राम नवमी 2021:रामनवमी आज, राम नाम के सुमिरन से होती है समस्त बाधाएं दूर

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हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि और पुष्य नक्षत्र पर रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ के महल में हुआ था। हिंदूओं के लिए रामनवमी का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन मंदिरों को सजाया संवारा  जाता है और भगवान राम और माता सीता की विधि विधान से पूजा-आराधना की जाती है। 

शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव जिनके ध्यान में सदैव लीन रहते हैं एवं जिस नाम की महिमा का महत्व देवी पार्वती से करते हैं और जिनकी सेवा करने के लिए भोलेनाथ ने श्री हनुमत रूप में अवतार लिया ऐसे प्रभु श्री राम का नाम लिखना और बोलना भवसागर से पार तो लगाता है ही साथ ही मनुष्य को समस्त प्रकार के दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करता है।

ऐसी है राम नाम की महिमा-

धर्म शास्त्रों के अनुसार राम का नाम अमोघ है। इसमें ऐसी शक्ति है जो इस संसार के तो क्या, परलोकों के संकट काटने में भी सक्षम है। माना गया है कि अंतिम समय में राम का नाम लेने वाला व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। भगवान श्री रामचंद्र जी का नाम इस कलयुग में कल्पवृक्ष अर्थात मनचाहा फल प्रदान करने एवं कल्याण करने वाला है। रामचरितमानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की बहुत महिमा गाई है।

“रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”

अर्थात राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है जिसे अगर सच्चे ह्रदय से जपा जाए तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं,मन को परम शांति मिलती है।

रामायण में है प्रसंग-

रामायण में राम नाम की महिमा को सिद्ध करता हुआ एक प्रसंग है कि जब रामसेतु के निर्माण का कार्य चल रहा था तब सारी वानर सेना अपने-अपने कार्य में लगी हुई थी। श्री रामजी यह सब देखते हुए सोचने लगे कि अगर मेरे नाम के पत्थर तैर रहे हैं तो मेरे फेंकने पर भी पत्थर तैरने चाहिए। मन में यही विचार करते हुए श्री राम जी ने जैसे ही एक पत्थर को उठाकर समुद्र में फेंका तो वह डूब गया। भगवान श्री राम आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। दूर खड़े हनुमानजी भी यह सब देख रहे थे। उन्होंने श्री राम के मन की बात जान ली और वे तुरंत ही प्रभु श्री राम के पास आए और बोले-‘हे प्रभु! आप किस दुविधा में हैं?’ इस पर श्री राम कहने लगे-‘हे हनुमान! मेरे नाम के पत्थर तैर रहे हैं लेकिन जब मैंने अपने हाथ से पत्थर फेंका तो वह डूब गया’। विनयपूर्वक हनुमान जी श्री राम से बोले-‘हे प्रभु! आपके नाम को धारणकर तो सभी अपने जीवन को पार लगा सकते हैं लेकिन जिसे आप स्वयं त्याग रहे हैं उसे डूबने से कोई कैसे बचा सकता है’। सभी धर्मशास्त्रों का मत है कि जीवन को बाधाओं से मुक्त करने के लिए जिसने भी’राम’ नाम का सहारा लिया उसे कभी भी निराशा का सामना नहीं करना पड़ा।

राम नाम लेखन से दूर होंगे कष्ट-

दुर्भाग्य को दूर करने के लिए नित्य प्रति राम का नाम लिखना चाहिए, जिसके पुण्य प्रताप से सौभाग्य का सृजन होने लगता है। शास्त्र कहते हैं कि राम नाम लिखने का चमत्कारिक लाभ भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था, ताकि वह अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त कर सकें। श्री कृष्ण ने उन्हें बताया -‘भगवान राम की उपासना करने वाला भक्त प्रतिदिन कम से कम 108 बार राम का नाम लिखें और उसकी पूजा करें। जब सवा लाख अथवा सवा करोड़ नाम लिखकर पूरे हो जाएं, तो ‘इदं विष्णुः’ सिद्ध एवं गुप्त मंत्र बोलते हुए घी, तिल व खीर से हवन कर श्री राम की पूजा करें तो शीघ्र ही उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं’।

रामनवमी से करें आरंभ-

जो भक्त इतने राम नाम लिखने में असमर्थ हैं वे अपनी सामर्थ्य के अनुसार रामनवमी से प्रारंभ कर नित्यप्रति लाल स्याही से राम नाम लिखकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। राम नाम लिखने में समय, स्थान की कोई पाबंदी नहीं होती है। मंगलवार से भी राम नाम लिखने की शुरुआत करने से बड़े ही शुभ व मंगलकारी परिणाम मिलते हैं। पदम पुराण के अनुसार सभी वेदों और सभी मंत्रों को एक बार नहीं अनेकों बार पढ़ने से वही फल की प्राप्ति होती है जो मात्र एक बार राम नाम के उच्चारण से होती है।

(पं. रामानंद झा)

संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार  

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