सबसे ज्यादा नौकरी छीनने वाले प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी

सबसे ज्यादा नौकरी छीनने वाले प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी

सबसे ज्यादा नौकरी छीनने वाले प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी

जेटीन्यूज़

समस्तीपुर/नई दिल्ली: देश के पीएम मोदी जी ने अपने अबतक के कार्यकाल में चार करोड़ से भी ज्यादा नौकरियां खा चुके हैं. प्रो. अरुण कुमार का कहना है कि कहा जा रहा है कि हमारी अर्थव्यवस्था छह या पाँच प्रतिशत की रफ़्तार से भी बढ़ रही है. लेकिन वास्तव में आर्थिक विकास दर पांच, छह या सात प्रतिशत नहीं है बल्कि यह शून्य प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, क्योंकि असंगठित क्षेत्र के आंकड़े इसमें शामिल ही नहीं किए जाते हैं. जबकि सबसे असंगठित क्षेत्र ही प्रभावित हुआ है. जिस दिन आप असंगठित क्षेत्र के आंकड़े उसमें जोड़ लेंगे तो पता लग जाएगा कि विकास दर शून्य या एक प्रतिशत है.
पांच तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर 8 फीसदी से गिरकर 6 फीसदी पर पहुंच गई है. प्रो. अरुण कुमार का कहना है कि वास्तव में अर्थव्यवस्था की विकास दर ‘5 फीसदी से भी कम है क्योंकि जो तिमाही विकास दर के आंकड़े हैं, वो संगठित और कॉर्पोरेट सेक्टर पर आधारित होते हैं.

असंगठित क्षेत्र को इसमें पूरी तरह शामिल नहीं किया जाता और ये मान लिया जाता है कि असंगठित क्षेत्र भी उसी रफ़्तार से बढ़ रहा है, जिस रफ़्तार से संगठित क्षेत्र.’ जबकि चारों तरफ से खबरें हैं कि कपड़ा उद्योग, कांच उद्योग, चमड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में कारखाने बंद हो गए हैं. इसका मतलब है कि यह आंकलन गलत है कि असंगठित क्षेत्र, संगठित क्षेत्र की ही रफ्तार से काम कर रहा है.
पहले सरकार ने नोटबंदी लागू की, जिसने छोटे उद्योगों और असंगठित क्षेत्र के उद्यमों की कमर तोड़ दी. फिर आठ महीने बाद जीएसटी लागू हो गई. उसके बाद बैंकों के एनपीए का असर पड़ा. इन सबके बाद ग़ैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संकट ने असर डाला. तीन साल में अर्थव्यवस्था को बड़े-बड़े झटके लगे, जिनकी वजह से बेरोजगारी बढ़ गई.सरकार ने जीएसटी लागू की तो क़रीब 1.2 करोड़ लोगों ने जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन सिर्फ़ 70 लाख लोग जीएसटी फाइल करते हैं. जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से 1400 से अधिक बदलाव किए गए हैं. इससे उलझन बहुत बढ़ी है. लोग जीएसटी फाइल नहीं कर पा रहे हैं.
तो कुल मिलाकर नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों से अर्थव्यवस्था को जबरदस्त धक्का लगा है.
कुल मिलाकर 2024 का चुनाव पीएम मोदी के लिए खतरे की घंटी है सूत्रों की मानें तो मोदी अपने जादू को 2024 में बरकरार नहीं रख पाएंगे इसकी संभावना ज्यादा है ।

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