तालाब को गंदा न करे- डा रामकृष्ण

तालाब को गंदा न करे- डा रामकृष्ण

जे टी न्यूज़ , गया : इस तरह तालाव को गंदा न कर। प्रेम की सौगात को फंदा न कर।।उड़ रहे आकाश में नारे अगर ।

गड़े मुर्दों को कभी जिंदा न कर।बहुत चमगादड़ चिपकते शाख से। उनकी खुशियों केलिए चन्दा न कर।एक ही थाली के बैगन सब लगे। किसी की बैरी समझ निन्दा न कर।शब्द अच्छे -भले बारूदी हुए।

पूर्वजों की महत्ता मंदा न कर।एक ही छत में गुजारा हो सके। सभी अपने हैं दिगर बंदा न कर।

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