एक स्कूल जहां तमाम सरकारी कायदे-कानून प्रबंध समिति की जेब में

शिक्षा भवन के पुराने कर्मी की बरसती है मेहर इस स्कूल पर

एक स्कूल जहां तमाम सरकारी कायदे-कानून प्रबंध समिति की जेब में

शिक्षा भवन के पुराने कर्मी की बरसती है मेहर इस स्कूल पर

जे टी न्यूज , समस्तीपुर : आपको पता है शहर में एक स्कूल ऐसा भी है जहाँ तमाम सरकारी नियम, कायदे-कानून प्रबंध समिति के सचिव की जेब में रहते हैं? चाहे शिक्षक नियुक्ति का मामला हो या परीक्षा के लिए स्कूल का अधिग्रहण, बच्चों के साइकिल पोशाक राशि का वितरण हो या पढाई लिखाई हर चीज वही तय करते हैं। यहां तक कि जिला शिक्षा पदाधिकारी भी इस विद्यालय की मनमानी में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं या फिर उनकी भी यहां कुछ नहीं चलती। वह विद्यालय है शहर के बीचोबीच स्टेशन रोड स्थित मिल्लत एकेडमी। यह विद्यालय कम धर्मशाला अधिक प्रतीत होता है। यहां पढाई कम शादी व्याह सहित अन्य निजी व सामाजिक कार्य अधिक होता है। गौरतलब है कि इस विद्यालय में विद्यालय में मात्र एक आदेशपाल नियमित कर्मी के रूप में है। शेष तीन सहायक शिक्षक एक प्रभारी प्रधानाध्यापक धर्मेन्द्र प्रबंध कमिटी द्वारा नियोजित हैं। मगर परीक्षा कार्य सरकारी कार्य केलिए भी अधिग्रहण करने की औपचारिक प्रक्रिया पूरा नहीं किया जाना इस विद्यालय के बिगडे हुए सिसटम का आईना है। इस कडी में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आज से आरंभ बारहवीं की परिक्षा केलिए मिल्लत एकेडमी को परीक्षा केन्द्र बनाया गया है। यहां केन्द्राधीक्षक के रूप में तिरहुत एकेडमी के प्रधानाध्यापक अंजार रहमानी को प्रतिनियुक्त किया गया है। शुक्रवार को श्री रहमानी सीधे विद्यालय पहुंचे और बिना अधिग्रहण की औपचारिकता पूरी किये विद्यालय के कर्मियों के विद्यालय परिसर में नहीं रहने की सुचना दीवार पर चिपका कर अपने काम में जुट गये। इसके पुर्व कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने पत्र जारी कर मिल्लत एकेडमी के प्रभारी प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षकों को निकट के विद्यालय में उपस्थिति दर्ज कराने संबंधी पत्र जारी कर रखा है। दिये। सवाल यह है कि इस विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों को परीक्षा कार्य से अलग क्यों रखा गया? परीक्षा केन्द्र घोषित होने के बाद केन्द्राधीक्षक ने प्रभारी प्रधानाध्यापक के साथ अधिग्रहण की औपचारिकता किसके इशारे पर नहीं की? क्योंकि पुर्व में केन्द्राधीक्षक बाकायदा अधिग्रहण के उlपरांत ही परीक्षा कार्य संपादित करते थे और परीक्षा के बाद प्रत्यर्पण की औपचारिकता के बाद ही विद्यालय छोडते थे। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसी साल जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी पता चल गया है कि यह विद्यालय नहीं धर्मशाला है, जहां कोई भी कार्य किया जा सकता है और उन्होंने ही कोई इस आशय का निर्देश दे कर श्री रहमानी को भेजा हैं। बहरहाल मामला जो भी हो मिल्लत एकेडमी शिक्षा विभाग में व्याप्त तमाम गडबडियों की पोल खोलता प्रतीत अवश्य होता है।

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जानकार सुत्रों की माने तो मिल्लत एकेडमी के सचिव की मनमानी को जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के एक सबसे पुराने कर्मी का संरक्षण प्राप्त है। जानकार तो ये भी बताते हैं कि उक्त कर्मी पर भरोसा कर पदाधिकारी बिना पढे या छानबीन किए किसी कागज पर हस्ताक्षर कर देते हंै। इसी प्रकार उक्त कर्मी द्वारा मिल्लत एकेडमी से जुडे सभी मामलो के कागजात पर उनसे हस्ताक्षर ले लिया जाता है। बदले में मिल्लत के सचिव से समय-समय पर उपहार आदि से उपकृत भी होते रहते हैं। इस विद्यालय के सभी कर्मियों को परीक्षा कार्य से अलग रखने की वजह बताते हुए शिक्षा भवन के एक कर्मी ने बताया कि शिक्षक नियुक्ति मामले में अल्पसंख्यक आयोग द्वारा तय नियम व कायदे का अनुपालन नहीं किये जाने के बावजूद उक्त कर्मी ने शिक्षकों की बहाली को भी शिक्षा पदाधिकारी से अनुशंसित करा लिया गया होगा। लेकिन उन्हें परीक्षा कार्य से अलग रख कर उक्त कर्मी ने अपनी गर्दन बचाई है।

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