बेरोजगारों व गरीबों के सामने मुहं छिपाने वाले सीएम नीतीश कुमार की विदाई इसबार तय – राकेश नायक

जेटी न्यूज। दरभंगा।

 

व्याप्त बेरोजगारी से हलकान देश व बिहार के छात्र – युवाओं एवं गरीब बेरोजगारों के सामने मुहं छिपाने वाले सीएम नीतीश कुमार की विदाई इसबार तय है। बिहार के 7 करोड़ युवाओं का वर्तमान और भविष्य बर्बाद करने वाली 15 वर्षो की नीतीश सरकार बेरोजगारी, ग़रीबी और पलायन पर विमर्श क्यों नहीं करना चाहती है। नीतीश मोदी सरकार जात-पात और धर्म के नाम पर युवाओं को गुमराह नहीं कर सकती। युवा वर्ग जाग चुका है। जिसको लेकर आज 17 सितंबर को बेरोजगारी दिवस मनाने को मजबूर है। यह बातें विज्ञप्ति जारी कर महानगर युवा राजद अध्यक्ष राकेश नायक ने कही। नायक ने कहा कि इन 15 वर्षो के शासनकाल में एक भी आईटी कंपनी को नहीं बुलाया गया। अनाज फल सब्जियां हो या मछली उत्पादन जैसे संसाधन के बावजूद भी आज छोटे – छोटे व्यपारी व मछुआरे भी आजीविका चलाने को तरस रहे है। साढ़े 4 लाख से अधिक रिक्तियां का नहीं भरे जाने से राज्य में बेरोजगारों के बीच त्राहिमाम जैसी स्थिति बनी हुई है। परिणाम रहा है कि राज्य में अप्रत्याशित पलायन ने एक विकराल रूप ले रखा है। 15 वर्षो में जिलावार हुई नियुक्तियां का आंकड़ा वर्षवार प्रस्तुत नहीं कर पा रही है। कुर्सी कुमार जवाब क्यों नही दे पा रहे है कि नियुक्ति प्रक्रिया व परीक्षा में पारदर्शिता क्यों गायब हो गई। राज्य के करोड़ों युवा रोज़ी-रोटी के लिए तरस रहे है और नीतीश कुमार कुर्सी के लिए लालायित है। कुर्सीवादी संकीर्ण राजनीति के चलते 15 वर्षों में दो पीढ़ियों को बर्बाद कर दिया।

जिलाध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा है कि बिहार में बेरोजगारी का मुद्दा सीधे जुड़ा है नीतीश सरकार की 15 साल के नाकामी, संवेदनहीनता और सत्ता पाते ही जनता के विषयों को अलग थलग पटक देने की प्रवृत्ति से। बेरोजगारी का कारण बढ़ते पलायन, ग़रीबी, असमानता और अपराध है।

बेरोजगारी जुड़ा है आर्थिक समृद्धि, विकास, शिक्षा, उद्योगों और राज्य की अर्थव्यवस्था सेअपने बेहतर भविष्य के लिए जाति, धर्म और परम्परागत राजनीतिक प्राथमिकता को भूल तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जनता ने बेहतर व सुगम बिहार बनाने का मन बना लिया है। वहीं जिला राजद महासचिव आदर्श यादव ने कहा कि नीतीश मोदी के सरकार में पढ़ लिखकर भी रोजगार नहीं मिला। दूसरे राज्य जाकर काम ढूँढना एव बहाली का बरसों इंतजार करना पड़ रहा है। ट्रेनों में ठूँस ठूँसकर परीक्षा सेंटर गए, प्लेटफॉर्म पर रातें बिताने के बाद भी पेपर लीक, धांधली, भाई भतीजावाद, घूसखोरी और क्षेत्रवाद ने रंग दिखाया। युवा छात्र के भविष्य को अंधकारमय बनाने का हिसाब इसबार के चुनाव में जनता करने का मन बना चुकी है।

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