जीविका केडर को खानी पड़ रही दर-दर की ठोकर पदाधिकारियों की मनमानी चरम पर

जीविका केडर को खानी पड़ रही दर-दर की ठोकर पदाधिकारियों की मनमानी चरम पर


जे टी न्यूज़

मधेपुरा: उदाकिशुनगंज प्रखंड के स्वशक्ति सीएलएफ लक्ष्मीपुर का मामला प्रकाश में आया है अजुला देवी सीएम पद पर कार्यरत थे। उसे मनमानी से उसे हटा दिया जाता है इस तरह सीसी ऐसी भी अपना चुप्पी साधे रहते हैं जिस तरह महिला का सम्मान जीविका में सरकार की तरफ से दिया जाता है लेकिन नीचे पदाधिकारियों अपने मनमानी से केडर को हटाने में लगे रहते हैं केडर अगर किसी भी चीज का खिलाफ उठाते हैं तो उसे पद से हटा दिए जाने का धमकी दिया जाता है इस तरह का मामला कई बार स्वशक्ति के अंतर्गत आते रहता है जो कुछ पदाधिकारी भी इस पर अपना चुप्पी साधे रहते हैं जो इस तरह अगर मनमानी होते रहेंगे तो जीविका का क्या हालत होगा इससे पूर्व भी बीके लनेहलता देवी को भी पद से हटा दिया गया था जो इस तरह का मामला सीएलएफ के अंतर्गत आते रहते हैं इस तरह होते रहेंगे तो जीविका किसी भरोसे का नहीं रह पाएंगे इसी तरह से अजुला देवी को सीसी, एसी ,एमबीके के द्वारा पद से हटा दिया जाता है इस कि जानकारी सीएमअंजूला देवी को प्राप्त नहीं होता है अंजुला देवी सीएलएफ में सीएम बैठक में पहुंचती है

तो उसे बैठक से बाहर सीसी,एसी, एमबीके कर दिया जाता है बाद में पता चलता है की सीसी राहुल कुमार गुप्ता के द्वारा मंजुला देवी को हटा दिया जाता है क्या जीविका में सीसी, ऐसी, एमबी अपने मनमानी करते हैं तो इस पर अगले पदाधिकारियों का भी किसी भी तरह का संज्ञान अभी तक नहीं आया है इस मामले को चार महीना लगभग बीत चुका है जो अभी तक कुछ देखने को नहीं मिला है जब इस तरह का संज्ञान पता चला तो वहां दीदियों से बातचीत किया गया तो दीदी ने बताई की सीएम का पद ग्राम संगठन में तय किया जाता है कि सीएम कौन होगा इसकी जानकारी सभी एसएचजी के तीनों पदाधिकारियों एवं सभी सदस्यों के निर्णय के अनुसार तय किया जाता है तो फिर सीएलएफ से क्यों हटाया दिया जाता है इस तरह का बहाली अगर सीएलएफ के अंतर्गत नहीं किया जाता है तो फिर क्यों हटा दिया जाता है अगर एसएचजी दीदियों को जब किसी भी काम में कोताही का सामना करना पड़ता है तो तब उस पर संज्ञान लिया जाता है ग्राम संगठन के द्वारा ग्राम संगठन के बाद सीएलएफ इस पर विचार विमर्श कर उस दीदी का निर्णय बीओडी सदस्य के द्वारा किया जाता है

अगर जीविका में किसी भी केडर अगर काम नहीं करते हैं तो क्या सीएलएफ बिना बीओडी बैठक के उस दीदी को हटा दिया जाएगा इस तरह का होता रहेगा तो एसएचजी दीदियों को डिकेते होते रहेंगे तब जिविका से किसी भी कर्ज में कोताही होते हैं तो उस पदाधिकारी उस पर अपना कर्ज किस तरह निफ्तारा करते होंगे यह तो भगवान भरोसे रह गए हैं।

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