क्या चुनाव आयोग चुनाव में जय श्रीराम जैसे धार्मिक नारे लगाने वालों पर कार्रवाई करेगा*
क्या चुनाव आयोग चुनाव में जय श्रीराम जैसे धार्मिक नारे लगाने वालों पर कार्रवाई करेगा*
जे टी न्यूज, बेतिया: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि आज लोकसभा चुनाव के दौर में भारतीय जनता पार्टी और उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खुलेआम हिंदू राष्ट्रवाद की बात की जा रही है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आतंकवाद और ज्यादे बच्चे पैदा करने वाले शब्द बोले जा रहे हैं। इतना ही नहीं भगवान राम, भगवान कृष्ण, बजरंगबली और शंकर जी के नाम पर वोट मांगा जा रहा है ।उनके चुनावी सभा में जय श्री राम के नारे के साथ शंखनाद किया जाता है । जो किसी भी स्थिति में भारतीय संविधान संगत हो ही नहीं सकता । जब शिवसेना के ठाकरे द्वारा जय भवानी का नारा दिए जाने पर चुनाव आयोग कारवाई के लिए नोटिस देता है । जब इसके खिलाफ विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री पर उंगली उठाया जाता है ,उन पर मुसलमान को भयभीत करने के आरोप लगाए जाते हैं ।तो प्रधानमंत्री और भाजपा द्वारा तुष्टिकरण का इल्जाम लगा दिया जाता है । लेकिन जब शिवसेना के ठाकरे द्वारा जय भवानी का नारा दिया जाता है।तो चुनाव आयोग उस पर सख्त कार्रवाई के लिए नोटिस भेज देता है। तो इसे चुनाव आयोग की दोगली नीति कहा जाय या चुनाव आयोग की निष्पक्षता।
आज बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान की रक्षा और संविधान प्रदत्त लोकतंत्र की रक्षा हमारे सामने प्रमुख विषय बना हुआ है। जब देश का प्रधानमंत्री स्वयं धार्मिक वेशभूषा में धर्म गुरुओं की जगह नजर आने लगते हैं । जब प्रधानमंत्री स्वयं भगवान राम को 500 साल बाद छत की छाया देने की बात करते हैं । जब चुनाव के दौर में प्रधानमंत्री द्वारिका जाकर ऑक्सीजन युक्त टोपी पहनकर पानी में डुबकी लगाकर द्वारिकाधीश का साक्षात दर्शन प्राप्त होने की बात करते हैं । जब देश का प्रधानमंत्री बनारस पहुंचने के बाद भगवान शंकर ने मुझे बुलाया है का इजहार करते हैं। जब प्रधानमंत्री चुनावी सभाओं पर प्रतिबंध लगने के बाद केदारनाथ के एक गुफे में बैठकर भगवा धारण कर देश की रक्षा के लिए माला जपने लगते हैं और इनका गोदी मीडिया , हिंदी अखबारों द्वारा बड़े धूमधाम से इनकी एक-एक गतिविधियों को लोगों तक प्रतिबंधित समय में भी अपना प्रचार जारी रखते हैं और उसे बड़े ही कलात्मक तरीके से आम मतदाताओं तक पहुंचाया जाता है ।तो चुनाव आयोग को यह नजर नहीं आता। उन पर कोई कार्रवाई नहीं बनती। वहीं जब विपक्ष के इंडिया गठबंधन के लोग इनके करतूतों की चर्चा मात्र भर कर देते हैं । तो उसमें चुनाव आयोग को त्रुटियां नजर आने लगती है और उन पर आचार संहिता का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाकर दंडित करने का कार्य शुरू हो जाता है ।
यह सब इसलिए हो रहा है। क्योंकि यह करने में हमें कोई गुरेज नहीं है कि प्रधानमंत्री अपने दल के दो वरिष्ठ मंत्रियों के बहुमत से चुनाव आयोग का चयन किया है। जो उनके इशारे पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध भी नजर आता है । यह चुनाव आयोग के जे राव या टी एन शेषन का याद नहीं दिलाता । बल्कि प्रधानमंत्री के तोते की याद दिलाता है । इसलिए यह सवाल देश की स्मिता से जुड़ा हुआ है । संविधान से जुड़ा हुआ है और इसकी रक्षा की पूरी जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय के ऊपर चला जाता है । लोकसभा चुनाव इस मुद्दे पर निर्णय देने वाला है कि भारत की संविधान जो जनता के लिए जनता के द्वारा जनता की सरकार बनाती है ।
अब उसकी जगह पर हिंदू राष्ट्रवाद की मात्र कल्पना के आधार पर इस संविधान को समाप्त कर एकात्मक वाद यानी की देश में फासीवाद के संविधान को कायम करने की योजना बनाकर आरएसएस , भाजपा और नरेंद्र मोदी द्वारा यह चुनाव लड़ी जा रही है। जिसका सिर्फ एक मुद्दा है और वह भी प्रधानमंत्री खुद अपने ही मुंह से लोगों के बीच गंभीर आवाज में बोलते हैं।अबकी बार 400 पार। अब की बार 400 पार। इसलिए कि बाबा साहब अम्बेडकर के द्वारा निर्मित संविधान को करना है दरकिनार।