नारी सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का दिया संदेश!

शाहबुद्दीन अहमद / बेतिया।

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के प्रधान कार्यालय, सत्याग्रह भवन में, महान स्वतंत्रता सेनानी, कस्तूरबा गांधी की 77 वीं एवं भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वर्गीय अबुल कलाम आजाद की 63 वी पुण्यतिथि पर, सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, गांधीवादी चिंतको एवं विचारको ने भाग लिया,इस मौके पर, डॉ0एजाज अहमद, अधिवक्ता ने कहा कि आज ही के दिन 22 फरवरी 1944 इo को कस्तूरबा गांधी एवं महान स्वतंत्रता सेनानी- सह- स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री ,डॉ0अबुल कलाम आजाद का 22 फरवरी 1958 इ0 को  निधन हुआ था !मौलाना आजाद का स्वतंत्रता आंदोलन एवं स्वतंत्र भारत में, शिक्षा मंत्री के रूप में अतुल्य योगदान रहा है! शिक्षा की गुणवत्ता के लिए उन्होंने अनेक सुधारात्मक कार्य किए!


इस अवसर पर ,शंभू शरण शुक्ला, शाहनवाज अली , नवीदूं चतुर्वेदी जाकिर मोहम्मद शेख, शाहीन परवीन ने कहा कि!छुआछूत ,कुपोषण ,नारी शिक्षा पर विशेष रूप से कस्तूरबा गांधी ने बल दिया था,उन्होंने बालिका शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया! चंपारण की धरती पर उन्होंने तीन बालिकाओं के लिए विद्यालयों का निर्माण कराया, जो चंपारण सत्याग्रह ,महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के जीवंत प्रमाण है। नई पीढ़ी को महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के जीवन दर्शन को अपने जीवन में उतारना चाहिए तभी जाकर जीवन काल पूरा होगा। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि चंपारण भारत की धरती पर कस्तूरबा गांधी एवं महात्मा गांधी द्वारा 1917 में जो महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता एवं विभिन्न सामाजिक सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति के लिए जो जन जागरण अभियान का आरंभ किया था ,वह पूरे विश्व के लिए उनका यह अभियान प्रेरणादायक दायक है।

 

 

 

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