एक बार लौट आओ
एक बार लौट आओ……
जे टी न्यूज
ढलती मोहब्बत की शाम हो चली।
कभी अपनी दीद कराओ तो सही।
कब से ढूंढती है नजरें तुम्हें पागल।
इन आंखों में ठहर जाओ तो सही।
तुम्हारे बिन हर बात अधूरी लगती है।
मिलते पर मुलाकात अधूरी लगती है।
क्या कारण है इस तन्हाई का बता दो।
मोहब्बत क्या कोई मजबूरी लगती है ।
क्यों यह बेबसी से दोनो के हालात है।
क्यों घट रहे अंदर दोनों के जज्बात है
रूठ जाने का कोई तो सबब होगा कहो
वक्त की कमी थी या कुछ और बात है।
दो पल इन आंखों में उतर जाओ तो सही।
मोहलत थोड़ी दे मुझे आजमाओ तो सही।
आज तोड़कर हर रस्मो रिवाज की दीवारें।
एक बार सरिता में समा समाओ तो सही ।
सरिता सिंह गोरखपुर