सैनिक का समर्पण (गीत)

सैनिक का समर्पण (गीत)
जे टी न्यूज़


जा रहा हूं सरहद पर मैं वतन से प्रीति निभाऊंगा,
या झंडा लहराऊंगा या ओढ़ के वापस आऊंगा।

मां तुमने समझाया मुझको दूध का कर्ज चुकाना है,
पिता की आज्ञा थी मुझको माटी का फर्ज निभाना है।

देशभक्त की ज्वाला मन में फौलाद इरादे हैं मेरे,
जब रोली से तिलक करे तो हाथ ना कांपे मां तेरे ।

मन में दृढ़ संकल्प लिये अब देश का मान बढ़ाऊंगा,
या झंडा लहराऊंगा या ओढ़ के वापस आऊंगा।।

चरण वंदना करूं पिताजी आशीष तुम्हारा साया है,
छू ना सके तूफान कभी मां के आंचल की छाया है।

खेतों के बरगद पीपल मुझको हर बात बताएंगे,
पवन के झोंके मां तेरा हर संदेशा पहुंचाएंगे।

अगर ना लोटा पैरों पर वट का ताबूत बनवाऊंगा,
या झंण्डा फहराऊंगा या ओढ़ के वापस आऊंगा।।

नजर उठा पत्नी को देखा खड़ी हुई मुरझाई सी,

जल बिन मीन तड़पती जैसे वो ऐसे कुमलाई थी।

प्राणप्रिय सिर धर कांधे पर जी भरके अश्रु बहा लो तुम,
वज्र कलेजा करो आज से घर परिवार संभालो तुम।

नयनों में जोश जगाये रखना तेरा सैनिक कहलाऊंगा,
या झंडा लहराऊंगा या ओढ़ के वापस आऊंगा।

दुश्मन की गोली के आगे भी ना भय होगा मुझको,
आंख बंद करके देखुंगा मुस्काते जब मैं तुझको।

तेरे मांथे की बिंदिया का हर चुंम्बन याद रखूंगा मैं,
तेरे पायल की छम-छम में हर अंतिम सांस गिनुंगा मैं।

ना लो कोई वादा अवनी प्यार निभाना पाऊंगा,
भारत मां के चरणों में शोणित से दीप जलाऊंगा।

जा रहा हूं सरहद पर में अपना फर्ज निभाऊंगा,
या झंडा लहराऊंगा या ओढ़ के वापस आऊंगा।।

ओज कवयित्री- अंशु छौंकर अवनी’
आगरा’ (उत्तर प्रदेश)

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