दुनिया भर में सिर्फ दांतों के लिए हर साल मारे जाते हैं बीस हजार हाथीé

भारत में 30 हजार हाथी हैं पर बढ़ रहे हैं उनके सामने संकट - हेमलता म्हस्के

दुनिया भर में सिर्फ दांतों के लिए हर साल मारे जाते हैं बीस हजार हाथी

भारत में 30 हजार हाथी हैं पर बढ़ रहे हैं उनके सामने संकट – हेमलता म्हस्के

जे टी न्यूज, मुंबई: अपने देश में हाथियों की संख्या बढ़ रही है लेकिन मनुष्य के साथ उनके संबंध बदतर होते जा रहे है। सिर्फ उनके दांतों के लिए ही दुनिया भर में हर साल बीस हजार से अधिक हाथियों की जान ले ली जाती है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ओडिशा और झारखंड के जंगलों में इंसानों के बढ़ते दखल के कारण हाथी अपने नए ठिकानों की खोज में छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर रहे हैं। इन राज्यों से गुजरते हुए हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की ओर भी जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ के करीब दो हजार वर्ग किलोमीटर में फैले सीतानदी उदंती टाइगर रिजर्व में पांच साल पहले तक हाथी नहीं थे वहां अब सैकड़ों हाथी हो चुके हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि इंसानों को हाथियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने चाहिए।छत्तीसगढ़ में इस समय हाथियों की संख्या 360 हो गई है।
देश में इस समय हाथियों की कुल संख्या 30 हजार से ज्यादा होने का सरकारी अनुमान है। भारत में उपलब्ध 33 एलीफेंट रिजर्व 80777 वर्ग किलोमीटर में विस्तार लिए हुए हैं। साल 2017 की गणना के मुताबिक सबसे ज्यादा हाथी कर्नाटक में 6049 हैं। 5719 हाथी असम और 3054 केरल में हैं।


विश्व हाथी दिवस हर साल 12 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य हाथियों के संरक्षण और और सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा इसे बढ़ावा देना है। यह एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है और हाथियों के समक्ष आने वाली समस्याओं पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना ही इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य है।  सन् 2011 में एलिफेंट रिइंट्रोडक्शन फाउंडेशन और फिल्म निर्माताओं पेट्रीसिया सिम्स एवं माइकल क्लार्क द्वारा विश्व हाथी दिवस को मनाने का फैसला किया गया और पहली बार अंतरराष्ट्रीय हाथी दिवस 12 अगस्त 2012 को मनाया गया। दुनियाभर में जिस तरह शेर/ बाघों की संख्या लगातार कम हो रही है और उनके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो चुका है, उसी तरह हाथी दांत की तस्करी के कारण हाथियों की सुरक्षा पर भी संकट गहराया हुआ है।
वन्य जीवों के बचाव में सक्रिय संगठनों और संस्थाओं के मुताबिक
भारतीय हाथी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में रहते हैं। जैसे-जैसे मानव आबादी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मानवीय गतिविधियाँ भी बढ़ रही हैं जो हाथियों के प्राकृतिक आवास पर अतिक्रमण कर रही हैं। इन मानव निर्मित खतरों ने हाथियों के लिए कई चुनौतियाँ पैदा की हैं, जिनमें आवास का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-हाथी संघर्ष शामिल हैं ।


अपने आकार और शक्ति के कारण, हाथियों को शायद ही कभी अन्य जानवरों द्वारा शिकार किए जाने की चिंता करनी पड़ती है । उनके लिए सबसे बड़ा खतरा इंसानों से आता है।
हाथियों के लिए सबसे बड़ा खतरा पर्यटन और मनोरंजन उद्योग से है। अच्छे इरादे वाले पर्यटकों को हाथियों के साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे कि सवारी, धुलाई, नहलाना और खिलाना।
हालांकि ये हानिरहित लगते हैं, लेकिन इन पर सवारी करना हाथियों का स्वाभाविक व्यवहार नहीं है। ये पर्यटक अक्सर हाथियों को काफी तकलीफ देते हैं।
सर्कस और हाथी शो भी ऐसी ही चिंताएँ पैदा करते हैं। इन शो में हाथियों को कई तरह की अप्राकृतिक (और कभी-कभी दर्दनाक) गतिविधियाँ करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जैसे कि अपने पिछले पैरों पर खड़े होना। फिर उन्हें शोरगुल वाले, डरावने माहौल में प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो जानवरों के कल्याण की कीमत पर मानव मनोरंजन पर केंद्रित होता है।
यहां तक ​​कि कथित तौर पर नैतिक पर्यटक अनुभव, जैसे ‘अभयारण्यों’ में सहायता करना और हाथियों को नहलाना, हाथियों के लिए दर्दनाक होते हैं। ये व्यावसायिक उपक्रम हैं जहां जानवरों को कम उम्र से ही दर्द और डर का सामना करना पड़ता है ताकि उन्हें आज्ञाकारी बनने के लिए मजबूर किया जा सके।
हाथी दांत की वास्तविक कीमत के बारे में बढ़ती जागरूकता के बावजूद, यह अनुमान लगाया गया है कि शिकारी अभी भी हर साल लगभग 20,000 हाथियों को उनके दांतों के लिए मार देते हैं।


इस स्तर पर हत्या से हाथियों की आनुवंशिकी में भी बदलाव आ सकता है । जंगली हाथी तेजी से छोटे दांतों के साथ या यहां तक ​​कि बिना दांतों के पैदा हो रहे हैं। ऐसा कम से कम आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि शिकारियों द्वारा बड़े दांतों वाले व्यक्तियों को जीन पूल से हटा दिया जाता है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम सभी वन्य जीवों के साथ हाथियों के साथ सामंजस्य बिठाने की अपनी कोशिशों को बढ़ाएं।

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