कला शिक्षक मूर्तिकार राजेश कुमार ने डा किरण सेठ का गंगा की मिट्टी में बना डाला लाइव पोट्रेट

स्पिक मैके बिहार के इंस्टाग्राम व ट्विटर पेज पर अपलोड करते ही हो गया वायरल

कला शिक्षक मूर्तिकार राजेश कुमार ने डा किरण सेठ का गंगा की मिट्टी में बना डाला लाइव पोट्रेट

स्पिक मैके बिहार के इंस्टाग्राम व ट्विटर पेज पर अपलोड करते ही हो गया वायरल

जे टी न्यूज, अररिया:
स्पिक मैके यानि सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग असिस्टेंट यूथ, एक गैर राजनीतिक, राष्ट्रव्यापी, स्वैच्छिक आंदोलन है। जो स्कूल-कॉलेजों में पढ़ रही युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए इस सांस्कृतिक मुहिम की शुरुआत वर्ष 1977 में आइआइटी दिल्ली के एमेरिटस प्रोफेसर डा. किरण सेठ ने की थी। शुक्रवार को इसी उद्देश्य से अररिया के पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय में साईकिल यात्रा करते हुए पधारे । विद्यालय के प्राचार्य के विशेष अनुरोध पर उनके आगमन पर अररिया चांदनी चौक पर उनका स्वागत किया गया और विद्यालय पहुंचकर बच्चों के बीच अपनी लंबी अंतर्यात्रा को संवाद के माध्यम से साझा किया साथ ही बच्चों भारतीय कला, संस्कृति और शास्त्रीय संगीत को जीवन से जोड़ने और उसके महत्व पर चर्चा की एवं अनेक दिग्गज संगीतकारों के बारे में बताया। विद्यालय के बच्चों एवं कर्मचारियों के लिए यह अनुभव प्रभावकारी रहा। कला और संगीत के प्रति विशेष रूझान रखने वाले विद्यालय के कला शिक्षक मूर्तिकार राजेश कुमार ने भी इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को और नया आयाम दिया।

 

उन्होंने डा किरण सेठ को एक दो बैठकें देने का अनुरोध किया और उन्हें सामने बैठाकर एक घंटे में गंगा की मिट्टी में लाइव पोट्रेट बना डाला। मौके पर उपस्थित विद्यालय के प्राचार्य व अन्य देखते ही देखते मिट्टी के लौंदे को एक धरोहर के रूप में डा किरण सेठ की प्रतिमूर्ति बनते देख हतप्रभ थे। जिसका विडियो स्पिक मैके बिहार के इंस्टाग्राम व ट्विटर पेज पर मनीष सिन्हा ने अपलोड करते ही वायरल हो गया। इससे पुर्व भी अररिया के सुप्रसिद्ध नानू बाबा की लाइव पोट्रेट बना कला शिक्षक राजेश काफी चर्चित रहे। लोगों ने रील्स के माध्यम से वायरल किया। मूर्तिकार राजेश कुमार कला, साहित्य और संगीत से विशेष लगाव रखने हैं , इन्होंने अनेक साहित्यकारों एवं संगीतकारों की लाइव पोट्रेट बनायें है, जिनमें पद्मश्री अनूप जलोटा, पद्मविभूषण पंडित जसराज, पद्मविभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा, पद्मश्री पंडित माधव गुड़ी, पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया आदि सैकड़ोंh पोट्रेट बनाये जिसे धरोहर को संजोने का अनुभव रखने हैं। वे कहते हैं डा किरण सेठ से मिलना,उनकी सादगी और उनकी यात्रा को करीब से जानने का सुनहरा मौका इस शिल्प के माध्यम से अमिट निशानी के रूप में संग्रहित रहेगा।

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