दम है तो कभी “बड़ी मछली” को भी लपेटे में लीजिए साहेब

जे टी न्यूज़, समस्तीपुर

ये गलती आज या तो हम सबकी है या हम सभी मानसिक रूप से गुलाम हो गए है। जी जनाब आपको थोड़ा गुस्सा आ रहा होगा कि हम ऐसा क्यों बोल रहे है जी आप हम सब के सब मानसिक रूप से गुलाम है आज आपके शहर की दुर्दशा क्या है ये बाते किसी से छुपी नही है लेकिन आप मे से कोई इसके लिए नही बोलै। क्यों नही हमें भी लगता है की समस्तीपुर शहर की दुर्दशा के लिए स्थानीय लोग ही ज़िम्मेवार हैं। क्योंकि स्थानीय लोग ही अव्यवस्थाओं को दूर करने का संकल्प लिए थे न! स्थानीय लोगों का ही नारा था:- अच्छे दिन आएंगे। स्थानीय लोग ही संविधान की शपथ लेकर सत्ता में आए हुए हैं। अरे भाई साहब, लोभ और लालच :- लगभग हर व्यक्ति का नैसर्गिक गुण होता है। अगर उसे रोड पर दुकान लगाने की छुट मिलेगी तो वह वहाँ अपना दुकान लगाएगा ही। शहर में व्याप्त अतिक्रमण, खासकर नाले के ऊपर बने फुटपाथ का जिस तरीके से दूकानदारों ने अतिक्रमण कर लिया है, हमलोगों ने कई दफा डीएम साहब को इस संबंध में घेरा है, और डीएम साहब का हर दफा वही रटा- रटाया बयान मिलता है:- इसको दिखवा लेंगे। कोई भी व्यक्ति अगर सड़क अथवा फुटपाथ का अतिक्रमण करता है अथवा सड़क पर कचरा फेंकता है, तो वह कानून का उल्लंघन कर रहा है, और कानून चलाने वाले लोग, चाहे वह पीएम हो, सीएम हो या डीएम हो:- उनकी पूरी जिम्मेवारी बनती है की कहीं भी कानून का उल्लंघन न होने पाये और अगर जहां कानून का उल्लंघन होता है तो इसके लिए दोषी व्यक्ति से ज्यादा दोषी, वे नीति- निर्धारक तत्व हैं, जिनका काम हर हाल में कानून लागू कराना होता है। इसलिए कभी समय मिले तो “बड़ी मछली” को भी कटघरे में खड़ा करिए। आखिर कब तक सत्ता के साथ चापलूसी करते हुए, आम जनता को हर समस्या के लिए दोषी मानते हुए, सरकार को “क्लीन चीट” देते रहिएगा।

Related Articles

Back to top button