देश में महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ औषधि मध्यवर्ती और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत स्वीकृतियां दी गईं

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देश में महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ औषधि मध्यवर्ती और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 16 आवेदकों को स्वीकृति दे दी गई है। इन 16 संयंत्रों की स्थापना में कुल 348.70 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है और कंपनियों द्वारा लगभग 3,042 नौकरियों का सृजन होगा। इन संयंत्रों में 1 अप्रैल, 2023 से व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने का अनुमान है।

निम्नलिखित कंपनियों के आवेदन, जो न्यूनतम/न्यूनतम से अधिक प्रस्तावित वार्षिक उत्पादन क्षमता के लिए प्रतिबद्ध हैं और जो निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं, निम्नानुसार (लक्ष्य सेगमेंट IV) अनुमोदित किए गए हैं:

क्र. सं.योग्य उत्पाद का नामआवेदकों का नामप्रतिबद्ध उत्पादन क्षमता (एमटी में)प्रतिबद्ध निवेश (करोड़ रुपये में)

 

1वालसर्तनऑनर लैब लिमिटेड30026.88
2लोसर्तनएनेसिया लैब प्राइवेट लिमिटेड40029.12
3 

लेवोफ्लोक्सासिन

हेटरो ड्रग्स लिमिटेड2309.00
4शेमेक्स ग्लोबल11520.00
5सूर्या लाइफ साइंसेस लिमिटेड23020.00
6सल्फाडाइजीनआंध्र ऑर्गनिक्स लिमिटेड36038.70
7सिप्रोफ्लोक्सासिनश्रीपति फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड90016.05
8 

ओफ्लोक्सासिन

श्रीपति फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड30016.05
9ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड20016.49
10टेलमिसर्तनआंध्र ऑर्गनिक्स लिमिटेड36040.00
11 

डायक्लोफिनैक सोडियम

क्रिएटिव एक्टिव्स प्राइवेट लिमिटेड35020.74
12अमोली ऑर्गनिक्स प्राइवेट लिमिटेड1756.56
13वापी केयर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड52521.00
14लेवेटिरैसेटमऑनर लैब लिमिटेड84031.36
15कार्बिडोपाहेटरो ड्रग्स लिमिटेड1618.00
16लेवोडोपाहेटरो ड्रग्स लिमिटेड4018.75

देश में इन महत्वपूर्ण बल्क ड्रग्स – महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ औषधि मध्यवर्ती और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) में आत्मनिर्भरता हासिल करने और आयात निर्भरता में कमी लाने के उद्देश्य से औषधि विभाग ने 2020-21 से 2029-30 तक की अवधि के लिए चार विभिन्न लक्षित खंडों (दो किण्पन आधारित- कम से कम 90 प्रतिशत और दो रासायनिक संश्लेषण आधारित- कम से कम 70 प्रतिशत) में 6,940 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ 41 उत्पादों के लिए न्यूनतम घरेलू मूल्य संवर्धन के साथ ग्रीनफील्ड संयंत्रों की स्थापना के द्वारा अपने घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लॉन्च की थी।

4 लक्षित खंडों में 36 उत्पादों के लिए कुल 215 आवेदन प्राप्त हुए थे। लक्षित खंडों I, II और III के तहत मिले आवेदनों पर अधिकार प्राप्त समिति की पिछली बैठक में विचार किया गया था और पात्र आवेदनों को स्वीकृति दे दी गई थी। अधिकार प्राप्त समिति की छठी बैठक में लक्षित खंड IV- अन्य रासायनिक संश्लेषण आधारित केएसएम/ औषधि मध्यवर्ती/ एपीआई के तहत 23 योग्य उत्पादों के लिए 174 आवेदन प्राप्त हुए, पहले 11 योग्य उत्पादों के लिए 79 आवेदनों पर विचार किया गया था और 14 आवेदनों को स्वीकृति दे दी गई। 19.03.2021 को हुई अधिकार प्राप्त समिति की 7वीं बैठक में लक्षित खंड IV के तहत बाकी 95 आवेदनों पर विचार किया गया था।

इसके साथ ही, सभी प्राप्त 215 आवेदनों पर विचार कर लिया गया और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के लिए पीएलआई योजना के तहत सरकार द्वारा 5366.35 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ कुल 47 आवेदनों को स्वीकृति दे दी गई। इन संयंत्रों की स्थापना के साथ देश इन बल्क दवाओं के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर बन जाएगा। छह साल की अवधि में सरकार द्वारा उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत वितरण राशि अधिकतम लगभग 6,000 करोड़ रुपये होगी, जबकि बजटीय परिव्यय 6,940 किया गया था।

मेडिकल डिवाइसों के घरेलू विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत, सभी 28 आवेदनों पर विचार करने के बाद सरकार ने 873.93 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश वाले 14 आवेदनों को स्वीकृति दे दी है, जिससे कुल 3,420 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय की तुलना में लगभग 1,694 करोड़ रुपये का अधिकतम प्रोत्साहन की उपयोगिता सुनिश्चित होगी। सरकार ने स्वीकृत परिव्यय के उपयोग लिए बल्क दवाओं और मेडिकल डिवाइसों के लिए फिर से आवेदन आमंत्रित करने का फैसला किया है।

वॉल्यूम के हिसाब से भारत का दवा उद्योग दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। अमेरिका और ईयू जैसी कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भारत की अच्छी मौजूदगी है। उद्योग को किफायती दवाओं विशेषकर जेनेरिक दवाओं के उत्पादन के लिए जाना जाता है। हालांकि, देश थोक (बल्क)दवाओं जैसे मूलभूत कच्चे माल के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है, जिन्हें दवाओं के उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है। कुछ थोकदवाओं के मामले में, आयात निर्भरता 80 से 100 प्रतिशत तक है।

 

Edited by- Thakur Varun Kumar

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