4 दिनों तक चलने वाले आस्था के सबसे महान पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई व सूर्य षष्ठी पूजा आदि नामों से जाना जाता है: सर्वेश पाण्डेय

4 दिनों तक चलने वाले आस्था के सबसे महान पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई व सूर्य षष्ठी पूजा आदि नामों से जाना जाता है: सर्वेश पाण्डेय
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- आस्था के सबसे महान पर्व के संबंध में जिले के प्रकांड विद्वान व मधुमालत नया टोला माधोपुर तन सरैया भाया तुरकौलिया पूर्वी चंपारण के मशहूर वेदाचार्य, साहित्याचार्य, ज्योतिषाचार्य, वास्तु शास्त्र एवं कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य सर्वेश पाण्डेय ने एक भेंटवार्ता के दौरान गुरुवार को कहा कि 4 दिनों तक चलने वाले आस्था के सबसे महान पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई व सूर्य षष्ठी पूजा आदि नामों से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल षष्ठी व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा का प्रथम दिन 28 अक्टूबर को है।छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाए खाए के साथ हो जाती है।

इस दिन व्रत रखने वाले स्नान आदि कर नए वस्त्र धारण करते हैं और अरवा भोजन करते हैं। व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के अन्य सदस्य भोजन करते हैं। वहीं सिमुलतला विद्यालय जमुई के अतिथि शिक्षक तथा रामगढ़वा के शहीद अरविंद नगर भटिया गांव निवासी आचार्य मुकेश पाण्डेय ने कहा कि छठ पूजा का द्वितीय दिवस 29 अक्टूबर खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन व्रत रखा जाता है 29 दिन सांयकाल के समय एक बार भोजन ग्रहण करते हैं, इसे खाना कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चावल व गुड़ की खीर बनाकर खाई जाती है।

चावल का पीठा या घी लगी हुई रोटी ग्रहण करने के साथ ही प्रसाद रूप में भी वितरित की जाती है। उक्त दोनों विद्वानों ने संयुक्त रूप से कहा कि छठ पूजा का तृतीय दिवस 30 अक्टूबर सायंकालीन अर्ध्य, कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं। इस दिन व्रती संध्या के समय किसी नदी या तालाब पर जाकर पानी में खड़ा होकर डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देते हैं। और रात भर जागरण करते हैं। वही ज्योतिष शिरोमणि व चंपारण के मशहूर ज्योतिषाचार्य तथा रामगढ़वा के बेला गांव एवं रक्सौल निवासी आचार्य उमेश पाठक ने कहा कि श्रद्धा भक्ति के साथ छठ व्रत करने वाले व्रतियों की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्री पाठक ने कहा कि श्रद्धा भक्ति से छठ व्रत करने वाले वैसे छठ व्रती जिनको वंश नहीं है उनको छठी मैया की कृपा से वंश की प्राप्ति होती है। जिनके घर में रोगी होता है वह निरोग हो जाता है। यही कारण है कि बिहार, नेपाल सहित देश के कई राज्यों में श्रद्धा भक्ति के साथ लोग छठ व्रत करते हैं। श्री पाठक ने कहा कि आज विश्व के कई देशों में रह रहे भारतीय छठ व्रत करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आस्था के इस महान पर्व को बहुत मुस्लिम समुदाय के लोग भी करते हैं।

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