हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है

जे टी न्यूज़, विभूतिपुर/समस्तीपुर:

15 जनवरी 2024 को सूर्य मकर राशि में 8:42 में प्रवेश करेंगे इस दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी सूर्य का धनु राशि से से मकर राशि में जाना ही मकर संक्रांति कहलाता है मकर संक्रांति धार्मिक महत्व विभूतिपुर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित बाबू साहब झा के अनुसार 100 गुना फलदाई है दान मान्यता है कि इस दिन किया गया दान 100 गुना पुण्य दाईहोता है

मांगलिक कार्य शुरू मकर संक्रांति से अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाती है क्योंकि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं इसके बाद से सारे मांगलिक कार्य विवाह मंडल उपनयन संस्कार देवड़ी प्रतिष्ठा आदि शुरू हो जाते हैं इस दिन पूजा पाठ दान तीर्थ नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है पौराणिक कथा के अनुसार भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था लेकिन दक्षिणायन सूर्य होने के कारण बालों की सैया पर रहकर उत्तरायण सूर्य का इंतजार करके मकर संक्रांति होने पर उत्तरायण में अपनी देह का त्याग किया ताकि वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाए गंगा जी धरती पर आई मां गंगा मकर संक्रांति वाले दिन पृथ्वी पर प्रकट हुई गंगाजल से ही राजा भगीरथ के 6000 पुत्रों को मोक्ष मिला था इसके बाद गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम के बाहर सागर में जाकर मिल गई सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है ठंड की वजह से सुख करते लोगों को सूर्य के तेज प्रकाश के कारण शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है

पुराण और विज्ञान दोनों में मकर संक्रांति अर्थात उत्तरायण सूर्य का अधिक महत्व है सूर्य के उत्तरायण से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं कहते हैं उत्तरायण में मनुष्य प्रगति की ओर अग्रसर होता है अंधकार से और प्रकाश में वृद्धि एवं दिन की अवधि बढ़ाने के कारण मानव की शक्ति में भी वृद्धि होती है सूर्य की गति के अनुसार होती है तिथि का निर्धारण प्रत्येक 70 से 80 वर्षों में मकर संक्रांति की तिथि अंग्रेजी तारीख से 1 दिन आगे बढ़ जाती है

वर्ष 1902 में पहली बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया था उससे पूर्व यह पर्व13 जनवरी को मनाया जाता था इसलिए यह कहना की मकर संक्रांति पर्व सहदेव 14 जनवरी को ही मनाया जाता था उचित नहीं है बहुत जल्द मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी को अस्थाई रूप से मनाए जाने लगेगी मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी सोमवार 8:42 सुबह से 3:06 तक रहेगी

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