नारी तेरे अनेक रूप

नारी तेरे अनेक रूप

जे टी न्यूज़

नारी तुम हो शक्ति स्वरुपा,

सकल सृजन साकार तुम।

गृह-शोभा भी तुमसे ही है,

नेह वात्सल्य का सार तुम।।

 

प्रति मूर्ति हो सहनशील की,

सब तकलीफे सह लेती हो।

परिवार की खुशियाँ खातिर,

सब चुपके से सह लेती हो।।

 

तुम समान दूजा नहीं कोई,

त्यागी, इस नश्वर संसार मे।

ईश्वर ने दी है तुन्हे शक्तियाँ,

पूर्ण सृष्टि सृजन के सार मे।।

 

भगवान दास शर्मा ‘प्रशांत’

शिक्षक सह साहित्यकार

इटावा उत्तर प्रदेश

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