बढ़ते वायु प्रदूषण से इंसानों सहित कीट पतंगों की दुनिया भी हो रही है तबाह हवा को शुद्ध करने के लिए करना होगा देश व्यापी प्रयास- हेमलता म्हस्के
बढ़ते वायु प्रदूषण से इंसानों सहित कीट पतंगों की दुनिया भी हो रही है तबाह
हवा को शुद्ध करने के लिए करना होगा देश व्यापी प्रयास- हेमलता म्हस्के
जे टी न्यूज
हवा हमारे तन में जान डालती है और अब हवा ही जान लेने लगी है, क्योंकि वह शुद्ध नहीं रह गई है दिनोदिन प्रदूषित होने लगी है और इसके कारण लोगों की जान भी जा रही है । अपने देश में अब शुद्ध हवा के लिए अपनी कोशिश तेज करनी होगी क्योंकि देश
में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है,। एक ताजा अध्ययन से जो पता चला है, वह बेहद चिंता का विषय है। अगर हम जल्दी नहीं चेते तो वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी होती जायेगी। रुकेगी नहीं। वायु प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्य जगत बल्कि पशु पक्षियों और कीट पतंगों की दुनिया भी तबाह होने लगी है। हाल में एक अध्ययन में दावा किया गया है कि देश के 10 शहरों में हर साल 34 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण के चलते हो रही है। यह अध्ययन द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में छपा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साफ हवा के मानक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साफ हवा के मानकों से पहले ही ज्यादा हैं, लेकिन कई शहरों में तय मानकों से भी कई गुना ज्यादा प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है। इसके चलते लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। खासकर महिलाएं बड़ी संख्या में अनीमिया की रोगी बनती जा रही हैं।
भारत में सबसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक वायु प्रदूषण है। 20 21 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 63 केवल भारत में है। नई दिल्ली को दुनिया में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाली राजधानी का नाम दिया गया है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि देश के 48% शहरों में पीएम 2.5 गुणवत्ता दिशा निर्देश स्तर से 10 गुना अधिक है। वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, औद्योगिक कचरा, खाना पकाने से निकलने वाला धुआं, निर्माण क्षेत्र, फसल जलाना और बिजली उत्पादन भारत में वायु प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत हैं। बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण के कारण देश की कोयला, तेल और गैस पर निर्भरता इसे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्रदूषक देश बनाती है, जो हर साल वायुमंडल में 2.65 बिलियन मिट्रिक टन से अधिक कार्बन का योगदान करती है। नवंबर 2021 में वायु प्रदूषण इतना गंभीर हो गया कि दिल्ली के आसपास के कई बड़े बिजली कारखाने बंद करने पड़े।
अभी हाल के एक
रिपोर्ट के अनुसार, देश के 10 शहरों- अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में साल 2008 से 2019 के बीच किए गए अध्ययन के मुताबिक देश के 10 शहरों – अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में, प्रति वर्ष लगभग 34000 मौतें वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण होती हैं, जो डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों से अधिक है। सबसे प्रदूषित शहरों में औसतन हर दिन होने वाली म्यूट में से 7.2 फ़ीसदी का संबंध हवा में मौजूद धूलकण पीएम 2.5 से है।
राजधानी दिल्ली
मुंबई, बंगलूरू, कोलकाता और चेन्नई में बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं, लेकिन राजधानी दिल्ली में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण से जनित बीमारियों से हर साल 11964 लोगों की मौत हुई है, जो देश में हुई कुल मौतों का 11.5 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अपने स्वच्छ वायु मानदंडों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुरूप लाने के लिए काफी काम करने की जरूरत है और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास दोगुने रफ्तार से करने की जरूरत है।
शहर अपनी कुछ विशेषताओं के लिए जाना जाता है। शहर आर्थिक विकास के साथ स्थानीय विकास को सक्षम करने और तकनीक की मदद से नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शुमार किए जाते रहे हैं । अब चिंता की बात यह है कि अब वहां प्रदूषण से मौतें होने लगी हैं और इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस पर रोक के लिए कोई मुकम्मल कोशिश भी नहीं की जा रही है।
दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा मौतें वाराणसी में हुई हैं, जहां हर साल 831 लोगों की जान गई है, जो कुल मौतों की संख्या का 10.2 प्रतिशत है। वहीं बंगलूरू में 2,102 चेन्नई में 2870 कोलकाता में 4678 और मुंबई में करीब 5091 लोगों की मौत हर साल वायु प्रदूषण के चलते हुई है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सबसे कम वायु प्रदूषण पाया गया है। हालांकि अभी भी पहाड़ी शहर में वायु प्रदूषण का स्तर एक जोखिम बना हुआ है। शिमला में हर साल 59 मौतें हुई हैं, जो कुल मौतों का 3.7 प्रतिशत है। यह रिपोर्ट सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव, अशोका यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल, स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड और बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तैयार की है।
वायु प्रदूषण मानव जगत के साथ पशु पक्षी और कीट पतंगों की दुनिया को भी प्रभावित कर रहा है। जहरीली गैसों का पूरा असर पूरी जैव विविधता को खत्म करने पर तुला है। इस कड़ी में वे सूक्ष्म किट भी शामिल हैं जो हमें अक्सर हवा में उड़ते हुए दिखते हैं। यह सूक्ष्म कीट कचरे का विघटन, मानव जीवन और फसलों के चक्रीकरण के लिए बेहद जरूरी हैं। इनकी अहमियत मानव जीवन में प्रत्यक्ष तो नहीं दिखती लेकिन ये कीट अप्रत्यक्ष रूप से इंसान को हर स्तर पर मदद करते हैं। वायुमंडल में बढ़ते प्रदूषण की मोटी परत ने इन कीटों की जिंदगी तबाह कर दी है। कीटों के भोजन तलाशने से लेकर साथी से मिलन, संतति निर्माण और उनके विकास की प्रक्रिया नष्ट हो चुकी है। कीटों के सूचना तंत्र को धुएं और गैसों ने परेशान कर उन्हें रास्ते से भटका दिया है। वायु प्रदूषण न केवल शहरों के आसपास बल्कि दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में भी कीट पतंगों की आबादी को प्रभावित कर रहा है। शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण के चलते आने वाले कुछ दशकों में दुनिया के 40 फ़ीसदी कीट खत्म हो जाएंगे । एक अन्य अध्ययन से यह भी पता चला है कि 1990 के बाद से कीट पतंगों की आबादी में 25 फीसदी कमी आई है। अनुमान है कि ये कीट हर दशक में करीब नौ फीसदी की दर से कम हो रहे हैं।
वहीं अपने देश में बढ़ती जहरीली हवा महिलाओं को खून की कमी का शिकार बना रही है। घर के अंदर के वायु प्रदूषण से महिलाओं में सांस, आंख और दिल के रोगों के साथ एनीमिया का स्तर बढ़ा है। एनीमिया का असर महिलाओं को घर के अंदर के वायु प्रदूषण से ज्यादा होता है। घर के भीतर हवा केवल खाना बनाने से नहीं, बल्कि रोशनी और गर्मी से भी दूषित होती है। वायु प्रदूषण कटते जंगल, खत्म होती हरियाली और बढ़ते शहरीकरण के कारण तेजी से बढ़ा है।
अब घरों में इनडोर प्लांट्स और किचन गार्डन का कॉन्सेप्ट भी खत्म हो चुका है। महिलाएं अपनी शारीरिक संरचना, प्रजनन, संतुलित आहार न लेने, रसोई में अधिक समय बिताने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र ना होने के कारण वायु प्रदूषण से अधिक प्रभावित होती है। वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाले एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स और शिकागो विश्वविद्यालय स्थित एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि उत्तर भारत में खराब हवा के कारण सामान्य इंसान की जिंदगी करीब 7.5 साल कम हो रही है। पिछले सालों में तीन प्रतिष्ठित रिपोर्टर्स में कहा गया है कि भारत में 10 से 12 लाख लोग प्रदूषित हवा से मर रहे हैं । पहले लेसेंट रिपोर्ट जिसने 20 15 में 10 लाख भारतीयों के वायु प्रदूषण से मरने की बात कही है। वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए देशव्यापी प्रयासों की जरूरत है। पूरे दक्षिण एशिया में महिलाएं वायु प्रदूषण से बड़ी संख्या में बीमार पड़ रही हैं। सभी इस बात को स्वीकार करते हैं कि हरे भरे स्थान जीवन और स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं इसलिए हमें पर्यावरण के अनुकूल अपनी जीवन शैली विकसित करनी होगी। बावजूद हम वायु प्रदूषण बढ़ाने में लगे हुए हैं। अब समय आ गया है कि हम वायु प्रदूषण खत्म करने के कारगर उपायों को लागू करें।