पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण अहम – राम नंदन, इतिहास बन चुके कुएं का अस्तित्व बचाने का काम सराहनीय

पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण अहम – राम नंदन, इतिहास बन चुके कुएं का अस्तित्व बचाने का काम सराहनीय


कार्यालय, जेटी न्यूज
बेगूसराय। सदियों से कुएं, तालाब और नदियां मनुष्य एवं जीव-जंतुओं के लिए पेयजल के प्रमुख स्रोत रहे हैं। यहां तक कि पहले कुएं से रहट के द्वारा फसल सिंचाई का काम भी होता था। आज से 65 साल पहले तक ग्रामीण जन-जीवन जल के लिए कुएं पर ही निर्भर था। पर, आज कहीं भी कुएं का अस्तित्व नजर नहीं आ रहा है और ये कुएं इतिहास बन गए हैं। ये कुएं जल जीवन के साथ-साथ हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक आस्था के भी केंद्र रहे हैं। शादी विवाह से लेकर यज्ञोपवित तथा अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के अवसर पर कुएं पर पूजा-अर्चना की जाती रही है। भू-जल वैज्ञानिकों के अनुसार कुएं एवं पोखरे भू-गर्भ के नीचे जल संचय के स्रोत भी होते थे। भू-जल वैज्ञानिकों का कहना है कि जहां कुएं तथा तालाब रहते हैं वहां जमीन के नीचे जल का स्तर सही एवं सुलभ रहता है। नई जीवनशैली के तहत पिछले 60 सालों के अंदर धीरे-धीरे कुएं खत्म होते गए और अब कुएं का बहुत ही कम अस्तित्व नजर आ रहा है। कुओं की जगह अब चापाकल एवं अन्य जल प्राप्त करने के साधन लोगों के द्वारा अपनाए जा रहे हैं।
जल जीवन हरियाली योजना” के तहत वर्षों पहले इतिहास बन चुके कुएं के अस्तित्व की खोज बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई है और इस खोज के फलस्वरुप राज्य में लगभग 70 हजार कुएं को चिन्हित कर लिया गया है। और अब इन कुओं का जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया गया है।
पंचायती राज विभाग ने 70 हजार सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार का कार्य पंचायतों के माध्यम से कराने का निर्णय लिया है। पंचायती राज विभाग ने कुएं के स्वरूप को संवारने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। पंचायती राज विभाग ने यह तय किया है कि 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत प्राप्त राशि का उपयोग कुएं के जीर्णोद्धार के लिए किया जाएगा। जल जीवन हरियाली योजना” के तहत कुओं का जीर्णोद्धार का काम “लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा किया जाना था, लेकिन अब यह काम पंचायतों द्वारा कराया जाएगा। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग” (PHED) द्वारा किए गए सर्वे में राज्य में 70 हजार कुओं की पहचान की गई है जिन पर काम चल रहा है।
कुओं की उराही, उसकी मरम्मती, बाहर में प्लेटफार्म बनाना और बगल में सोख्ता के निर्माण का काम भी कराए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं बेगुसराय जिला के सामजिक सरोकार के मुद्दों से जुड़े शिक्षाविद राम नंदन सिंह ने कहा कि कुओं को पुनर्जीवित करने से सिर्फ जनता के पैसों की बर्बादी होगी, कुछ लाभ नहीं हो पायगा क्योंकि बिहार का और खास तौर पर अधिकांश भूगर्भ तल का जल प्रदूषित हो चुका है इसलिए लोग अब कुओं का पानी पीते नहीं है. अब तो भूगर्भ जल के प्रदूषित हो जाने के कारण गावों तक के लोग आर.ओ. विधि द्वारा शुद्धिकृत जल खरीद कर पीने को विवस है. यह भी बहुत बड़े आश्चर्य का विषय है अपने प्रदेश में आज़ादी के 73 साल बाद भी सरकार अभीतक आम लोगों को पीने का शुद्ध पानी उपलब्द्ध करवा पायी है. जिस पैसों से सरकार कुओं की उराही करबा रही है, उतने ही पैसों से सरकार गावों में आर. ओ. प्लांट लगाकर लोगों को शुद्ध जल उपलब्द्ध करवा सकती है. अतः बिहार सरकार से मै अनुरोध करना चाहूँगा कि सरकार पुराने कुओं की उराही की योजना रोककर गाँवों में आर. ओ. प्लांट लगाने की योजना पर काम करना शुरू करे.।

 

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