*लॉक डाउन इम्पेक्ट* : वर्षा और ओला से बिहार में 10 से 20 प्रतिशत गेंहू नष्ट

 


जेटीन्यूज

*पटना:*

बिहार में इस वर्ष असमय वर्षा और ओला पड़ने के कारण दस से बीस प्रतिशत तक गेंहू की फसल बर्बाद हो गई है । इसके साथ ही मजदूरों की कमी के कारण रबी फसलों की समय पर कटाई नहीं होने से भी नुकसान हुआ है ।

डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक मृतुन्जय कुमार के अनुसार रबी फसलों को लेकर कराए गए एक सर्वेक्षण में फसलों के खराब होने का खुलासा हुआ है । मजदूरों की कमी का असर तिलहनों विशेषकर अरहर की कटाई पर देखा जा रहा है ।

बिहार में मोटे तौर पर ढाई लाख हेक्टेयर में गेंहू की बुआई की जाती है । फसलों के नष्ट होने से किसानों को भारी नुकसान होने का अनुमान है ।
राज्य में कृषि का यंत्रीकरण बहुत कम हुआ है और फसल कटाई के बड़े उपकरणों की भी भारी कमी है । फसलों की कटाई के समय दूसरे राज्यो से मशीनों को मंगाया जाता है और बड़े किसान इससे रबी फसलों की कटाई करते हैं । वैसे भी राज्य में भूमी के टुकड़ों का आकार काफी छोटा है जिसके कारण कंबाइंड हार्वेस्टर जैसे मशीनों से इसकी कटाई संभव नहीं है ।

वर्षा और ओला गिरने से आम तथा लीची की फसल को भी नुकसान हुआ है लेकिन तत्काल इससे होने वाले नुकसान का पता नहीं चला है । वर्षा होने से वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ाने के बाद आम और लीची में कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया था लेकिन मजदूरों के समय पर नहीं मिलने के कारण किसान बागों में कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करा पाए ।
बिहार के मुजफ्फरपुर , समस्तीपुर , वैशाली और चंपारण किलो में बड़े पैमाने पर लीची के बाग हैं । आम के बाग पूरे राज्य में हैं ।

राज्य से बड़े पैमाने पर मजदूरों का पलायन होता है और वे फसलों की कटाई के समय गांव भी आते हैं लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण आवागमन के साधनों के बंद हो जाने से वे समय पर वापस नहीं आ सके ।

समस्तीपुर , मुज़फ़्फ़रपुर , दरभंगा तथा कई अन्य जिलों में अब भी गेंहू की फसल खेतों में पड़े हैं । फसलों के नुकसान होने के साथ हीं गेंहू के भूसे की क्षति हुई है । इस साल देहात में भूसे की कीमत 1700 रुपए क्विंटल तक पहुंच गई थीं।

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