राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के रोग नियंत्रण निदेशक प्रमुख ने सिविल सर्जन को जारी किया है पत्र

राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के रोग नियंत्रण निदेशक प्रमुख ने सिविल सर्जन को जारी किया है पत्र

जेटी न्यूज़

बक्सर :- कोरोना वायरस के दूसरे स्ट्रेन के दौरान हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हुये। जिनमें शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों का कोविड केयर सेंटर्स के साथ-साथ होम आइसोलेशन में इलाज किया गया। जिला मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालय की बात करें, तो इनके आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोगों को इलाज के लिए अधिक परेशानी नहीं हुई। लेकिन, सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों को इलाज की सुविधा पहुंचाने में शासन और प्रशासन दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में चिकित्सा कर्मियों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य समिति ने विशेष रणनीति बनायी। जिससे ग्रामीण इलाकों में सरलता से कोविड-19 के संक्रमित लोगों और इलाजरत लोगों की सटीक निगरानी की जा सके। इसके लिये प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता को कोविड-19 के मरीजों की पहचान के साथ होम आइसोलेशन में इलाज के लिए सहयोग लेने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) डॉ. नवीन चंद्र प्रसाद ने सिविल सर्जन को पत्र भी भेजा था। जिसके आलोक में पंचायतों में प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सहायता ली जा सकेगी।

ट्रीटमेंट सपोर्टर्स के रूप में हो सकती है तैनाती :

पत्र में निदेशक प्रमुख ने बताया, प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम सूचक और ट्रीटमेंट सपोर्टर्स के रूप में प्राप्त की जाये। जिनका मुख्य कार्य कोविड-19 के संभावित मरीजों की पहचान करने और उनकी जांच कराने के लिए नजदीकी पीएचसी व एपीएचसी को सूचना देना, रिपोर्ट पॉजिटिव पाये गये कोविड मरीजों का होम आइसोलेशन के दौरान ट्रैकिंग के साथ-साथ जिला नियंत्रण कक्ष से उनका समन्वय स्थापित कराना, गंभीर मरीज के संबंध में यथाशीघ्र जिला स्तर के अस्पताल में भर्ती कराने हेतु सूचना देना तथा आउटकम रिपोर्टिंग किया जाना है। लेकिन, इससे पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रवार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वर्चुअल माध्यम से (ऑनलाइन) प्रशिक्षित किया जाना है।

प्रति मरीज 200 रुपये का किया जायेगा भुगतान :

प्रशिक्षण में ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कोविड-19 से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकरी दी जायेगी। जिससे उन्हें इलाज व निगरानी के क्रम में किसी प्रकार की कोई परेशानी या बाधाओं का सामना न करना पड़े। विभाग द्वारा निर्धारित कार्यों को संपन्न करने के बाद ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रति मरीज 200 रुपये का भुगतान किया जायेगा। जो उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से किया जायेगा। साथ ही, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा उपलब्ध करायी गयी सभी जानकारियों को संधारित किया जायेगा। हालांकि, उपरोक्त सभी निर्णय केवल एनआईओएस के माध्यम से जन स्वास्थ्य पाठ्यक्रम में सफलता पूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के संबंध में लागू हैं।

राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के रोग नियंत्रण निदेशक प्रमुख ने सिविल सर्जन को जारी किया है पत्र

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बक्सर :- कोरोना वायरस के दूसरे स्ट्रेन के दौरान हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हुये। जिनमें शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों का कोविड केयर सेंटर्स के साथ-साथ होम आइसोलेशन में इलाज किया गया। जिला मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालय की बात करें, तो इनके आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोगों को इलाज के लिए अधिक परेशानी नहीं हुई। लेकिन, सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों को इलाज की सुविधा पहुंचाने में शासन और प्रशासन दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में चिकित्सा कर्मियों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य समिति ने विशेष रणनीति बनायी। जिससे ग्रामीण इलाकों में सरलता से कोविड-19 के संक्रमित लोगों और इलाजरत लोगों की सटीक निगरानी की जा सके। इसके लिये प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता को कोविड-19 के मरीजों की पहचान के साथ होम आइसोलेशन में इलाज के लिए सहयोग लेने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) डॉ. नवीन चंद्र प्रसाद ने सिविल सर्जन को पत्र भी भेजा था। जिसके आलोक में पंचायतों में प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सहायता ली जा सकेगी।
ट्रीटमेंट सपोर्टर्स के रूप में हो सकती है तैनाती :
पत्र में निदेशक प्रमुख ने बताया, प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम सूचक और ट्रीटमेंट सपोर्टर्स के रूप में प्राप्त की जाये। जिनका मुख्य कार्य कोविड-19 के संभावित मरीजों की पहचान करने और उनकी जांच कराने के लिए नजदीकी पीएचसी व एपीएचसी को सूचना देना, रिपोर्ट पॉजिटिव पाये गये कोविड मरीजों का होम आइसोलेशन के दौरान ट्रैकिंग के साथ-साथ जिला नियंत्रण कक्ष से उनका समन्वय स्थापित कराना, गंभीर मरीज के संबंध में यथाशीघ्र जिला स्तर के अस्पताल में भर्ती कराने हेतु सूचना देना तथा आउटकम रिपोर्टिंग किया जाना है। लेकिन, इससे पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रवार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वर्चुअल माध्यम से (ऑनलाइन) प्रशिक्षित किया जाना है।
प्रति मरीज 200 रुपये का किया जायेगा भुगतान :
प्रशिक्षण में ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कोविड-19 से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकरी दी जायेगी। जिससे उन्हें इलाज व निगरानी के क्रम में किसी प्रकार की कोई परेशानी या बाधाओं का सामना न करना पड़े। विभाग द्वारा निर्धारित कार्यों को संपन्न करने के बाद ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रति मरीज 200 रुपये का भुगतान किया जायेगा। जो उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से किया जायेगा। साथ ही, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा उपलब्ध करायी गयी सभी जानकारियों को संधारित किया जायेगा। हालांकि, उपरोक्त सभी निर्णय केवल एनआईओएस के माध्यम से जन स्वास्थ्य पाठ्यक्रम में सफलता पूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के संबंध में लागू हैं।

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