जब आपदा के समय किसानों का ऋण माफ हो सकता हैl

बेगूसराय :- 

  तब गरीब महिलाओं का माइक्रोफाइनांस कंपनियों का कर्ज़ क्यों नहीं माफ हो सकता है?: प्रदीप क्षत्रियमा इक्रोफाइनेंस कंपनियों के द्वारा अर्ध लॉकडाउन की स्थिति में लगातार गरीब अशिक्षित महिलाओं के ऊपर किस्त जमा करने का दबाव बनाए जाने पर रोक लगाने की मांग को लेकर फ्रेंड्स ऑफ आनंद के जिलाध्यक्ष प्रदीप क्षत्रीय ने वीर कुंवर सिंह चौक पर सिर मुंडवा कर गांधीगिरी कीl महिला सशक्तिकरण के दौर में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के मैनेजर के द्वारा महिलाओं की मानसिक प्रताड़ना पर अविलंब रोक लगाने की रखी मांगl अर्ध लॉक डाउन के उत्पन्न बेरोजगारी के कारण कृषि ऋण की तर्ज पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का कर्ज माफ करने की सरकार से रखी मांगl मांगों की पूर्ति नहीं होने पर दिया चरणबद्ध आंदोलन का अल्टीमेटमl

मौके पर प्रदीप क्षत्रिय ने कहा की अर्ध लॉक डाउन के कारण उत्पन्न बेरोजगारी से गरीबों के घर चूल्हा जलने तक की समस्या आ गई हैl 4:00 बजे जब दुकान चलने का समय होता है उस समय दुकान को बंद करा दिया जाता हैl छोटे-छोटे रेहड़ी पटरी वाले दुकानदार, सब्जी बेचने वाले दुकानदार, नाश्ता का सामान बेचने वाले दुकानदार बिल्कुल बेरोजगार हो गए हैंl लोग त्राहिमाम कर रहे हैंl लोग कमाने जाते हैंl कहीं काम नहीं मिलताl प्राइवेट नौकरियों से लगातार लोगों को निकाला जा रहा हैl ऐसी स्थिति में गरीब महिलाओं से माइक्रो फाइनेंस कंपनियां किस्त भरने का दबाव बनाती हैl उनसे चक्रवृद्धि ब्याज लेने की धमकी देती हैl कई कंपनियों के मैनेजर तो गरीब अशिक्षित महिलाओं को जेल तक भिजवाने की धमकी दे चुके हैंl माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के मैनेजर गुंडों को बुलाकर महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार भी करते हैंl माइक्रोफाइनेंस कंपनियों पर किस्त मांगने पर प्रतिबंध लगाया जाए, जिससे गरीब लोग अपना जीवन यापन ठीक से कर सकेl अकाल या बाढ़ की स्थिति में जिस तरह कृषि व अन्य ऋण को माफ किया जाता हैl उसी तरह इस विकट परिस्थिति में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के ऋण को भी माफ किया जाए।

Edited By :- savita maurya

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