ये तारीखें
ये तारीखें
जे टी न्यूज
देखो न …
ये तारीखें भी तो कभी
अपनी ही नहीं होतीं
लेकिन गुज़र के भी ये
किस्मत को नहीं
रोतीं
पुराना अक्स छोड़ के ये
हर रोज़ नई हो जाती हैं
साथ वक़्त के ये लौट कर
ये एक बार जरूर आती हैं
हो जाएंगे काम कागज़ी
पुरानी तारीखों में
मत उलझे रह जाना तुम
ज़िंदगी के सलिकों में
कहीं गुज़र न जाये वक़्त
कहीं पल बदल न जाएं
चलो कुछ पलों को हम
अपने दामन में भर लें
आओ कि आज मिलकर
अनसुनी धड़कनें कह दें
हम कहें कुछ जज़्बात अपने
आज अनकही हर बात कह दें