क्या चौकीदार को मिला इंसाफ, बिहार में ये कैसी सुशासन सरकार ?

क्या निचले स्तर के चौकीदार को कभी मिल पायेगा इंसाफ?

आखिरकार प्रदेश सरकार कृषि पदाधिकारी को मुख्यालय में योगदान दिलवाकर क्या साबित करना चाहती है ?

 

आखिर हर मामले पर बोलने वाले कहा है मंत्री महोदय सुशील मोदी / मंगल पांडेय ?

आखिर प्रदेश के मुखिया क्यों चुप्पी साधे हुए हैं?

दरोगा को निलंबन करने में देरी नहीं तो कृषि पधाधिकारी को जीवनदान क्यों?

आर. के.रॉय/संजीव मिश्रा

पटना: आपको बताते चले कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर कर बताया है कि बिहार में सुशासन की सरकार है । जिस राजपत्रिक कर्मचारी मनोज कुमार को प्रोन्नति दिए जाने की खबर सोशल मीडिया में सुर्खियां बनी है दरअसल वह पूरी तरह अफवाह है । उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में यह खबर प्रचारित की जा रही है और लोग मुझसे सवाल पूछ रहे है कि अररिया में जिस अधिकारी ने चौकीदार से उठक-बैठक कराई उसे इनाम दिया गया और उसका प्रमोशन हो गया, डीजीपी ने इन बातों को पूरी तरह से अफवाह बताया है ।

आपको बता दें कि अररिया का ये मामला तब सामने आया जब किसी ने चौकीदार को उठक-बैठक लगाने वाली घटना का वीडियो वायरल कर दिया. जिसमें ये साफ झलक रहा है कि अररिया के कृषि पदाधिकारी चौकीदार को दंड दे रहे हैं और उनके बगल में खड़े एसआई उनका साथ दे रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जिस अधिकारी ने उन्हें दंडित किया उनका सिर्फ तबादला हुआ और जिस एसआई ने उनका कहना मानते हुए उस चौकीदार से उठक-बैठक करवाया उसे सस्पेंड कर दिया गया ।

डीजीपी का कहना है कि अररिया का मामला जैसे ही प्रकाश में आया. वहां के डीएम और एसपी से पूरे मामले की जांच कराई गई और तत्काल दोषी पुलिस कर्मी को सस्पेंड कर दिया गया तो क्या माना जाय कि ये कार्रवाई सिर्फ एसआई तक ही सीमित थी, क्या उस अधिकारी का कोई दोष नही था, जिस अधिकारी के कहने पर उस एसआई ने चौकीदार से उठक-बैठक करवाई थी बल्कि माना जाय तो पूर्णदोष वही अधिकारी का था, लेकिन उन्हें सिर्फ तबादला कर छोड़ दिया गया ।

डीजीपी ने कहा था हमारे जवान के साथ बत्तमीजी करने वाले अधिकारी के साथ कठोर कार्रवाई होगी बदले में उनका सिर्फ तबादला और एफआईआर कर छोड़ दिया गया. जब तबादला ही न्यायपूर्ण सजा है तो एसआई के साथ भी वही होना चाहिए था ।

डीजीपी साहब तबादला और एफआईआर यह उसकी सजा नही है. सोशल मीडिया के माध्यम से जो वीडियो में नजर आ रहा है, कि किस तरह से उस अधिकारी ने उस चौकीदार को दंडित किया है वो एक नजर में ही दोषपूर्ण दिख रहा है, जिसे कोई झुठला नही सकता, उस अधिकारी को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए था तबादला नही….

हम आपको दोषी नही ठहरा रहे आपके अधिकार क्षेत्र में आपका काम बहुत ही सराहनीय है परंतु उस कृषि अधिकारी के साथ जो हुआ वो उसका उचित दंड नही है।

इसे क्या कहा जाय सुशासन बाबू की लाचारी या उस अधिकारी पर उनका स्नेह।

इस वक्त राज पत्रित अधिकारी मनोज कुमार पर कठोर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार को एक मिशाल पेश करना चाहिए । अब देखना है आनेवाले समय में प्रदेश सरकार और क्या क्या मिशाल पेश कर सकती है ।

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