एम एस पी, खाद्य सुरक्षा, कर्जमुक्ति किसान सम्मेलन

एम एस पी, खाद्य सुरक्षा, कर्जमुक्ति किसान सम्मेलन

आलेख – प्रभुराज नारायण राव

बेतिया:;संयुक्त किसान मोर्चा बिहार द्वारा 24 जून को रविंद्र भवन , बीरचंद पटेल पथ , पटना में *एम एस पी , खाद्य सुरक्षा , कर्ज मुक्ति किसान सम्मेलन* होने जा रहा है ।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले 13 महीनों की दिल्ली के सभी बॉर्डर को बंद कर संघर्ष चलाने का एक इतिहास बनाया । इस आंदोलन में 750 किसानों की शहादत हुई थी । इस आंदोलन में देश के सभी राज्यों से सभी इलाकों से लोगों की भागीदारी हुई और जब इस बात का एहसास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हुआ । तो वे विचलित हो गए और किसान विरोधी तीनों काले कानूनों को आनन-फानन में वापस ले लिया । इतना ही नहीं उन्होंने एमएसपी को कानूनी दर्जा देने , फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम देने , लखीमपुर खीरी सहित सभी शहीद परिवारों को मुआवजा देने आदि सवालों पर किसानों से वार्ता करने का आश्वासन देते हुए , आंदोलन को समाप्त करने और अपने अपने घर जाने का प्रधानमंत्री ने आग्रह किया । लेकिन किसान प्रधानमंत्री के वादाखिलाफी से भलीभांति अवगत थे । इसलिए उन्होंने आंदोलन स्थगित कर अपने घर की ओर चल दिए । इस बीच में देश में किसानों के बड़े-बड़े आंदोलन देखने को मिले हैं । नासिक से मुंबई तक अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में लोंग मार्च , नासिक से किसानों को प्याज और कपास पर 350 रुपए प्रति क्विंटल मुआवजा महाराष्ट्र सरकार से लेने में सफल दूसरा बड़ा लोंग मार्च , राजस्थान के सीकर सड़क जाम , चूरू , बीकानेर सड़क जाम जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों के साथ-साथ हरियाणा के सूरजमुखी उत्पादक किसानों को एमएसपी दिलाने के लिए दिल्ली चंडीगढ़ राजमार्ग को जाम कर किसानों को सूर्यमुखी पर एम एस पी दिलाना और सभी केसों को खट्टर सरकार द्वारा समाप्त करना l

ग्रेटर नोएडा में हाईवे की जमीनों का वाजिब दाम के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के समक्ष चल रहे 54 वे दिन का सफल आंदोलन और देश में अनेकों जगह चल रहे संयुक्त किसान मोर्चा या किसान संगठनों के नेतृत्व में किसान आंदोलन अपनी ऊंचाइयों को लगातार छूता जा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार की तरह मुंबई की शिंदे सरकार या राजस्थान की गहलोत सरकार या हरियाणा की खट्टर सरकार या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नाक में नकेल पहनाने का काम लगातार किसानों का संघर्ष कर रहा है । इसी रोशनी में 24 जून को पटने के रविंद्र भवन में किसानों का विशाल किसान सम्मेलन होने जा रहा है । जिसे अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव कॉमरेड बीजू कृष्णन सहित अन्य राष्ट्रीय किसान नेता भी संबोधित करने वाले हैं । यह किसान सम्मेलन निश्चित रूप से बिहार के किसान आंदोलन को एक नई दिशा देने का काम करेगा । क्योंकि बिहार के उत्तर और दक्षिण के भौगोलिक बनावट में बड़ा ही अंतर है । जब उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में आता है , तो उसी समय में दक्षिण बिहार भयंकर सुखाड़ की चपेट में रहता है । बिहार सरकार इस विनाश लीला को रोकने में अब तक असफल रही है।


बेरोजगारी बिहार का दूसरा सबसे बड़ा संकट है यहां कृषि आधारित फसलों के आधार पर चलने वाली 29 चीनी मिलों में से 9 चीनी मिलें जिसमें पश्चिम चंपारण के बगहा , हरीनगर , लौरिया , नरकटियागंज , मझौलिया , पूर्वी चंपारण के सुगौली , समस्तीपुर के हसनपुर तथा गोपालगंज के हराखुआ , सिधवलिया चालू है । 20 चीनी मिलें बंद पड़े हुए हैं । इसमें से 18 चीनी मिले हैं बिहार राज्य शुगर कारपोरेशन के अधीन बंद पड़े हुए हैं । जबकि दो चीनी मिलें चकिया और चनपटिया ब्रिटिश इंडिया कंपनी की है। बिहार के पूर्वी हिस्से के बनमनखी ,हसनपुर , वारसलीगंज , दक्षिणी हिस्से के गुरारू , बिहटा गंगा नदी की उत्तर की ओर बढ़ते हुए सिवान पूर्वी , सिवान पश्चिमी , पचरुखिया, महराजगंज , सासामुसा , हथुआ से पूरब की ओर बढ़ते हुए सारण में मड़हौरा , वैशाली में गोरौल , मुजफ्फरपुर में मोतीपुर , सीतामढ़ी में रीगा , मधुबनी में लोहट , रैयाम , सिकरी , समस्तीपुर , पूर्वी चंपारण के मोतिहारी , चकिया तथा पश्चिम चंपारण के चनपटिया की चीनी मिलें बन्द हैं ।
इन चीनी मिलों को चालू करने से लाखों नौजवानों को रोजगार तथा किसानों को नगदी फसल का लाभ मिलेगा । जिससे बिहार का विकास असंभावी है।

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