गुलाम सरवर की शख्सियत बिहार ही नहीं बल्कि देश में भी बेमिसाल है:-असजद अली
जेटी न्यूज
बरौनी ( बेगूसराय ) – दारुल अदब लाइब्रेरी के गुलाम सरवर हॉल में रविवार को करवाने उर्दू के तत्वाधान में कलम के बेदाग सिपाही गुलाम सरवर की याद में उर्दू दिवस समारोह का आयोजन किया गया अध्यक्षता पूर्व मुखिया मंजूर आलम ने की। कार्यक्रम के संयोजक कारवांने उर्दू के जिला सचिव मोहम्मद असजद अली, जामिया इस्लामिया के सेक्रेटरी अब्दुल कयूम आजाद, मुस्लिम जेबाय सिलाई स्कूल के सचिव फजलुर रहमान आदि वक्ताओं ने कहा कि गुलाम सरवर की जो शख्सियत थी वह बेमिसाल थी।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में किसी भी स्तर पर किसी पार्टी और नेता के सामने कभी घुटना नहीं टेका, और ना ही अल्पसंख्यक समुदाय के किसी भी मामले पर कोई समझौता किया यही कारण है कि गुलाम सरवर साहब को शेरे बिहार कहा जाने लगा,और मरते दम तक शेरे बिहार के नाम से जाने जाते रहे। वही मेराज अख्तर दाना आदि वक्ताओं ने कहा कि गुलाम सरवर ने जो उर्दू के लिए कुर्बानी दी है इसे हम कभी भुला नहीं सकते हैं शेरे बिहार मरहूम गुलाम सरवर उस वक्त उर्दू का परचम मैदान में लेकर आए।जब 1947 में मुल्क हिंदुस्तान आजाद हुआ था उस समय उर्दू के नाम लेने वाले को मुस्लिम लीग या पाकिस्तान की हिमायत करने वाला समझा जाता था।
उस वक्त गुलाम सरवर ने फ़रोगे उर्दू के लिये कमर बस्ता होकर मैदान में डटे रहे।रियासत बिहार में दूसरी सरकारी जवान से उर्दू होना गुलाम सरबर की कुर्बानियों का नतीजा है हम बेगूसराय वासियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है गुलाम सरवर सन 1926 में इसी बेगूसराय के सरजमीं पर पैदा होकर बिहार ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में अपनी बेमिसाल कुर्बानियां पेश की आज गुलाम सरवर की प्रति सच्ची श्रद्धांजलि या होगी के हम तमाम लोग उर्दू को आगे बढ़ाने के लिए कोशिश करते रहेंगे। इस मौके पर असलम कमाल,मोहम्मद अख्तर,मास्टर शहादत,मास्टर इकबाल,मोहम्मद अशफाक,डॉक्टर सईद,मोहम्मद शकील,मुमताज,इश्तियाक, सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।