कृषि विभाग- सफलता की कहानी किसान की जुबानी

कृषि विभाग- सफलता की कहानी किसान की जुबानी

जे टी न्यूज़, गया : मैं अनिल कुमार, पिता श्री गिरजेश कुमार, ग्राम कजरी, पंचायत कपसिया, प्रखंड परैया का निवासी हूँ। मेरा उम्र लगभग 50 वर्ष है। मैं स्नातक तक पढ़ाई किया हूँ। मैं वर्ष 2000 से वर्ष 2019 तक एक दवा कम्पनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का कार्य किया है, मेरे कम्पनी में योगदान देने से त्यागपत्र देने तक लगातार परफोर्म रहा। मैं कम्पनी में लगातार 6 वर्ष इंटरव्यू के रुप में विदेश यात्रा भी किया है। में कम्पनी में काम करने के दौरान और उसके पूर्व भी हमेश कृषि कार्य में पूर्ण रुप से अपना रुचि को बरकरार रखा है। मैं कम्पनी में कार्य के दोरान दिल्ली लौटने के दौरा हरियाणा के एक यात्री से ट्रेन में मिला एवं खेती के बारें में बातचीत हुआ है। वर्ष 2015 में उन्होनें मुझे पुसा बासमती धान का बीज उपलब्ध कराया और मैं वर्ष 2015 से ही इस धान का उत्पादन प्रारम्भ किया है। लेकिन मुझे वर्ष 2015 में धान उपजाने का अनुभव कम रहने के कारण अच्छी सफलता नही मिली, इस वर्ष धान में बाली आने के समय झुलसा रोग लग गया जिससे धान का उत्पादन मात्र 10 क्वीं प्रति एकड़ हुआ है। मैं बहुत निराश था लेकिन मुझे हरियाण के व्यापारी से बात हुआ, उसके बाद धान के बिक्री के लिये मैं हरियाणा लेकर गया है। मुझे 12 क्विंटल सोमन का कीमत मिल गया है। उसके बाद मैं निराशा से वापस आना और फिर वापस मुड़ कर नही देखा। मैने वर्ष 2017 से 2020 तक R.W.D में ठेकेदारी का कार्य भी अच्छा किया है। लेकिन उससे मुझे संतुष्टि नही मिला, लेकिन मैं इस धान का खेती करके पिछले तीन चार वर्षों में बिल्कुल संतुष्ट है। मैं इस साल 2023 मैं और भी किसानों कसे खेती करवाया हूँ। जो कि हमोर ग्राम कजरी हम खुद 40 एकड़ में एवं अन्य लोंगाके द्वारा लगभग 50 एकड़ एवं कोंच प्रखंड के विभिन्न गाँवों में लगभग 70 एकड़ एवं टिकारी के विभिन्न गाँवों में लगभग 80 एकड़, शेरघाटी में 20 एकड़ में खेती करवाया हूँ। इस धान में प्रति एकड़ लागत धान रोपनी से कटनी तक लगभग 12900 प्रति एकड़ है। इस में जिन किसानों से वापस धान खरीद कर रहा हूँ। वह लगभग 84000 रुपये में वापस दे रहा है।। इस तरह प्रति एकड़ लगभग 71100 रुपये का मुनाफा हो रहा है। धान को पूर्ण रुप से हाथ एवं रीपर से कटाई कर रहा हूँ। जो कि सरकार द्वारा पराली प्रबंधन में अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग कर रहा हूँ। मैं आने वाले वर्षों में इस धान को 3000 एकड़ में लगवाने का प्रत्यन कर रहा हूँ और इस कार्यक्रम से लगभग 50 लोगों को अपने साथ प्रत्यक्ष रुप से रोजगार देने का प्रयास कर रहा हूँ। इस धान का खेती करनेसे हम सभी किसानों का आर्थिक रुप से जीवन स्तर में सुधार की पूर्ण संभावना है। बाकी खेती में प्राकृतिक खेती का योगदान भी बहुत रहता है लेकिन हम सभी किसानों को इमानदारी से मेहनत करने की जरुरत है, तब ही प्राकृति हमारा साथ देगी।

Pallawi kumari

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