किसान विरोधी अध्यादेश वापस ले और दमन कि नीति से बाज आये सरकार – प्रभुराज


, जेटी न्यूज
बेतिया। अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा राज्य सरकार द्वारा किसान विरोधी अध्यादेशों के विरूद्ध पीपली किसान रैली को रोकने व रैली में शामिल होने वाले किसानों पर दमनकारी कदम उठा कर पुलिसिया हिरासत में लेने की कड़े शब्दों में निंदा करती है । किसान सभा इन तीनो किसान विरोधी अध्यादेशों पर केंद्र सरकार से किसी भी स्थान व किसी भी समय पर सार्वजनिक बहस करने की चुनौती देती है। अन्यथा कृषि मंत्री इन अध्यदेशों को किसानों के हित में कहना बन्द करे। अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव नंदकिशोर शुक्ला ने कहा कि केंद्र व हरियाणा की सरकार द्वारा कोरोना की आड़ में लागू की जा रही कृषि व खेती को उजाड़ने वाली नीतियों से किसानों में भारी रोष है ।

सरकार किसानों की इन समस्याओं का समाधान नही कर रही बल्कि भाजपा सरकार किसानों की उपज की लाभकारी मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करने की बजाय बड़े बड़े व्यापारियों को किसानों की फसल खरीदने की खुली छूट दे रही है । जिसका देश भर में सैकड़ों किसान संगठनों की किसान संघर्ष समन्वय समिति पूरे देश विरोध कर रही है । पर सरकार मंडी व्यवस्था को उजाड़ने पर तुली हुई है । इन अध्यदेशों से भविष्य में कृषि उत्पादों की कालाबाजारी बढ़ेगी व किसानों की लूट होगी । इसी प्रकार किसानों को मिलने वाली सस्ती बिजली जो सिंचाई के काम आती थी को महंगा करने के लिए सरकार बिजली का निजीकरण कर रही है हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा गन्ना के दाम में दो साल बाद मात्र 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी किसानों के साथ धोखा है । अगर ये कृषि अध्यदेशों वास्तव में ही किसान हितेषी है तो इन्हें चोरी छुपे अध्यदेश थोंप कर क्यो लागू किया जा रहा है।

बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ जब किसान व किसान संगठन अपनी आवाज उठा रहे हैं तो सरकार किसानों की आवाज को दबाते हुए दमनकारी कदम उठा रही है कोरोना की आड़ में पिपली में होने वाली किसान रैली को रोकने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किए जा रहे दमनात्मक करवाई एवं किसानों कि गिरफ्तारियों के बल पर किसानों की एकजुटता को तोड़ना चाहती है । यह सरकार की तानाशाही रवैए को उजागर करता है । जिसकी किसान सभा कड़े शब्दों में निंदा करती है किसान सभा सरकार के इन किसान विरोधी व जनविरोधी अध्यादेशों की वापसी तक अपने संघर्ष को जारी रखेगी।

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