गल राज को समाप्त करने चले थे नीतीश कुमार, न्याय के साथ-साथ विकास के सहारे बिहार की गद्दी को अपने पक्ष कर लिया।

जंगल राज को समाप्त करने चले थे नीतीश कुमार, न्याय के साथ-साथ विकास के सहारे बिहार की गद्दी को अपने पक्ष कर लिया

हरेरीम चौधरी

पटना:- बिहार की सत्ता पर काबिज लालू प्रसाद यादब के जंगल राज को समाप्त करने के लिए नीतीश कुमार ने सभी को न्याय के साथ-साथ बिहार के विकास के सहारे बिहार की गद्दी को अपने पक्ष मे कर लिया। नीतीश ने पहले पांच साल मे सबको न्याय दिलाने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने बिहार के पुलिस पदाधिकारी को स्वतंत्र रुप से कार्य करने की खुली छुट दे दी। श्री कुमार का मानना है की पुलिस की कार्यवाही पर कार्यकर्ता एवं नेता के द्वारा अकूंश लगाने के कारण सही नतीजे पर नहीं पहुंच रही थी।इसके कारण अपराधी बच जाते थे। जबकि सही लोग पुलिसिया वर्दी के शिकार होकर आर्थिक एवं मानसिक रुप से तबाह हो रहे थे।

सबसे दिलचस्प बात यह है पुलिस भी नीतीश के इस अभियान मे बढ चढ कर हिस्सा लेकर बिहार वासियों को न्याय दिला रहा था।लेकिन इस अभियान मे पुलिस को लक्ष्मी रुपी धन का दर्शन नही हो रहे थे।

लक्ष्मी रुपी धन के दर्शन करने के लिए पुलिस ने सरकार की खुली छुट का फायदा उठाने लगा।इसका असर नीतीश सरकार के दूसरे कार्यकाल मे दिखाने लगा।इसी का नतीजा है पुलिस पदाधिकारी भी सूबे के मंत्री के आदेश पर ही स्थानीय नेता एवं कार्यकर्ता से मिलते थे।इसके कारण न्यायप्रिय लोगों को न्याय मिलना बंद हो गया जबकि अवांछित पुलिस के चेहते बनते चले गये।हाल यह है की नीतीश सरकार के तीसरे कार्यकाल मे पुलिस का मनमानी सर चढ कर बोलने लगा।इसके कारण अपराध मे लगातार वृद्धि होने लगी।आलम यह है आये दिन हत्या, लूटपाट एवं रेप की घटना होने लगी।

सरकार ने पिछले कार्यकाल मे शराब पर पाबंदी इसलिए लगाई की बढते अपराध का प्रमुख कारण शराब ही है।इस अभियान के कारण शुरुआती दौर मे पुलिस पेशोपेश मे पर गया क्योंकि धन के आगमन के जरिया पर अंकुश लगने लगा।बढते अपराध पर नीतीश सरकार ने कई कानून लाये लेकिन पुलिस की मनमानी रवैया के कारण उनका अभियान शिफ्फर साबित हो गया।आज स्थिति है शराबबंदी अभियान के आड़ मे पुलिस धनवान बनने लगा।पुलिस ने शराब कारोबारियों से दोस्ताना संबंध बनाकर धन उगाही का जरिया खोज लिया।आलम यह है की प्रति मालवाहक के लिए तीन पेटी धन मिलने लगा।इन्हीं कारणो से सड़क, नालो एवं गलियारो मे खाली शराब की बोतलें खूली आंख से देखा जा सकता है।

सरकार के लाख प्रयास के बाद भी अपराध एवं शराबबंदी अभियान नही रुकने के नीतीश ने सभी शहर मुख्यालयो मे नौजवान पुलिस पदाधिकारी की तैनाती की योजना बनाई गयी।साथ ही पुलिस मुख्यालय का जिम्मा कड़क पुलिस पदाधिकारी को डीजीपी के पद पर बैठाया गया।इन्होंने इस अभियान को गति देते हुए प्रखंड मुख्यालय पर नौजवान पुलिस पदाधिकारी की तैनाती किया गया लेकिन अपराध रुकने के बजाय बढता ही गया।इससे घबराकर नीतीश कुमार जो सूबे का मुखिया भी है ने डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय से गुहार लगाते हुए कहा की अपराध एवं शराब पर अकूंश लगाने के रात मे दो घंटे का सूबे मे सर्च अभियान चलाए ।इनके गुहार का असर डीजीपी को पड़ा।डीजीपी ने रात मे सबसे पहले सूबे के थाना पर रात मे सर्च अभियान चलाया गया जिसमें कई पुलिस पदाधिकारी नपे भी।इस सर्च अभियान मे नीतीश कुमार के शंका को बल मिला है।शुरुआती मे नौजवान पुलिस अपने कर्तव्यों को निभाने लगा लेकिन धीरे धीरे फीर वहीं बात रे बात वाली कहावत होने लगी।हाल यह है की सूबे मे अपराधियों का मनोबल उंचा होने लगा।

इतना ही नही लक्ष्मी के बल पर शराब कारोबारियो ने व्यापक रुप से शराब का होम डिलेवरी होने लगा।इनके अलावे नशा कारोबारी भी पुलिस के सहयोग से धड़ल्ले से पैर पसारने लगा।हाल यह है युवा पीढी भी नशा के आगोश मे समाने लगा।युवा पीढी के पुलिस के लक्ष्मी के चकचौंध से चौंधियाने लगा।इसके कारण अपराधी एवं नशा कारोबारी पुलिस के साथ दोस्ताना संबंध बन गया है जबकि न्याय प्रिय लोग पुलिस के इस कार्यशैली से दूर होते गया।नौजवान पुलिस पदाधिकारी के गलत कार्यशैली का ही देन है सूबे नशाखोरी एवं अपराध के आगोश मे समा गया।इसी का नतीजा है की बाहर के साथ साथ जेल मे भी गोली मारकर कैदी की हत्या होने लगा।
नौजवान पुलिस पदाधिकारी के तैनाती के बाद भी अपराध मे वृद्धि होने पर सेवानिवृत्त एवं कार्यरत वरीय पुलिस पदाधिकारी ने नौजवान पुलिस की तैनाती पर कहा की ये पुलिस पदाधिकारी जोशिला तो है लेकिन कार्य की पद्धति पर ज्ञान नही है।उधका मानना है की शहर मुख्यालय मे प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारी की तैनाती करनी चाहिए।इसका फायदा यह होगा है की समाज के सही लोगों से संपर्क कर अपराध पर अंकुश लगाने का गुण को समाहित करता।आज के नौजवान पुलिस पदाधिकारी समाज के इन्हीं लोगों से अपने कार्यशैली के कारण अलग हो गया है।इसका दुखद परिणाम यह है अवांछित एवं प्रतिष्ठित लोगों मे फर्क नही कर पाता है।इससे अवांछित तत्वों का राज पुलिस पदाधिकारी के मतिष्क पर हो जाता है।एक बात और सामने आई है की शहर मुख्यालय मे डीजीपी ने अधिकाश स्वजातीय नौजवान पुलिस पदाधिकारी की तैनाती कर दिया है जिससे गलत कार्यशैली पर भी गुमान हो गया है।इसके कारण ही न तो सरकार से डर है और न ही मीडिया से।इसलिए डीजीपी के आदेश के बाद भी निर्भिक एवं ईमानदार मीडिया से थाना परिसर मे बदतमीजी से बाज नही आ रहे है।इतना ही नहीं अपना गुस्सा इस तरह के मीडिया पुत्र पर उतारने की कोशिश करने लगा है।इनकी शिकायत भी डीजीपी तक लिखित एवं मौखिक रुप से किया गया लेकिन महिनों बाद भी उन स्वजातीय पुलिस पदाधिकारी पर कारवाई की जुहमत नहीं उठा रहे है।नौजवान पुलिस की तैनाती का तहकीकात करने पर मामला सामने आया है शहर मुख्यालय के अधिकांश पद पर स्वजातीय की तैनाती किए है जबकि देहाती मुख्यालय पर अन्य जातियों के पुलिस पदाधिकारी को।इससे भी अपराध मे वृद्धि लगातार जारी है।आज दलित एवं न्यायप्रिय लोगों को न्याय के लिए महिनों दर दर की ठोकरें खाना पड़ रहा है।
इसकी सत्यतता के लिए उत्तर बिहार के जिले के वैशाली के हाजीपुर मुख्यालय एवं समस्तीपुर जिले के रोसड़ा शहर जाना होगा।
हाजीपुर मे अपराधियों के बढते मनोबल का परिणाम है महज एवं हप्ता के भीतर कांग्रेसी नेता एवं जेल मे कैदी को गोली मारकर हत्या कर दी है।सबसे आश्चर्य पहलू है की जेल मे सीसीटीवी लैश के साथ साथ कड़ी सुरक्षा के बाद भी गोली के साथ हथियार पहुंच गया।इससे यही जान पड़ता है लक्ष्मी के बल पर पुलिस पदाधिकारियों को खरीद कर गोली सहित हथियार जेल के अंदर ले जाया गया है।इनके अलावे लक्ष्मी के बल पर तैनात पुलिस पदाधिकारी के बल पर जेल के अंदर सारी सुख सुविधा उपलब्ध करा दी जा रही है जिसका प्रमाण पूर्व मे जल मे छापेमारी के दौरान मिल चुका है।
दूसरी तरफ समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर ओपी का है जहाँ पीड़ित से कार्य के बदले नजराना मांगने पर नजराना की सीन वायरल होने पर उस पुलिस पदाधिकारी को निलबिंत कर गिरफ्तार कर लिया।इतना ही नहीं प्राथमिकी मे मामले के हेराफेरी मामले मे दोषी तत्कालीन डीएसपी के खिलाफ विभागीय कारवाई भी शुरू किया गया है।इससे लगता है की इस राज्य मे रक्षक ही भक्षक बन बैठा है।भला न्याय की क्या आस रख सकता है।
इनके अलावे 20 नवंबर 18 की रात मे दबंगों ने रोसड़ा शहर के वार्ड एक के दलित विधवा महिला शांति देवी के साथ मारपीट ही नहीं किया बल्कि घर मे लूटपाट की।इसके बाद भी न्याय मिलना तो दिए गये आवेदन के बाद भी कोई कारवाई अब तक नहीं की गयी।थानाध्यक्ष अमीत कुमार इसलिए इस दलित विधवा महिला को न्याय दिया क्योंकि स्वजातीय पैरवी एवं दबंग अभियुक्त है।इसकी का नतीजा है की इस दलित विधवा पर फिर से दबंगों के इशारे पर पुनः 5 अप्रैल 19 की रात हमला बोल दिया।इनके नजदीकी स्वजातीय ने इस घटना को अंजाम दिया।इसने दलित महिला एवं उनके खून के रिस्ते के साथ मारपीट ही नही किया बल्कि हजारों की नगदी एवं परिसंपत्ति भी लूट लिया।सबसे आश्चर्य की बात है की इतने दिन बीत जाने के बाद भी इस दलित विधवा को न्याय नही मिला।इसलिए दबंगों का मनोबल भारी है और उनकी जमीन हड़पने का इंतजार कर रहे है।
दूसरा प्रमाण यह है की उसी वार्ड मे स्थित होटल आदर्श के मालिक अर्जुन शर्मा है जो पुलिसिया धौंस कि शिकार है जो अब तक जारी है।इनका दोष सिर्फ इतना ही है की भारत एवं राज्य सरकार के नियमाकुल आधार कार्ड लेकर बालिग को रूम उपलब्ध कराया गया है।यहां के थानाध्यक्ष अमीत कुमार ने नजराना के तौर पर साठ हजार नगदी लेने के बाद भी चालीस हजार के इन्हें तरह तरह से तंग किया जा रहा है।इसकी शिकायत तीन सितंबर को डीजीपी से लिखित मे किया लेकिन अब तक कोई कारवाई नही होने पर उक्त थानाध्यक्ष का मनोबल हाई हो गया है।
यहां पर यह बताना आवश्यक हो गया है की सात अगस्त को पड़ोसी के आग्रह पर तीन बालिग को आधार कार्ड्स पर रुम उपलब्ध कराया गया था।नियमानुसार होटल मालिक किसी भी सूरत पर बैग एवं शरीर का चेकिंग नही कर सकता है बल्कि होटल मे रह रहे यात्रियों की जांच पुलिस को प्रतिदिन सुबह एवं रित अचानक दौरा कर रजिस्टर मे दर्ज यात्रियों की करना अति आवश्यक है लेकिन सेक्टर मोबाइल पुलिस एवं पदाधिकारी उगाही की ओर ध्यान देता है।
उसी रात अपने दलालों के सूचना पर छापेमारी कर हथियार के साथ लड़के को गिरफ्तार कर थाना ले जाया गया।इसी को मुद्दा बनाकर थानाध्यक्ष ने रजिस्टर के साथ दूसरे दिन मालिक को थाना आने को कहा।उक्त मालिक ने रजिस्टर के साथ थाना गया लेकिन इसके लिए होटल मालिक को करीब बारह घंटे तक बैठाये रखा।यहां तक की डीएसपी ने होटल मालिक को इसके लिए दोष मुक्त कर थानाध्यक्ष से जाने देने को कहा लेकिन लक्ष्मी ऐठने की मंशा से उनके आदेश को दर किनार कर दिया।डीएसपी के थाना से चले जाने के बाद जाने देन के एवज मे दो लाख रुपये नजराना की मांग की लेकिन उक्त होटल मालिक देने से इंकार किया।फिर क्या था उस पर पुलिसिया धौस चलने गया।स्थिति को भांप कर साठ हजार नगदी दिया जिसके सीन को मोबाइल से सूट किया गया।कई घंटे बाद दलालों के सूचना पर दलबल के साथ होटल पर पहुंच कर परिणाम भुगतने का धौस देकर मोबाइल छीनकर उक्त सीन को डिलीट कर दिया।लेकिन लगे सीसीटीवी मे यह सीन कैद हो गया।पीड़ित होटल मालिक ने लिखित सूचना डीजीपी को दिया लेकिन करीब चार माह बीत जाने के बाद भी उक्त थानाध्यक्ष पर कारवाई नही होने पर उस होटल मालिक पर दबाव बनाकर और चालीस हजार की मांग करने लगा।यहां तक की थाना पर आये मीडिया एवं नेताओं से यह दम भर रहा है है मुख्यालय का मुखिया जब मेरा स्वजातीय है तो गलत कार्य करने पर विक्षप तो दूर सत्ता पक्ष एवं मीडिया मेरा क्या कर सकता है।इसी का नतीजा है की अपहरण सहित कई कांडों की स्थिति जाने वाले निर्भिक एवं ईमानदार मीडिया से अव्यवहारीक बर्ताव कर दिया।


तीसरी घटना रोसड़ा थाना कांड 141/19 जो लड़की अपहरण का मामला है,कई महिने बीत जाने के बाद भी आज तक अपहृता की बरामदगी का मामला सामने नहीं आया।हालांकि मीडिया के दबाव मे कारण एक को गिरफ्तार कर जेल भेजकर इतिश्री कर दिया गया है।
एक और मामला है शहर के चितर पंजियार मंदिर के आगे परती करीम भूमि पर दलित लोहार कई पीढी से भाती के सहारे परिवार चला रहा है लेकिन दबंगों की सरकारी जमीन हड़पने की चाहत बढ गयी।उसने पुलिस के सहयोग से पूर्व के माह की रात्रि मे पुलिस के इशारे पर ही दूकान को तहस नहस कर कब्जा कर लिया।इस लोहार को तब न्याय मिला जब मीडिया एवं डीएसपी ने सही कार्य परिणाम दिया।
यह ही नहीं शहर मे शराब एवं नशा का धंधा जोरों पर है।यह धंधा तभी फलफूल सकता है जब यहां की पुलिस सहयोग करे।इसी का नतीजा है की शराब के होम डिलेवरी मे तेजी आई है।हाल यह है धार्मिक स्थल के साथ साथ नाला,गली एवं चौराहा पर एक दो नही बल्कि दर्जनों शराब की खाली बोतलें एंव नशा की खाली रैफर मिल जायेगी।सूत्रों की माने तो शराब की होम डिलेवरी के लिए पुलिस प्रति मालवाहक वाहन के लिए तीन पेटी लक्ष्मी रुपी धन लिया जाता है।यही कारण है की थाना के आसपास के नालो मे खाली शराब की बोतलें मिल जा रही है।इनके अलावे अधिकांश होटलों भे शराब परोसा जा रहा जो पुलिस के सहयोग के बिना संभव नहीं है।
इसका प्रमाण हाल मे ही नेता के घर से करीब हाफ सन्चूरी विदेशी शराब का कार्टून बरामद किया लेकिन उन नेता पर कारवाई न हो कर लक्ष्मी के बल पर उसके भाई को आरोपित कर दिया।इसकी जब भनक शहरवासियों को मिली तो थानाध्यक्ष के कार्यशैली पर अंगुलिया उठाने लगा और सूबे के मुखिया पर व्यंग्य की बान चलाने लगा।
आलम यह है की कार्य के बदले आईओ थानाध्यक्ष एवं लोगों के सामने मोलभाव कर नजराना लेते है।
इसका खुलासा तब हुआ जब हमारी टीम ने कई मामलो का हकीकत परिणाम जाने के लिए 9 अगस्त को थानाध्यक्ष एवं अन्य के साथ कुर्सी पर बैठे थे।इसी दौरान आइओ द्वारा नजराना लेने की सीन सूट करने पर उक्त थानाध्यक्ष आपा से बाहर होकर उक्त मिडिया से बदतमीजी पर उतारी हो गया लेकिन उक्त मीडिया अपने निर्णय पर कायम रहा।उन्हें यह भी भय नहीं था सरकार एवं डीजीपी है यह आदेश है की किसी भी मिडिया के साथ बदतमीजी करने पर नपेंगे।
हद तो तब हो गयी जब अपना गुस्सा मीडिया पुत्र पर उतारने की कोशिश किया।गलत कार्यशैली का विरोध मीडिया पुत्र ने भी किया।इसके बाबजूद उसका फोटो कैमरे मे कैद कर धमकी दिया की मेरे गलत कारनामों का विरोध करने कर किसी मे कांड मे फंसा दिया जायेगा।
यहां भी बताना आवश्यक होगा की उस शाम मीडिया पुत्र अपने दोस्तों के साथ 12 सितंबर को अतिथि सत्कार होटल के रेस्टोरेंट मे जन्मदिन पार्टी मना रहा था होटल के बाहर पुलिस गाड़ी मे बैठे थानाध्यक्ष ने चिकेन चिली ला रहे चालक के इशारे पर बाहर से सरकारी हथियार को लहराते होटल मालिक को सूचना दिए बिना रेस्टोरेंट मे प्रवेश कर हथियार से धमकाते हुए कहा की इसमें कन्हैया कौन है।इस पर सभी लड़को ने यह कहा की इसमें कोई कन्हैया नही है ।इसके बाद भी हथियार को दिखाकर सभी का पहचान पत्र चेक किया।अंत मे मीडिया पुत्र को मोबाइल मे फोटो लेकर धमकाया की अगर बाप ने मेरे खिलाफ समाचार प्रकाशित किया तो किसी भी कांड मे फसा देगे।भय के आकोश मे आकर अपने पिता को कहा जिस पर उक्त थानाध्यक्ष से 14 सितंबर को मोबाइल से हकीकत जानने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं कर सका।यही नहीं प्राइवेट तो दूर सरकारी न. भी रिसीव नही करते है।इसका खुलासा डीएसपी ने भी किया है।
इतना ही नही उक्त थानाध्यक्ष इतना दम भरते गलत आरोप के बाद भी मेरा कोई कुछ नहीं कर सकता है।सिर्फ स्थानांतरण ही हो सकता है जो पुलिस मैनुअल मे ईनाम होता है।
यही नहीं शहर की यातायात व्यवस्था भी चरमरा गयी है।शहर मे पुलिस के द्वारा नो पार्किंग जोन के बाद भी इन दिनों पार्किंग स्थल मे बदल गया है।इन जगहों पर कई सरकारी एवं गैर सरकारी बैक के रहने से कस्टमर विशेषकर व्यवसायी को राशि निकालने एवं जमा करने मे कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।हालांकि उस स्थल पर सैफ जवान की तैनाती भी है लेकिन लाचार है क्योंकि कारवाई की प्रक्रिया करने पर पुलिस पदाधिकारी आड़े आ जाते है।
कूल मिलाकर देखा जाय की समाज के प्रति नजरिया सही रखने एवं प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारी की शहर मुख्यालय मे तैनाती के बाद ही सूबे मे अपराध पर अकूंश लग सकता है।साथ ही गलत कार्य मे लिप्त पुलिस पदाधिकारी पर कारवाई करने से पीछे नही हटेगें चाहे स्वजातीय I पुलिस पदाधिकारी क्यै नहीं है।देखना है सरकार एवं वरीय पुलिस पदाधिकारी अमल करते है या नहीं भविष्य के गर्भ मे पड़ा हुआ है।

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