मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय रंग परिचर्चा कार्यकर्म

मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय रंग परिचर्चा कार्यकर्म
जे टी न्यूज

दरभंगा: स्थानीय विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर संगीत एवं नाट्य विभाग के प्रेक्षागृह में स्पीक मैके एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय रंग परिचर्चा सह नाट्य प्रदर्शन का आयोजन किया गया। आयोजन का मुख्य आकर्षण देश के प्रख्यात नाटककार,रंग निर्देशक स्वर्गीय हबीब तनवीर की टीम नया थिएटर द्वारा उनके बहुमंचित नाटक चरणदास चोर की प्रस्तुति रही।


कार्यक्रम का प्रथम सत्र में दोपहर एक बजे से प्रारंभ हुआ। जिसमें रंग परिचर्चा के अंतर्गत नाट्य प्रदर्शन के मुख्य तत्व एवं वर्तमान परिदृश्य में रंगमंचीय कलाकारों के समक्ष उत्पन्न रोजगार संबंधी समस्याएं विषय पर संवाद सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि वक्ता के रुप में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के स्कॉलर आशीष कुमार शामिल हुए।

वहीं विशिष्ट अतिथि वक्ता के तौर पर नया थिएटर ग्रुप के निर्देशक रामचंद्र सिंह,वरिष्ठ रंगकर्मी विजय कुमार और हेमेंद्र कुमार लाभ शामिल हुए। कार्यक्रम के प्रारंभ में संगीत एवं नाट्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पम नारायण ने सभी अतिथियों और छात्रों का स्वागत किया और विषय प्रवेश कराते हुए कहा की अगर रंगमंच के क्षेत्र में जीविकोपार्जन करना है तो साकारात्मक सोच के साथ निरंतर अभ्यास एवं सही मौके की पहचान करना बेहद ही आवश्यक है। सत्र के दौरान सभी विशेषज्ञों ने विषय पर अपने अपने विचार रखे। अंत में उन्होंने परिचर्चा में उपस्थित नाटक एवं संगीत विभाग के छात्रों के प्रश्नों का जवाब दिया।


कार्यक्रम का दूसरा सत्र दोपहर 3:00 बजे से शुरू हुआ। जिसमें स्वर्गीय हबीब तनवीर की टीम नया थिएटर के द्वारा उनके स्वरचित नाटक चरणदास चोर की प्रस्तुति हुई। नाटक का पुनर्निर्देशन रामचंद्र सिंह ने किया। नाटक के कथानक के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सन् 1975 में भारतीय रंगमंच के महान व्यक्तित्व हबीब तनवीर ने विजयदान देथा की कहानी को आशूरचना द्वारा चरणदास चोर नाटक में रूपांतरित किया। “चरणदास चोर” एक ऐसे चोर की कहानी है,जो आदतन चोर है । नाटक की कहानी चरनदास के सोने की प्लेट चोरी करने से शुरू होती है ।चरनदास एक गांव से सोने की थाली चोरी करके फरार है ,जिसके पीछे पुलिस लगी हुई है । पुलिस से बचने के लिए या यूं कहें पुलिस को चकमा देने के लिए, चरणदास एक गुरुजी के आश्रम में प्रवेश करता है और गुरुजी का शिष्य बनने की इच्छा व्यक्त करता है। गुरुजी मान जाते हैं, लेकिन इस शर्त पर कि चरणदास हमेशा सच बोलने का प्रण ले।  चरणदास मज़ाक-मज़ाक में चार प्रण कर लेता है -(1) सोने की थाली में नही खाऊंगा ,किसी जुलूस में हाथी-घोड़े पर नही बैठूंगा, कभी किसी देश की रानी से शादी नही करूंगा और किसी देश का राजा नहीं बनूँगा । गुरु जी कहते हैं कि ये चार प्रण तो तुमने अपने मन से किया है। एक बात गुरु जी का भी मान लो। चरनदास पूछता है कि कौन सी बात ? गुरु जी कहते हैं कि झूठ बोलना छोड़ दो।चरनदास पहले तो इस प्रण के लिए ना–नुकुर करता है , लेकिन पुलिस से बचने के चक्कर मे पांचवा प्रण करता है कि मैं कभी झूठ नही बोलूँगा ” चरनदास के इन्ही वचनों पर पूरे कथानक का ताना-बाना है ,जो एक एक करके उसकी ज़िन्दगी में सामने आते हैं और चरनदास अपने वचनों के निर्वहन में मरते दम तक खरा उतरता है। नाटक में मंच पर चरणदास चोर की भूमिका सतीश श्याम,हवलदार की भूमिका धन्नुलाल सिन्हा,गुरु की भूमिका में मनहरण गंधर्व और रानी की भूमिका में पारुल सिंह ने बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया। जबकि राज पुरोहित – रामचंद्र सिंह, खूबा ( दासी) – संगीता सिन्हा,मंत्री – नीरज श्याम,सत्तू वाला -अमर सिंह गंधर्व, जुआरी, नौकर व मुनीम – मन्ना लाल गंधर्व, गंजेड़ी, सिपाही 1 व मालगुजार – नवीन सिंह श्याम, शराबी, सिपाही 2 व पुजारी – सूरज श्याम, सिपाही 3 – ईमरान अली, सिपाही 4 – अंगद घेटे और गांव वाले – इमरान अली, अंगद घेटे, राधिका गंधर्व , मन्ना लाल गंधर्व, शीतल घुगे, पायल सिंह ,पारुल सिंह ,संगीता सिन्हा ,रामचन्द्र सिंह , प्रियंवदा सिन्हा व पंथी दल ने भी अपनी अपनी भूमिका का कुशलता से निर्वहन किया और खूब तालियां बटोरी। नाटक में प्रकाश संचालन धन्नुलाल सिन्हा ने किया। वेश-भूषा स्व.मोनिका मिश्र तनवीर /नगीन तनवीर का था।सेट व प्रॉप्स- हबीब तनवीर , मोनिका मिश्र तनवीर का था। मूल कहानी विजय दान देथा की थी।

हारमोनियम वादन अमर सिंह गंधर्व, ढोलक – विनोद टेकाम, तबला – रामशरण वैष्णव / स्वराज श्याम। कोरस गायक दल में अमर सिंह गंधर्व ,पारुल सिंह ,संगीता सिन्हा, शीतल घुगे, प्रियंवदा सिन्हा, पायल सिंह थीं।मंच संचालन निखिल कुमार कर रहे थे। नाट्य प्रस्तुति के उपरांत विभागाध्यक्ष द्वारा सभी कलाकारों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
मौके पर संकायाध्यक्ष प्रो० लावण्या कीर्ति सिंह काव्या, स्नातकोत्तर संगीत एवं नाट्य विभाग की शिक्षिका डॉ० अमृता कर्मकार, नमिता कुमारी, डॉ० नित्यप्रिया प्रलय, विभाग के कार्यालय कर्मी कुंदन कुमार, अरुण कुमार,पंकज कुमार और संगीत एवं नाट्य विभाग के प्रथम एवं त्रितीय सेमेस्टर के छात्र समेत काफी संख्या में गणमान्य दर्शकगण उपस्थित थे।

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