गोपाष्टमी एवं अक्षय नवमी के अवसर पर नवकठवा हनुमान मंदिर सह शनिदेव के मंदिर में नवग्रह शांति पूजन का किया गया आयोजन

गोपाष्टमी एवं अक्षय नवमी के अवसर पर नवकठवा हनुमान मंदिर सह शनिदेव के मंदिर में नवग्रह शांति पूजन का किया गया आयोजन
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- राहु और केतु की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो राहु के फेर में व्यक्ति के साथ अचानक होने वाली घटनाएं बढ़ जाती है। घटना-दुर्घटनाएं, होनी-अनहोनी और कल्पना-विचार की जगह भय और कुविचार जगह बना लेते हैं। उक्त बातें चंपारण के मशहूर ज्योतिषाचार्य एवं रामगढ़वा के बेला व रक्सौल निवासी उमेश पाठक ने गोपाष्टमी एवं अक्षय नवमी के अवसर पर नवकठवा हनुमान मंदिर सह शनिदेव के मंदिर में नवग्रह शांति पूजन के अवसर पर कही। वही सिमुलतला विद्यालय के अतिथि शिक्षक डॉ बाल किशोर तिवारी ने कहा कि राहु के फेर में आया व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज हो जाता है। राहु ऐसे व्यक्ति की तरक्की रोक देता है। राहु का खराब होना अर्थात् दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है।

राहु के खराब होने से गुरु भी साथ छोड़ देता है। श्री तिवारी ने कहा कि राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छे होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। सामान्य रूप से पुलिस या प्रशासन में इससे प्रभावित लोग अधिक होते हैं। इस अवसर पर केतु की मार के संबंध में संबोधित करते हुए आचार्य मनोज पाण्डेय उर्फ मृत्युंजय पाण्डेय ने कहा कि जो व्यक्ति वाणी और मन से नीच है और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का शिकार बन जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की सारी गतिविधियां रुकने लगती हैं।


नौकरी, धंधा, खाना और पीना सभी बंद होने लगता है। ऐसा व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं सो पाता। उसकी रात की नींद हराम हो जाती है, लेकिन दिन में सोकर वह जीवन के सभी सार्थक कार्यों से दूर होता जाता है। केतु के खराब होने से व्यक्ति पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पत्ति में रुकावट और गृहकलह से ग्रस्त रहता है। केतु के अच्छा होने से व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख उठाता है और रात की नींद चैन से सोता है। वही शनि की मार पढ़ने से होने वाले नुकसान के संबंध में बताते हुए सिमुलतला विद्यालय के अतिथि शिक्षक एवं रामगढ़वा के अरविंद नगर भटिया गांव निवासी आचार्य मुकेश पाण्डेय ने कहा कि पराई स्त्री के साथ रहना, शराब पीना, मांस खाना, झूठ बोलना, धर्म की बुराई करना या मजाक उड़ाना, पिता व पूर्वजों का अपमान करना और ब्याज का धंधा करना प्रमुख रूप से यह सात कार्य शनि को पसंद नहीं। उक्त में से जो व्यक्ति कोई-सा भी कार्य करता है शनि उसके कार्यकाल में उसके जीवन से शांति, सुख और समृद्धि छीन लेते हैं

 व्यक्ति बुराइयों के रास्ते पर चलकर खुद बर्बाद हो जाता है। शनि वह सर्प हैं जिसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु तय है। श्री पांडे ने कहा कि शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी। शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। बाल और नाखून मजबूत होते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता है। श्री पाण्डेय ने कहा कि यह अनुष्ठान पलनवा थाना क्षेत्र के बहुअरवा गांव (वर्तमान दिल्ली)निवासी सुरेंद्र सिंह ने अपने छोटे पुत्र के मंगल एवं पूरे परिवार के ग्रह निवारण हेतु कराया गया। जिसमें 2 दिनों तक 17 ब्राह्मण देवों के द्वारा अनुष्ठान किया गया।

मौके पर झून्ना पाण्डेय, अशोक ओझा, प्रहलाद मिश्रा, संजीव मिश्रा, राधेश्याम मिश्रा, जिवेशवर मिश्रा, संजय तिवारी, भाग्य नारायण तिवारी, सुमित मिश्रा,अमित मिश्रा, विजय पाण्डेय, अजय पाण्डेय, वेदाचार्य सर्वेश पाण्डेय, यजमान सुरेंद्र सिंह, सचिन कुमार, गुड्डू सिंह, खुशबू कुमारी, अशोक कुमार सिंह, रानी देवी, पूजा देवी, सीमा देवी, निक्की देवी, रंभा देवी तथा चिंता देवी सहित सुरेंद्र सिंह के परिवार के अन्य सदस्य गण उपस्थित थे।

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