तीन पुश्तों से कांग्रेस के सेवक शाह अली सज्जाद ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान

तीन पुश्तों से कांग्रेस के सेवक शाह अली सज्जाद ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान

*कांग्रेसी विधायक अजीत शर्मा की बढ़ी परेशानी*

जेटीन्यूज़

*भागलपुरः* बिहार कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत बिहार क्रांति वर्चुअल सम्मेलन के साथ ही कर दी है। सम्मेलन में कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार को इस बार सत्ता से बाहर करने की लोगों से अपील किया है,लेकिन उसकी यह मंशा कांग्रेस में आपसी गुटबाजी के कारण सफल होती नहीं दिख रही है।


गौरतलब हो कि भागलपुर में कांग्रेस की गुटबाजी पूरे बिहार में चर्चित है। यहां कांग्रेस में दो फांड़ है,जिसका आलम यह है कि कांग्रेस के 5 साल से अधिक समय तक जिलाध्यक्ष रहे शाह अली सज्जाद ने टिकट नहीं मिलने की स्थिति में पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उनकी इस घोषणा से प्रदेश स्तर के नेताओं की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने तीन पुश्त से कांग्रेस की सेवा की है, लेकिन अब उपेक्षा सहन नहीं होती। झंझट टाइम्स से बातचीत के दौरान कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष शाह अली सज्जाद ने कहा कि पिछले तीन पुश्तों से उन्होंने कांग्रेस की सेवा की है और लंबे समय तक भागलपुर से कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। इस दौरान कई बार चुनाव लड़ने की मंशा को उन्होंने प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को जाहिर की थी,लेकिन उनकी मंशा को अनदेखा कर उनकी बातों को सदैव अनसुना कर दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार तो पार्टी के अध्यक्ष पद पर वे नहीं हैं, इसलिए वे स्वतंत्र हैं। उन्होंने पार्टी के आलाकमान को चुनाव लड़ने के बारे में बता दिया है।अपनी इच्छा पूर्ति होने की उम्मीद पर उन्होंने पूरे शहर में कांग्रेस पार्टी का पोस्टर भी लगवा दिया है। उन्होंने बताया कि इस बार भी यदि उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वे हर हाल में चुनाव लड़ेंगे, चाहे उन्हें निर्दलीय ही क्यों नहीं लड़ना पड़े।


शाह अली सज्जाद ने कहा कि उन्होंने नाथनगर से चुनाव लड़ने के बारे में बताया है और पार्टी नेताओं ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वे हमें नाथनगर से चुनाव लड़ाएंगे,लेकिन अगर महागठबंधन में सीट बंटवारे के दौरान यदि किसी तरह की कोई भी स्थिति बनती है और नाथनगर की सीट कांग्रेस को नहीं मिलती है, तो उन्होंने ऐसी स्थिति में भागलपुर से टिकट मांगी है और यदि इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वे चुनाव निर्दलीय लड़ेंगे। वहीं, उन्होंने अपने पोस्टर में प्रदेश स्तर के नेताओं की तस्वीर नहीं होने पर कहा कि टिकट देने को लेकर प्रदेश के नेताओं द्वारा सिफारिश की जाती है,लेकिन तय तो दिल्ली में ही होता है। इसलिए उन्होंने पोस्टर में प्रदेश स्तर के नेताओं की तस्वीर को नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि अपने पोस्टर में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की तस्वीर को लगाकर पार्टी के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है।

विधायक अजीत शर्मा पर साधा निशाना

शाह अली सज्जाद ने कहा कि वर्तमान विधायक अजीत शर्मा कई बार दूसरे दल से भी चुनाव लड़े हैं। एक बार कांग्रेस के सदानंद सिंह जब भागलपुर से सांसद का चुनाव लड़ रहे थे, उनके खिलाफ वो सपा पार्टी से चुनाव लड़े थे और जब महागठबंधन में फूट हुई थी, उस समय भी अजीत शर्मा का नाम कांग्रेस के 15 नेताओं में से एक था,जो पार्टी के खिलाफ जाने वाले थे. तो ऐसी स्थिति में हमारी दावेदारी भागलपुर से बनती है।गौरतलब है कि पिछले चुनाव में जदयू, राजद के महागठबंधन से भागलपुर की राजनीतिक परिवेश ने ऐसी करवटें ली है कि जिले की सातों विधानसभा सीटों पर एक साथ महागठबंधन ने कब्जा किया था और राजग का यहां सफाया हो गया था। इस बार भाजपा- जदयू के साथ है। जिले का राजनीतिक समीकरण बदलने की उम्मीदें दिख रही हैं।

बिहार की सियासत में अहम सीट है भागलपुर

भागलपुर ने बिहार की सत्ता और सियासत में शुरू से ही अहमियत रखी है, कांग्रेस और भाजपा के कई दिग्गजों ने यहां से नेतृत्व किया है। इसलिए यहां के गुणा- गणित पर राज्य ही नहीं बल्कि दिल्ली की भी नजर रहती है। इस बार भी यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच प्रतिष्ठा का चुनाव होने जा रहा है, जिसमें दोनों दलों के बड़े नेताओं के साख की परीक्षा होने वाली है। इसको लेकर अभी से आजमाइश शुरू हो गई है।

 

Related Articles

Back to top button