वेतन के लिए बलिदान माँगने वाले अधिकारियों को देंगे बलिदान – मुक्तेश्वर प्रसाद

जेटी न्यूज़
धर्मेन्द्र पांडेय

बक्सर : नियोजित शिक्षकों को कभी भी समय पर वेतन नहीं मिलता है ।अगर कोई शिक्षक वेतन की माँग करते हैं तो अधिकारी डाँट फटकार लगाते हैं ।यहां तक कि नौकरी लेने व जेल की सजा तक दिलवाने की बात से नहीं हिचकते हैं ।बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ डुमराँव के अध्यक्ष मुक्तेश्वर प्रसाद ने बताया कि हम संवैधानिक व मानवाधिकार की रक्षा के संदर्भ में तीन माह के बकाया वेतन व बकाया वेतन तथा अन्य समस्याओं के समर्थन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल किए और अधिकारियों द्वारा लिखित आश्वासन देने के बाद अधिकांश समस्याएँ जस की तस बनी हुई है ।अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हुए समझौते के बिन्दुओं पर पूछने पर अधिकारियों द्वारा डराया धमकाया जा रहा है ।

नौकरी लेने तथा जेल भेजने सहित अनेक तरह की असंवैधानिक बातें कहकर संविधान को ठेंगा दिखाते हुए हमारे संवैधानिक व मानवाधिकार को रौंदने का काम किया जा रहा है । अधिकारियों के प्रताड़ना से मानसिक सामाजिक आर्थिक रूप से परेशान हो गया हूं ।अधिकार को रौंदते देखना असह्य हो गया है और जीवन धिकार रहा कि अपने अधिकारों को रौंदते देखने वाले शिक्षक किस अधिकार से दूसरों को वर्ग में या अन्य जगहों पर अधिकार की शिक्षा देंगे ।आगे पूछने पर मुक्तेश्वर प्रसाद ने बताया कि अगर अधिकारी तथा सरकारी तंत्र समझते हैं कि शिक्षक के बलिदान देने के बाद संवैधानिक व मानवाधिकार मिलेगा तो यह बलिदान हम देंगे ।

अगर 25 फरवरी तक सभी मामलों का निस्पादन नहीं हो पाता है तो 27 फरवरी को डीईओ कार्यालय के पास बलिदान देकर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बचाने का प्रयास होगा ।27 फरवरी 2003 को नियुक्ति पत्र मिला था इसलिए इस तिथि को बलिदान की तारिख रखी गई है ।मानवाधिकार आयोग पटना को पत्र लिखकर सूचना दे दी गई है ।इसके अलावा राज्यपाल बिहार, जिला पदाधिकारी बक्सर, शिक्षा मंत्री,मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष बिहार विधानसभा तेजस्वी प्रसाद यादव को एक दो दिन में सूचना दी जाएगी ।

संबंधित शिक्षा पदाधिकारी बक्सर तथा डीपीओ स्थापना बक्सर को पूर्व में सूचना दी गईं है और पुनः दे दी जाएगी ।न्यायालय को भी अवगत कराया जाएगा जिससे दोषियों पर उचित कार्रवाई करने में आसानी होगी ।अंग्रेजी विचारधारा और तानाशाही व्यवस्था अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी ।अगर 27तारीख को शिक्षक द्वारा बलिदान की घटना घटती है तो आजाद भारत के इतिहास में यह पहली घटना होगी

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