जगदानंद ने कहा : चुनौती स्वीकार, है हिम्मत तो नीतीश मोदी कर लें बहस
जगदानंद ने कहा : चुनौती स्वीकार, है हिम्मत तो नीतीश मोदी कर लें बहस.
आर. के. राय
पटना । राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा है कि उस बेचारे को कितना ज्ञान है, मुझे मालूम है। वह अपने ज्ञान को रखें। हिम्मत है तो, नीतीश कुमार बात करें । मोदी बात करें। नीतीश कुमार आपका 15 साल है कहां। यह 5 साल तो लालू जी का दिया हुआ दान और भीख है। अरबपतियों के आप रखैल बन गए हैं। वंचितों को आपने छोड़ दिया। आप समझो कि अब आपकी बात किस विषय पर करूं। इनको ज्ञान ही नहीं है हरियाली का। बराबर पर बहस होती है । उस बेचारे को तो ज्ञान ही नहीं है ।
कितने दिनों से राजपाट में है। यह मैं भी जानता हूं। उनकी गाली गलौज मैं सुनते रहता हूं। डिबेट में देखता रहता हूं। यह बहस विद्वता की बहस होगी। गाली गलौज की बहस नहीं होगी और हमने चुनौती नहीं दी है। इन लोगों ने चुनौती दी है । 15 साल बनाम 15 साल की। हमने चुनौती स्वीकार किया है और बताओ कहां बहस होगी । हम तो कह रहे हैं कि स्थान महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है विषय। जनता की बात आप लोगों तक कैसे जाएं। गाली-गलौज की भाषा एकेडमिक बहस नहीं हो सकती है । उस बेचारे को कितना ज्ञान है। मुझे मालूम है । इसलिए वह अपने ज्ञान को रखें। हिम्मत है तो, नीतीश कुमार बहस करें । मोदी बहस करें। यह क्या बात करेंगे । यह कहां से आए हैं। इसलिए इस पर मैं बात नहीं करता। चुनौती मैंने नहीं दिया है। मैंने चुनौती को स्वीकार किया है। विषय तय कर ले। विषय तो 15 साल बना ही दिया है। हां राज्य के हजारों विषय होते हैं। उन विषयों में किस विषय पर बात करोगे । यह तय कर लो, लेकिन बहस तो होगी बराबरी के स्तर पर होगी। उनके लायक मेरे दल में बहुत लोग है। बहस हो सकता है कि भारत सरकार तो जितने भी तरह के अपराध होते हैं, देश में उसका सारा हिसाब-किताब क्राइम इंडिया में छपती है। अपनी बातों पर तू भाग जा रहे हो । हम किसके माध्यम से कहें। हजार करोड़ खर्च करके तो, आप अखबारों में टीवी में अपनी बात कह लेते हो। विधानसभा 15 साल की प्रोसीडिंग निकाल कर देख लो हम लोग किस सवाल का जवाब नहीं दिए हैं और आप कितने सवालों का जवाब दिया। हर सवाल का हम लोगों ने जवाब दिया है। इन्होंने कभी किसी सवाल का जवाब नहीं दिया।
इस समय लोकतंत्र में लोकतंत्र में लोकसभा और विधानसभा की सबसे बड़ी जगह है। जहां माना जाता है कि जनता ने विद्वत जनों को भेजा है। उसको निकालो हम क्या जवाब नहीं दे पाए, हमने जो सवाल किया उसका जवाब जब आप ने नही दिया। चाहते हो कि आमने-सामने बहस जनता में हो। हम तैयार हैं, लेकिन तुम गाली गलौज कर रहे हो। पोस्टर साट रहे हो। पोस्टर साट कर भाग रहे हो। कबूतर और कबूतरी का खेल दिखा रहे हो। कबूतर और कबूतरी धनवान के हम प्रतीक हैं। वंचितों के प्रतीक हैं और वंचितों को गिद्ध बना रहे हो। समझ लो कि वंचित जब एक बार जग गया और यह वंचित रावण से युद्ध किए थे। सीता की रक्षा के लिए जटायु के रूप में रावण से युद्ध किया था। भले मार दिया गया। वंचित युद्ध से कभी भागा नहीं है। आदर सबका किया है। टाटा, बिरला, अंबानी के कबूतर और कबूतरी के खेल में इस बिहार को मत उलझाओ नितीश कुमार। आपका 15 साल है कहां। 5 साल तो, लालू जी का दान है, जिसे आपको वंचितों के लिए दिया है दान में । बाकी जो 10 साल का है, उसमें तो एक बार आप आजमाए हो। भाजपा ने लात मार कर खदेड़ दिया सड़क पर । 2014 के लोकसभा चुनाव होने पर शून्य पर खड़े थे। 5 साल तुम्हारा है ही नहीं। यह तो लालू जी का दान है और वंचितों ने तुम्हें कुर्सी पर बैठाया है। इस देश के अरबपतियों पर नकेल कसने के लिए, लेकिन आप अरबपतियों के रखैल बन गए हो और वंचितों को आपने छोड़ दिया। अब सोचो कि आप कौन से बहस और किस विषय पर पहुंच करूं। एक लाइन में बोला यह बेचारे 24 हजार करोड़ के लूट बैंक के विषय बना लिया है। इनको ज्ञान ही नहीं है हरियाली का। मैं जानता हूं हरियाली के विषय में इनको ज्ञान ही नहीं है। क्या है नदिया, क्या है गंगा का योगदान। क्या है बिहार में पानी। इस मामले में अन्य प्रदेशों से आगे नहीं है। कैसे पानी को बचाया गया।
सेकंड एरिगेशन कमीशन दस्तावेज है। एक ऐसा दस्तावेज जो बिहार के जमीन और बिहार के जल के बारे में एक-एक बिंदु लिख दिया गया है । आने वाले सैकड़ों वर्ष तक जिन्हें ,जल के बारे में जानना होगा, उस दस्तावेज से जानकारी मिलेगी। चाहे जमीन के अंदर की पानी हो या जमीन की सतह के ऊपर की पानी हो। जिस पानी को जानना होगा। जमीन की क्वालिटी क्या है। किस फसल के लिए, कौन जमीन है, उद्योग के लिए ,घरेलू उपयोग के लिए, पीने के पानी के लिए, व्यवसायिक उपयोग के लिए, जितनी आवश्यकता है । सब की जानकारी उसमें उपलब्ध है। उसी 2005 के पहले हमने उस दस्तावेज को तैयार किया है। जिसका मैं चेयरमैन था और नीतीश कुमार मेंबर, सरयू राय भी मेंबर थे। नीतीश बाढ़ के इलाके समय से इलाके में काम ही नहीं कर पाएं । हमने जहां काम छोड़ा । वही है। उसके 1 इंच भी आगे हो तो बता दो। समय से पानी निकले और जलजमाव दूर हो। कभी कोशिश नही किया। इस पर राजनीति सबसे कर रहे है। हरियाली की बात करते हो तो, जंगल की बात कर लो, पानी की बात करते हो, तुम नदियों, तालाबों, पोखर और भूगर्भ जल की बात कर लो तो, बात समझ में आएगी कि तुम क्या कर रहे हो और हम क्या कर रहे हैं । 15 साल में सरकार में 15 साल के शुरू से अंत तक मंत्री की हैसियत से मैं ही केवल अकेला था और लोग समय पर आए और समय पर गए विभिन्न कारणों से। शुरू से अंतिम दिन तक था, जो भी अच्छाई या बुराई हो अगर कोई बहस करने के लायक समझता है। 15 साल तक जिसने हमें गाली दिया, बिहार को अनाथ किया। उसका कोई नुमाइंदा बहस करें तो, बात समझ में आएगी। इधर उधर से आने जाने वाले आज के बच्चे के समझ के बाहर की बात है। गाली देने वाले बहुत से लोग हैं । यह मैं समझता हूं। एकेडमिक भाषा का किसको कितना ज्ञान है। यह भी पता है, उस तरीके के जो लोग हैं, जिन्हें जानकारी और ज्ञान है। जब शिक्षक से बहस होती है तो, विद्यार्थी सवाल करता है। बहस नहीं । शिक्षक और शिक्षक में बहुत होती है।