मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को कोरोना से निपटने के लिए ये 5 सुझाव दिये

मनमोहन सिंह ने संकट से निकलने के लिए मोदी सरकार को दिए तीन सुझाव - BBC News  हिंदी

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में कोविड-19 के हालात पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को पत्र लिखा और इस बात पर जोर दिया है कि महामारी से मुकाबले के लिए टीकाकरण को बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा. सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि केवल कुल संख्या को नहीं देखना चाहिए बल्कि कितनी फीसदी आबादी को टीका लग चुका है, इसे देखा जाना चाहिए. सिंह ने अपने पत्र में लिखा, ”कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में टीकाकरण बढ़ाने के प्रयास अहम होने चाहिए. हमें यह देखने में दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिए कि कितने लोगों को टीका लग चुका है, बल्कि आबादी के कितने प्रतिशत का टीकाकरण हो चुका है, यह महत्वपूर्ण है.” पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में अभी केवल आबादी के छोटे से हिस्से का ही टीकाकरण हुआ है. उन्होंने विश्वास जताया कि सही नीति के साथ हम इस दिशा में बेहतर तरीके से और बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं.

उन्होंने कहा, ”हमें महामारी से लड़ने के लिए बहुत सी चीजें करनी होंगी, लेकिन इस प्रयास का बड़ा हिस्सा टीकाकरण कार्यक्रम को मजबूत करना होना चाहिए.” सिंह ने अपने पत्र में अनेक सुझाव दिये. उन्होंने कहा कि वह सकारात्मक सहयोग की भावना से ये सुझाव दे रहे हैं, जिनमें वह हमेशा से भरोसा करते आये हैं. एक दिन पहले ही कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए जरूरी प्रयासों पर चर्चा हुई थी. सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को अगले छह महीने के टीकों की खुराक के ऑर्डर और आपूर्ति के बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि राज्यों को टीकों की आपूर्ति कैसे की जानी है. भारत में पिछले कुछ दिन से कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. पिछले चार दिन से तो रोजाना दो लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं.

अपने पत्र में, पूर्व पीएम ने मोदी को महामारी की ताजा लहर का बेहतर प्रबंधन करने के लिए पांच सुझाव दिए.

1) सबसे पहले, सरकार को वैक्सीन की संख्या के बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए जिसके लिए दवा कंपनियों को अगले 6 महीनों के भीतर वितरण के लिए आदेश दिए गए हैं.

2) सरकार को स्पष्ट संकेत देना चाहिए कि इन डोज को राज्यों में कैसे वितरित किया जाएगा. आपात स्थितियों के लिए केंद्र 10% को बनाए रख सकता है, लेकिन राज्यों को टीके की खुराक की संभावित उपलब्धता के बारे में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए.

3) राज्यों के पास कोरोना का टीका लगाने के लिए प्राथमिकता तय करने का अधिकार होना चाहिए ताकि 45 वर्ष की आयु से कम होने पर भी टीका लगाया जा सके. राज्य सरकारों को स्कूल के शिक्षक, बस / टैक्सी / ऑटो चालक, नगरपालिका कर्मचारी और वकीलों को टीका लगाने की छूट मिलनी चाहिए.

4) सरकार को टीका बना रही दवा कंपनियों को धन और अन्य सहायता प्रदान करके अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने में मदद करनी चाहिए. एक लाइसेंस के तहत अधिक कंपनियों को टीके बनाने में सक्षम करने के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग नियमों को लागू किया जाना चाहिए.

5) विश्वसनीय विदेशी प्राधिकरणों द्वारा अनुमोदित किए गए टीकों को भारत में बगैर परीक्षण किए परीक्षण करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

(सौजन्यः इकोनोमिक टाईम्स)

संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार 

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