भारतीय किसान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ती कृषि कानून :राजेश्वर महतो*

*भारतीय किसान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ती कृषि कानून :राजेश्वर महतो*


जे टी न्यूज
समसतीपुर राष्ट्रीय जनता दल के किसान प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष राजेश्वर महतो ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर किसान आंदोलन पर सरकार की असंवेदनशीलता का जिक्र करते हुए कहा कि पी.साईनाथ के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो दशकों में ग़रीब व निम्‍न-मध्‍यम किसान हर रोज़ 2000 किसान की औसत से अपनी ज़मीन खोते रहे हैं। अभी हाल ही में पहली बार भारत के गांवों में ग्रामीण मज़दूरों की संख्‍या किसानों से ज्‍़यादा हो गयी। पूंजीवादी खेती की व्‍यवस्‍था में आर्थिक वर्चस्‍व धनी किसानों-कुलकों का हो या फिर कारपोरेट घरानों का, ग़रीब किसानों की नियति में उजड़ना ही होता है, क्‍योंकि पूंजीवादी खेती की व्‍यवस्‍था में आप और कोई उम्‍मीद कर ही नहीं सकते।

छोटी जोत की खेती टिक ही नहीं सकती है। उन्होंने कहा कि एम.एस.पी. कितने किसानों को मिलता है और कितनों को नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर गरीब किसान को एमएसपी मिलने भी लगे तो भी इससे उसे नुकसान ही है क्‍योंकि वह खेती उत्‍पादों का मुख्‍य रूप से खरीदार है, विक्रेता नहीं, दूसरे शब्‍दों में खेती के उत्‍पादों का net buyer है net seller नहीं। इसलिए आप एमएसपी को ठीक से लागू करके सबको दिलवाने के राग को गाना छोड़ दीजिये क्‍योंकि एमएसपी की व्‍यवस्‍था ही मजदूर-विरोधी और ग़रीब किसान-विरोधी है।


एमएसपी से धनी किसान को अपना मेहनताना नहीं मिलता, ये profitable remunerative price है। यानी comprehensive cost (C2) के ऊपर 40-50 प्रतिशत मुनाफा। C2 cost में खेती में लगने वाले सारे इनपुट जैसे उर्वरक, बीज, बिजली, लेबर कॉस्‍ट शामिल है जिन्‍हें एक साथ A2 कहा जाता है; उसके अलावा, इसमें FL शामिल है, यानी फैमिली लेबर की बाज़ार कीमत; और इसके अलावा, भूमि का लगान शामिल है, उस सूरत में भी जब कि धनी किसान ने भूमि किसी भूस्‍वामी से किराए पर न ली हो, बल्कि खुद उसका मालिक हो। यानी कुल लागत के ऊपर करीब 50 प्रतिशत का शुद्ध मुनाफा। सारी फसलों पर यह एमएसपी नहीं मिलता, लेकिन धान और गेहूं पर एमएसपी निर्धारित मूल्य से भी कम मिलता है।
आगे राजेश्वर महतो ने यह कहा कि सरकार तीनों काले कृषि कानून को वापस नहीं लेती तो समस्तीपुर बिहार से भी किसान का जत्था दिल्ली कुच करेगी !!

Website editor:- Ashish Anand

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