पूरा देश अराजकता से परेशान, कृषि प्रधान देश भारत के अन्नदाता 13 महीने तक सड़कों पर अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे । परंतु राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने वाले रामनाथ कोविद अन्नदाताओं के पक्ष में कोई आदेश या निर्देश देना उचित नहीं समझा । इस तरह के व्यक्तियों को राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठाना देश हित में नहीं होगा ।

अप्पन पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव ने तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं से अपनी शिकवा शिकायत भूल कर एक मजबूत धर्मनिरपेक्ष और संवैधानिक रूप से निर्णय लेने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने का आह्वान किया है । ताकि पूरे देश में आर एस एस कैलेंडर को लागू करने वालों को काबू में किया जा सके । उम्मीदवारी में ऐसे लोगों से बचना होगा जो विश्वविद्यालय में आकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति को क्लीन चिट देता हो । दर्जनों शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किया जाना , कोई जांच-पड़ताल नहीं होने का प्रश्नवाचक चिन्ह लगाता हो। महामहिम राष्ट्रपति केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सह राष्ट्रपति के पद पर होते हैं. परंतु जिस कम्युनिटी से आए हैं राष्ट्रपति महोदय , उन्हीं के कम्युनिटी पर पूरे देश में अत्याचार की भी घटनायें कई गुना अधिक बढ़ी है । परंतु कोई कार्रवाई नहीं किया जाना क्या माना जाएगा कि कहीं ना कहीं ऐसे पद पर बैठे लोगों का इस तरह का भेद भाव , अत्याचार और निर्धनता से कुछ लेना-देना नहीं है ।

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