भारत में इस वर्ष गर्मी की फसलों की बुआई के क्षेत्र में वृद्धि हुई, पिछले वर्ष की तुलना में 21.5 प्रतिशत अधिक

देश में ग्रीष्मकालीन बुआई पिछले साल इस अवधि में हुई इस तरह की बुआई की तुलना में 21.5 प्रतिशत अधिक

नई दिल्लीः लगातार दूसरे वर्ष, राज्यों और केंद्र सरकार की गहन योजना एवं ठोस प्रयासों और किसानों की कड़ी मेहनत के चलते, ग्रीष्मकालीन फसलों के क्षेत्र में देश में बढ़ता रुझान दिखाई दिया। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे दालों, मोटे अनाजों, पोषक-अनाजों और तिलहन की वैज्ञानिक खेती के लिए नई पहलें की हैं।

23 अप्रैल 2021 तक देश में ग्रीष्मकालीन बुआई पिछले साल इस अवधि में हुई इस तरह की बुआई की तुलना में 21.5 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि के दौरान एक साल पहले 60.67 लाख हेक्टेयर से कुल ग्रीष्मकालीन फसल क्षेत्र बढ़कर 73.76 लाख हेक्टेयर हो गया।

दालों के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 23 अप्रैल 2021 तक, दलहन के तहत बोया जाने वाला क्षेत्र 6.45 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 12.75 लाख हेक्टेयर हो गया, जो लगभग शत-प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है। बढ़ा हुआ क्षेत्र मुख्य रूप से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों से होने की जानकारी है।

तिलहन का फसल क्षेत्र 9.03 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.45 लाख हेक्टेयर हो गया जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि के हैं।

Bumper sowing of summer crops, 100% increase in pulses, oilseeds and paddy 16 percent more

धान की रोपाई का क्षेत्र 33.82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 39.10 लाख हेक्टेयर हो गया है जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, बिहार आदि राज्यों में रबी चावल का फसल क्षेत्र बढ़ा है।

मई के पहले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन बुआई पूरी होने की संभावना है और फसलों के क्षेत्र में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। ग्रीष्मकालीन फसलें न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करती हैं। ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती से एक प्रमुख लाभ मिट्टी की सेहत में सुधार होना है जो विशेष रूप से दालों की फसल के माध्यम से होता है।

More area under summer crops over last year, procurement also increases

अधिकतर जलाशयों में जल स्तर को बढ़ाने से रबी की फसल के साथ-साथ गर्मियों की फसलों को सुरक्षा देने में मदद मिली। इससे उत्पादकता और उत्पादन में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।

भारत में मिट्टी में नमी और अन्य जलवायु परिस्थितियों की उपलब्धता के आधार पर ग्रीष्म कालीन फसलों को उगाने की एक पुरानी प्रथा रही है साथ ही इससे खाद्यान्न और पशुओं को खिलाने की अतिरिक्त घरेलू आवश्यकता को भी पूरा किया जाता है। कुछ राज्यों में किसान पानी की उपलब्धता के आधार पर ग्रीष्मकाल में धान की रोपाई करते हैं। वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके, किसानों ने बीज के लिए जरुरी उपचार के बाद गर्मियों की फसलों की बुवाई बीज ड्रिल के माध्यम से शुरू कर दी है।

Summer crop acreage sees 15.34% growth over last year, shows data | Business Standard News

किसानों द्वारा उच्च उपज वाली किस्मों की खेती शुरू कर दी गई है और उच्च उत्पादकता और आर्थिक लाभ के लिए फसलों की कटाई के बाद मूल्य संवर्धन तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।

जनवरी 2021 में एक रोड मैप विकसित करने के लिए जैद नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था जिसमें राज्यों के साथ इससे सम्बंधित चुनौतियों, संभावनाओं और रणनीतियों पर चर्चा की गई थी। इसके बाद, उत्पादन को अधिकतम करने के लिए, बीजों और उर्वरकों की समयबद्ध व्यवस्था के साथ-साथ कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की गई। तकनीकी सहायता के लिए, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के बीच करीबी समन्वय सुनिश्चित किया गया जो जिला और जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण हैं।

(साभारः पीआईबी)

संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार  

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