राजनीतिक कार्यकर्ताओं की भक्ति से बर्बाद होता राष्ट्र।

जेटीन्यूज़

पटना :

जैसा संबंध भक्त और भगवान का होता है कुछ वैसा ही संबंध राजनीतिक कार्यकर्ता और राजनेताओं का होता है।जैसे भक्तों के बिना भगवान का कोई अस्तित्व नहीं, ठीक वैसे ही कार्यकर्ताओं के बगैर राजनेताओं और राजनीतिक दलों का कोई अस्तित्व नहीं।आश्रम और मठ की तरह राजनीतिक दल हो गए हैं। जिसके जितने अनुयायी,जिसके जितने कार्यकर्ता वो दल उतना बड़ा। एक वक्त था जब सिद्धांतों की राजनीति होती थी और कार्यकर्ता अपनी पसंद के हिसाब से उनका समर्थन करते थे,जिनसे उन्हें देश के बेहतर विकास की उम्मीद होती थी। तब राजनीतिक दलों की संख्या काफी कम थी।वक्त के साथ कुकुरमुत्ते की तरह राजनीतिक दल पनपने लगे और सिद्धांतों की राजनीति का स्वर्गवास हो गया।नतीजा नजर आ रहा है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता किसी सिद्धांत के समर्थक नहीं रह गए, बल्कि व्यक्ति विशेष के समर्थक और विरोधी हो गए।आश्चर्यजनक रूप से कार्यकर्ताओं को अपने देश से अधिक आस्था अपने दल और अपने नेताओं में देखने को मिल रहा है।

आज सिद्धांत गौण हो चुके हैं,दल भी गौण होते दिख रहे हैं,राजनीति व्यक्ति प्रधान होती नजर आ रही है।भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा के नहीं,नरेंद्र मोदी के समर्थक नजर आते हैं,कांग्रेस के कार्यकर्ता कांग्रेस के नहीं,गांधी परिवार के समर्थक नजर आते हैं, जदयू,राजद,लोजपा,शिवसेना, समाजवादी पार्टी सहित कई दल हैं जिसके कार्यकर्ता पार्टी के नहीं अपने नेता के समर्थक हैं।समर्थक अब भक्त कहलाते हैं,नेता भगवान के अवतार कहलाने लगे हैं।कार्यकर्ता शर्मनाक रूप से अपनी आस्था अपने नेता के प्रति रखते हैं,न कि समाज और राष्ट्र के प्रति।राजनीतिक कार्यकर्ता अपने नेताओं का हर तरह से न सिर्फ समर्थन करते हैं बल्कि उनकी गलत- सही हर बातों के लिए उनका बचाव भी करते हैं।जैसे हमने देखा कि जब आसाराम और राम-रहीम जैसे बाबा विभिन्न आरोपों में जेल गए तो उनके भक्त उनका बचाव करते फिरते थे।ठीक वैसी ही स्थिति आज राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हो गई है।

कार्यकर्ता जीवन भर अपने नेताओं के पीछे जिंदाबाद-जिंदाबाद करते रहते हैं और नेताओं की पुश्त दर पुश्त उन पर शासन करती रहती है।ऐसे कई कार्यकर्ता हैं जो कबूल करते हैं कि उनकी सरकार की कुछ नीतियां गलत रही हैं,लेकिन वो सिर्फ इसलिए इसका विरोध नहीं करते क्योंकि वो उस नेता और उस दल के कार्यकर्ता हैं।आखिर ये कैसी राजनीति है।समाज बर्बाद हो रहा है,देश बर्बाद हो रहा है और कार्यकर्ता सब कुछ जानते हुए भी अपने नेता की भक्ति में लगे हैं।ये कहना गलत न होगा कि आज समाज और राष्ट्र की बर्बादी के लिए यदि कोई सबसे बड़ा गुनहगार है तो वो हैं ये राजनीतिक कार्यकर्ता।जो अंधभक्त बन गलत नीतियों के लिए भी अपने नेता का समर्थन करते हैं और बचाव करते हैं।राजनीतिक कार्यकर्ताओं को ये समझना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण में उनकी बहुत बड़ी भागीदारी है।उन्हें ये समझना चाहिए कि किसी गलत व्यक्ति या गलत नीति का सिर्फ इसलिए समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि वो उस दल के कार्यकर्ता हैं। देश और समाज के लिए ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ता बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं।इसलिए क्योंकि वो अपनी जिम्मेदारियों को समझ ही नहीं रहे और वो अपने नेताओं की भक्ति में लगे हुए हैं,इसलिए क्योंकि उनकी आस्था देश से अधिक अपने नेताओं में है।

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