ठाकुर जी के आश्रम में मनोरम दृश्य के साथ ही दैविक वातावरण का वास दिखाई पड़ता है, अपने जीवन काल में ऐसे आश्रम का दर्शन मैंने आज तक नही किया: महात्मा गांधी

ठाकुर जी के आश्रम में मनोरम दृश्य के साथ ही दैविक वातावरण का वास दिखाई पड़ता है, अपने जीवन काल में ऐसे आश्रम का दर्शन मैंने आज तक नही किया: महात्मा गांधी
जेटी न्यूज

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- युग पुरुषोत्तम युगावतार गुरुदेव श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी का।

जीवन पथ का मार्ग प्रशस्त कर अलौकिक ज्ञान प्रदान करने वाले युग पुरुषोत्तम, युगावतार सद्गुरु श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी की गुरुदीक्षा से देश के महान विभूतियों सहित करोड़ो लोग दीक्षित हुए हैं। ज्ञात हो कि 1987 में भारत सरकार ने इनके सम्मान में डाक टिकट जारी कर इनके प्रति श्रद्धा व्यक्त किये थे। आज वर्तमान में देश-विदेश में भी इनके सत्संग व दीक्षा को ग्रहण कर लोग लाभान्वित हो रहे हैं। विदित हो कि 14 सितंबर 1888 को ताल नवमी के दिन श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी का आविर्भाव इस धराधाम पर हुआ। बांग्लादेश के हिमायतपुर गाँव में जन्मे श्री श्री ठाकुरजी बचपन से ही अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण थे। इनके जन्म के पूर्व ही बड़े-बड़े संत महात्माओं ने कलियुग में इनके आने का संकेत दिया था।

इनकी माता मनमोहनी देवी को स्वप्न में ही आगरा दयाल बाग के हुजूर जी महाराज ने मंत्र प्रदान कर गर्भ में युग पुरुषोत्तम बालक के जन्म लेने की उत्तम घोषणा किये थे।श्री श्री ठाकुरजी की शिक्षा कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज तक हुई थी,तत्पश्चात वे बांग्लादेश छोड़कर झारखंड के देवघर में सत्संग आश्रम का निर्माण किये, जहाँ से वे सत्संग का विस्तार कर मानव जीवन को सत्य के पथ पर चलकर मनुष्य बनने की प्रेरणा देना शुरू किए। मालूम हो कि सुभाष चंद्र बोस के माता पिता, देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री सहित कई विभूतियों ने ठाकुरजी की दीक्षा ग्रहण कर अपने जीवन में सत्य के पथ को ग्रहण किया था।राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ठाकुरजी के दर्शन के लिए जब उनके आश्रम गए तो वे आश्रम देखकर भावविभोर होकर बोले- “इस आश्रम में मनोरम दृश्य के साथ ही दैविक वातावरण का वास दिखाई पड़ता है, अपने जीवन काल में ऐसे आश्रम का दर्शन मैंने आज तक नही किया है।”

ज्ञात हो कि श्री श्री ठाकुरजी के अनन्य भक्तों ने उनकी जीवन लीला देखकर उन्हें समस्त देवों का संग्रह रुप मानते हुए हिंदुओं ने उन्हें भगवान कृष्ण का रूप कहा तो मुस्लिमों ने खुदा माना। वही उस समय के तात्कालिक अमेरिकी विश्व दर्शन शास्त्री लेट मिस्टर रे हाउजर मैन ने श्री श्री ठाकुरजी को इस युग के ईसा मसीह मानते हुए अपने जीवन के 25 वर्ष उनके आश्रम देवघर में व्यतीत किए थे।

ठाकुर जी के आश्रम में मनोरम दृश्य के साथ ही दैविक वातावरण का वास दिखाई पड़ता है, अपने जीवन काल में ऐसे आश्रम का दर्शन मैंने आज तक नही किया: महात्मा गांधी
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रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- युग पुरुषोत्तम युगावतार गुरुदेव श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी का।

जीवन पथ का मार्ग प्रशस्त कर अलौकिक ज्ञान प्रदान करने वाले युग पुरुषोत्तम, युगावतार सद्गुरु श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी की गुरुदीक्षा से देश के महान विभूतियों सहित करोड़ो लोग दीक्षित हुए हैं। ज्ञात हो कि 1987 में भारत सरकार ने इनके सम्मान में डाक टिकट जारी कर इनके प्रति श्रद्धा व्यक्त किये थे। आज वर्तमान में देश-विदेश में भी इनके सत्संग व दीक्षा को ग्रहण कर लोग लाभान्वित हो रहे हैं। विदित हो कि 14 सितंबर 1888 को ताल नवमी के दिन श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी का आविर्भाव इस धराधाम पर हुआ। बांग्लादेश के हिमायतपुर गाँव में जन्मे श्री श्री ठाकुरजी बचपन से ही अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण थे। इनके जन्म के पूर्व ही बड़े-बड़े संत महात्माओं ने कलियुग में इनके आने का संकेत दिया था।इनकी माता मनमोहनी देवी को स्वप्न में ही आगरा दयाल बाग के हुजूर जी महाराज ने मंत्र प्रदान कर गर्भ में युग पुरुषोत्तम बालक के जन्म लेने की उत्तम घोषणा किये थे।श्री श्री ठाकुरजी की शिक्षा कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज तक हुई थी,तत्पश्चात वे बांग्लादेश छोड़कर झारखंड के देवघर में सत्संग आश्रम का निर्माण किये, जहाँ से वे सत्संग का विस्तार कर मानव जीवन को सत्य के पथ पर चलकर मनुष्य बनने की प्रेरणा देना शुरू किए। मालूम हो कि सुभाष चंद्र बोस के माता पिता, देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री सहित कई विभूतियों ने ठाकुरजी की दीक्षा ग्रहण कर अपने जीवन में सत्य के पथ को ग्रहण किया था।राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ठाकुरजी के दर्शन के लिए जब उनके आश्रम गए तो वे आश्रम देखकर भावविभोर होकर बोले- “इस आश्रम में मनोरम दृश्य के साथ ही दैविक वातावरण का वास दिखाई पड़ता है, अपने जीवन काल में ऐसे आश्रम का दर्शन मैंने आज तक नही किया है।”

ज्ञात हो कि श्री श्री ठाकुरजी के अनन्य भक्तों ने उनकी जीवन लीला देखकर उन्हें समस्त देवों का संग्रह रुप मानते हुए हिंदुओं ने उन्हें भगवान कृष्ण का रूप कहा तो मुस्लिमों ने खुदा माना। वही उस समय के तात्कालिक अमेरिकी विश्व दर्शन शास्त्री लेट मिस्टर रे हाउजर मैन ने श्री श्री ठाकुरजी को इस युग के ईसा मसीह मानते हुए अपने जीवन के 25 वर्ष उनके आश्रम देवघर में व्यतीत किए थे।

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