अंतरात्मा के मौलिक स्वरूप का साक्षात् चित्रण किया था साहित्य शिरोमणि कृष्णा सोबती ने : डॉ. शैलेश

अंतरात्मा के मौलिक स्वरूप का साक्षात् चित्रण किया था साहित्य शिरोमणि कृष्णा सोबती ने : डॉ. शैलेश


जे टी न्यूज़, कोलकाता : वरिष्ठ साहित्यकार, साहित्य शिरोमणि कृष्णा सोबती जी के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर भारतीय भाषा शोध संस्थान एवं भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता के संयुक्त तत्वाधान में वर्तमान संदर्भ में कृष्णा सोबती की रचनाओं की प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डी.बी. कॉलेज, जयनगर के वाणिज्य विभागाध्यक्ष सह रामनरेश सिंह एजुकेशनल फाउंडेशन के महासचिव डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि, साहित्य शिरोमणि कृष्णा सोबती जी ने अपनी रचनाओं में अंतरात्मा के मौलिक स्वरूप का साक्षात् चित्रण किया, उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में रहते हुए अपनी कलम से नारी के भाव, वियोग और उनकी व्यथाओं को सहज रूप से रेखांकित करने का साहसिक कार्य किया, जो आज के दौर में संभव नहीं है।

कृष्णा सोबती ने अपनी रचना के माध्यम से हिंदी कहानियों की विषयवस्तु और भाषा को नयापन दिया है। जिंदगी नामा और मित्रों मरजानी जैसी कालजयी कृतियां कृष्णा सोबती की कलम से निकलीं, जिन्होंने हिंदी कथा एवं उपन्यास साहित्य को गहरा और अधिक सम्मानजनक बना दिया। बिलासा पीजी कॉलेज, बिलासपुर की विभागाध्यक्ष डॉ. हरिणी रानी आगर ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि, 70 के दशक में जब नारी उत्पीड़न चरम सीमा पर था उस समय कृष्णा सोबती जी ने अपने साहित्य के माध्यम से प्रतिरोध करने का कार्य किया था, वह नारी सशक्तिकरण की ध्वजवाहक थी। युवा साहित्यकार प्रकाश प्रियांशु ने कहा कि, कृष्णा जी को जीवन में जो भी अच्छा लगता उसके साथ वे अनुभव की साझेदारी करना चाहती थीं, प्राकृतिक सौंदर्य को भी वे इसी भाव से ग्रहण करतीं। जिसे उन्होंने अपनी कृति बुद्ध का कमंडल: लद्दाख‘ में रेखांकित किया है, यह कृति हिमालय के प्रति उनके गहरे अनुराग का साक्षी भी है। कृष्णा सोबती जी ने अपने साहित्य में स्त्रियों के भाव, वियोग और उनकी व्यथाओं का सहज चित्रण किया था। संयोजक डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी ने सभी आगंतुकों व प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया, उन्होंने बताया कि संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धा गुप्ता, कंचन रजक, रिमझिम गुप्ता, प्रिया श्रीवास्तव, निखिता पांडेय, प्रिया पांडेय रोशनी सहित दर्जनों शिक्षाविदों व साहित्यकारों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस दौरान मुख्य रूप से विनोद यादव, हेमा विश्वकर्मा, अनुराधा भगत, निधि सिंह, स्वीटी महतो, स्वाति भारद्वाज, प्रीति साव, पुष्पा रजक, नूपुर श्रीवास्तव, गुड्डू गुलशन यदुवंशी इत्यादि उपस्थित रहे।

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