खोज “बहू” या “दाई”

खोज “बहू” या “दाई”
जे टी न्यूज़

प्रारंभ कहां से करूं यह समझ में नहीं आ रहा क्योंकि कथा की वास्तविकता ही ऐसी है लड़की के विवाह के पूर्व होने वाली व्यवहार का चित्रण कुछ ऐसा है वर्तमान के रीति रिवाज के अनुसार लड़का – लड़की विवाह से पूर्व एक दूसरे को देखते हैं बात करते पसंद करते हैं जो आधुनिक समय में शायद सबसे ज्यादा आजाद सोच दिखाई पड़ती है पर लेखक अपनी कलम से उस दर्द को बयां करना चाह रहा है जो समाज खुली आंखों से देख नहीं पा रहा एक लड़की जिसकी उम्र 21 वर्ष है और उसने अभी-अभी स्नातक प्रथम श्रेणी से पास किया है वह काफी हर्षित महसूस कर रही है उसकी इच्छा है कि आगे वह सिविल सेवा की तैयारी करें क्योंकि उसकी मां सेविका है और वह हमेशा से सुनती आई है कि उसकी बॉस सुपरवाइजर है और फिर उसकी बॉस सीडीपीओ है बचपन से ख्वाब है एक दिन सीडीपीओ बनेगी और अपनी मां के सपने को पूरा करेगी वह अपने सपनों को किसी से बताती नहीं है चुपचाप पढ़ाई करती रहती है पर यह बात घर वालों को बता दी थी स्नातक के बाद उसे सिविल सेवा की तैयारी करना है पर इसकी उम्र 21 के बाद घरवालों और सामाजिक दबाव के कारण विवाह के लिए उसके योग्य वर ढूंढा जाने लगा अचानक एक दिन एक लड़का है जो शायद इंटर स्तरीय परीक्षा पास करके सरकारी नौकरी निकाल लेता है पर उसकी स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं हुई है वह विवाह के लिए जब आता है तो लड़की से काफी बड़े-बड़े प्रश्न पूछता है लड़की उत्तर देती है लड़का प्रसन्न हो जाता है वह विवाह के तैयार होता है पर एक शर्त रखता है उसका घर गांव में है वह गरीब घर से है विवाह के बाद लड़की को उसके गांव में रहना पड़ेगा उसके माता-पिता की सेवा करनी पड़ेगी खेती भी करनी पड़ेगी उसके घर जानवर है उसकी भी सेवा करनी पड़ेगी लड़की शांत हो जाती है उसने सोचा कि उसके सपने का क्या उसकी पढ़ाई का क्या ,,,??

क्या कोई महत्व नहीं है वह सर झुका के चली जाती है वह काफी बैठकर रोती है क्योंकि पहली बार उसे समाज की सच्चाई उसे सामना हो रहा था बाद में उसने रोते-रोते साफ इंकार कर दिया कि वह अपने सपनों को ऐसे कुचलते हुए नहीं देख सकती है। लड़की का इनकार करना लड़के को जितना दुख नहीं हुआ उससे ज्यादा दुख तो लड़की के परिवार वालों को होने लगा घर वाले ही कहने लगे लड़का सरकारी है क्या दिक्कत है सब लड़के गांव में रहती है सबको जानवर की सेवा करनी होती है सास-ससुर की सेवा करनी होती तुमको कौन सा नया काम करना था यह ताना दो-चार दिन चलता रहा फिर थम सा गया लड़की सिविल सेवा की तैयारी में लग गई पर समाज ऐसा कहा था लड़की को अकेला छोड़ देता लड़की की मां से ज्यादा चिंता तो समाज को होता था समाज का कोई ना कोई व्यक्ति आकर कोई लड़के के बारे में बताता वह अलग की बात था लड़का योग्य होता या ना होता, समाजिक बातों में लड़की की मां भी आ जाती फिर बेटी को शहर से घर बुला लेती बोलती बेटी लड़के वाले आ रहे हैं , गांव आ जाओ लड़की फिर रोती हुई शहर से घर आती क्योंकि उसके सपने के बीच में विवाह और मुंह दिखाई बार-बार आ रहा था वह लड़कों को दिखाती कभी लड़का आता कभी लड़के के माता-पिता कभी उसका भाई कभी उसकी बहन कभी उसकी फुआ कभी रिश्तेदार एक बार दो बार विवाह लगभग लगभग तय होने के बाद कभी छूट जाता कभी दहेज का मामला होता तो यह सिलसिला चलता रहा

एक बार की बात है एक बार लड़के वाले आए लड़का नहीं आया लड़के के जीजा जी आए पता नहीं चल रहा था विवाह लड़के को करना था या उसके जीजा जी को जीजा जी आते हुए उसके पढ़ाई के बारे में पूछे लड़की ने बताई , लड़के के जीजा जी को यह बात नागवार गुजरी फिर क्या था उसने 7-8 क्वेश्चन पर क्वेश्चन दे दिए लड़की भी पढ़ी लिखी थी उसने 6-7 का उत्तर दे दिया फिर जीजा जी ने कहा एक क्वेश्चन का उत्तर नहीं दे पाई का तैयारी कर रही है फिर,,,,,,!! उसने कहा जरा प्लीकेशन लिखकर दिखाओ वह भी अंग्रेजी भाषा में लड़की ने लिखा फिर हिंदी में ,,, फिर लड़की ने लिखा पता नहीं लड़का का जीजा विवाह योग्य लड़की ढूंढने आया था या सरकारी नौकरी दे रहा था इतना करने के बाद फिर लड़के के घरवाले आए उसकी मां- बहन थी सूट में लड़की मुंह दिखाई करवा रही थी फिर लड़के वाले की फरमाइश हुई लड़की को साड़ी में तैयार करके मंगवाई लड़की साड़ी में आई फिर कहा गया जरा चल के दिखाओ कहीं चलने में ऊंचा नीचा तो नहीं लड़की चुपचाप सब करते गई जब चलने की बात आई तो उसकी आंखों से आंसू आने लगा वह सोच रही थी उसने भी लड़के से कम पढ़ाई नहीं की है उसने भी अच्छे नंबर से बीएससी किया है फिर उसके साथ यह व्यवहार क्यों किया जा रहा है कभी किसी लड़के को तो धोती पहनाकर इस तरह नहीं चलाया जाता है कि लड़का चल पा रहा है कि नहीं ,कभी जींस में आओ कभी कोर्ट में आओ तो फिर लड़कियों के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों ,,,,,??

मन ही मन सोचती रही आंखों से आंसू बह रहे थे हृदय भी रो रहा था सोच रही थी जब हम जैसे लड़कियों का यह हाल है तो बाकी लड़कियों का क्या हाल होगा लड़की जाती होना जैसे नर्क सा हो गया है यह कहानी मात्र मेरी नहीं बल्कि हर उस लड़की की है जिसके साथ यह व्यवहार हो रहा है लोग देख नहीं पा रहे हैं लोग बेटी की शादी में लाखों खर्च कर रहे हैं लाखों दहेज दे रहे हैं लाखों का सामान दे रहे हैं 500- 1000 लोगों को खाना खिला रहे हैं पर वास्तविक बेटी का जो सपना है जो अधिकार है उसे ना घरवाले दे रहे हैं और ना समाज देने दे रहा है ,,,,,

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