सिर्फ नदिया ही नहीं, महासागर में भी संकट बेहिसाब घट गई समुद्र को साफ करने वाली व्हेल शार्क मछली
सिर्फ नदिया ही नहीं, महासागर में भी संकट
बेहिसाब घट गई
समुद्र को साफ करने वाली व्हेल शार्क मछली
हेमलता म्हस्के
सिर्फ अपने देश में ही नहीं, दुनिया के विभिन्न मुल्कों के महासागरों में बहुत बड़े आकार की दिखने वाली व्हेल शार्क मछली की संख्या तेजी से घट रही है । व्हेल शार्क दुनिया की सबसे बड़ी मछली है। यह 60 फीट लंबी होती है और इसका वजन 20 टन से अधिक हो सकता है। व्हेल शार्क के कई सौ दांत होते हैं
लेकिन वे उन्हें खाने के लिए इस्तेमाल नहीं करती हैं। यह मछली मांसाहारी होती है, क्रिल, केकड़ा, मछली के लार्वा, छोटी मछलियां और जेली फिश खाती है। इस प्रजाति की मछली की जीवन जीने की उम्र 20, 40 या 100 वर्षों के बीच होती है। व्हेल शार्क फिल्टर फीडर के रूप में महासागरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्लॉवक और छोटी मछलियों को खाकर यह समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मददगार होती है और समग्र जैव विविधता में अहम भूमिका निभाती है। 8 घंटे की अवधि में समुद्र का लगभग 10000 गैलन पानी पीती है । साठ फीट लंबी होने के कारण सभी सोच सकते हैं कि वह जो चाहे, खा ले। आदमी को भी एक बार में ही पूरी तरह निगल ले लेकिन वह केवल प्लॉवक सूक्ष्म पौधों और जानवरों को ही खाती है। जानकारी के मुताबिक व्हेल शार्क का मुंह 20 विशाल पैड से ढका होता है जिनमें सैकड़ों छोटे-छोटे छेद होते हैं। जैसे ही समुद्री पानी अंदर जाता है ये पैड भोजन को छान लेते हैं फिर पानी गलफड़ों से बाद में बाहर आ जाता है।
ऐसे दुर्लभ व्हेल शार्क की आबादी घट रही है। मात्र 75 साल में ही इसकी आबादी 50 फीसदी घट गई है।इसकी चिंता जताते हुए प्रकृति के संरक्षण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय मंच ने (आईयूसीएन) अपनी रेड लिस्ट में लुप्त प्रायः प्रजाति के रूप में इस मछली को आंका है। अपने देश में इस प्रजाति को वन्य जीव( संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है जो उसे उच्चतम संरक्षण का दर्जा प्राप्त प्रदान करता है । यह जानकारी डब्ल्यू डब्ल्यू ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में शोधकर्ता पियर्स और नॉर्मन के हवाले से दी गई है ।
हम अपनी भौतिकवादी भूख और आकांक्षाओं की पूर्ति के कारण महासागर हितैषी इस विशाल मछली को भी नहीं बक्श रहे हैं। व्हेल शार्क की आबादी घटने का मतलब हम प्राकृतिक रूप से प्राप्त संसार के ढांचे को छिन्न भिन्न करने पर तुले हुए हैं । यह पर्यावरण के साथ भी खिलवाड़ है। इस मछली का केवल व्यवसायिक लाभ के लिए शिकार किया जाता है। व्हेल शार्क का ऐतिहासिक रूप से उनके बड़े आकार तेल, पंख और शरीर के अन्य अंगों जैसे उत्पादों के बहुत कीमती होने के कारण इनका शिकार किया जाता है । इसकी चमड़ी से बेशकीमती पर्स और बैग बनाए जाते हैं। एशियाई देशों में शार्क फिन सूप एक स्वादिष्ट व्यंजन है। इस मछली के शरीर के सभी अंग बेशकीमती हैं। इसके शिकार की असली वजह यही बताई जाती है। इसके शिकार करने वाले का कोई पता नहीं। इसका प्राकृतिक शिकारी कोई नहीं है । इसको मनुष्य ही अपने कथित फायदे के लिए नष्ट कर रहा है।
लेकिन यह बात भी सामनेआई है कि ब्लू मार्लिन और ब्लू शार्क इस मछली का शिकार करते हैं। इन लुप्त प्रायः हो रही मछलियों के लिए सबसे बड़ा खतरा मनुष्य है जिनका वे अवैध रूप से शिकार करते हैं और उन्हें मनमाने दामों पर भोजन के रूप में बेचा जाता है ।
भारत में व्हेल शार्क पाई जाती है। यह व्हेल शार्क को बचाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। व्हेल शार्क को बचाने के लिए गुजरात वन विभाग, वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया, और टाटा केमिकल्स मिलकर काम कर रहे है।