“नया सवेरा”

“नया सवेरा”
जे टी न्यूज़

हों जितनी भी तिमिर का घना अंधेरा छाया।
प्रकाश का उजियारा इक दिन लायेगा नया सवेरा।।

नव चेतना का अंकुरण जब प्रस्फुटित होगा।
मानव मन तब जागरण का नया अध्याय लिखेगा।।

हर कदम पर आशाओं के दीप नये जलेंगे।
नई उम्मीदों के आसमान में लोग उड़ान भरेंगे।।

नई चुनौतियों का फिर नया इतिहास बनेगा।
नये होंगे सपने अपने ,नयी विचार धारा।।

नया नया पल आएगा, लेकर अपनी कार्यशाला।
हिम्मत होगी अपनी और देखेगा दुनिया सारा।।

हो जितनी भी कठीन रातें,नया सवेरा आएगा फिर।
दे जाएगा आगाज़ एक सुन्दर भविष्य बनाएगा।।

राखी देब (स्वरचित एवं मौलिक)
चन्दननगर, हुगली, पश्चिम बंगाल

Related Articles

Back to top button