जो लोग जीवंत ईश्वर माता-पिता व गुरु को छोड़कर मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारे का चक्कर लगाते रहते हैं,वही धोखे के अधिकारी होते हैं: श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी
जो लोग जीवंत ईश्वर माता-पिता व गुरु को छोड़कर मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारे का चक्कर लगाते रहते हैं,वही धोखे के अधिकारी होते हैं: श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी
जेटी न्यूज
डी एन कुशवाहा
रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- युग पुरुषोत्तम परमप्रेममय श्रीश्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी ने चलार साथी ग्रंथ के वाणी संख्या-4, पृष्ठ संख्या 8, शीर्षक-“प्रकृति का धिक्कार” में ठाकुर जी ने प्रत्येक पुरुष और नारी को आगाह करते हुए कहते हैं कि जो लोग करणीय कर्म को छोड़कर इधर-उधर भटकता है, अपने कार्य को सही से नहीं करता है, अपना कर्म- धर्म नहीं समझता है, वही धोखे के अधिकारी होते हैं। जैसे एक विद्यार्थी पढ़ाई के समय में सही से पढ़ाई नहीं करें, गलत दोस्तों के संगति में रहे, एक किसान समय से अपने खेत में हल नहीं चलाएं, बीज नहीं बोए, समय से फसल नहीं काटे, एक माता- पिता बच्चे को छोटी उम्र से अच्छे संस्कार ना दे, शिक्षा दीक्षा नहीं दिलवाए, लालन पालन सही ढंग से नहीं करें, डॉक्टर अपने पेशेंट के साथ सही व्यवहार ना करें, एक दुकानदार ग्राहक के साथ सही से पेश नहीं आए, माता-पिता हमेशा आपस में झगड़ा करें, हाथ में आए अवसर को समझ ना पाए, स्वास्थ्य सदाचार का ख्याल नहीं रखें, शादी विवाह देख सुनकर नहीं करें, सुंदर संतान घर में कैसे आए, उसकी व्यवस्था ना करें, बड़े बुजुर्गों को अवज्ञा करके चलते रहे, हर हमेशा मनमानी करें, जो मन में आए वही करें और प्रत्यक्ष को छोड़कर परोक्ष का आलिंगन करें। वैसे लोगों को प्रकृति धिक्कारती है।
ऐसे लोग जीवन में दर-दर की ठोकरें खाते रहते हैं, आज वहां कल वहां जाते हैं, पर मन में शांति नहीं आती है। जीवंत ईश्वर माता-पिता और गुरु को छोड़कर मंदिर मस्जिद और ,गुरुद्वारे का चक्कर लगाते रहते हैं। प्रकाश को छोड़कर अंधकार की ओर भागते रहते हैं। वैसा मानव अपने जीवन में दु:ख ही दु:ख पाता है। सुख पाने के लिए व तरक्की करने के लिए ठाकुर जी द्वारा बताए गए मार्ग पर हर इंसान को चलना होगा एवं ठाकुर जी की दीक्षा लेकर उनकी नीति-विधि का पालन करना होगा। तभी हम बचेंगे और बढ़ेंगे।आज जरूरत है ठाकुर जी के बताए गए मार्गों पर चलकर अपने घर को ही मंदिर बनाने की।