देश के प्रधानमंत्री को पश्चिम बंगाल के प्रचार मंत्री से छुट्टी मिली

बेतिया। आज कोरोना संक्रमण से देश की स्थिति बहुत ही बदतर हो गई है । लाखों लोग मौत की आगोश में चले गए हैं । यहां श्मशान की कमी हो गई है । यानी श्मशान छोटे पड़ गए हैं । लोग लाशों को जलाने के लिए घंटो घंटो तक लाइन में लगे हुए हैं । सरकार मूक दर्शक रही है । ऑक्सीजन की अभाव और भी ज्यादा जानलेवा साबित हुआ है । हमारे देश के प्रधानमंत्री यानी पश्चिम बंगाल के प्रचार मंत्री ने अपना प्रथम कर्तव्य पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा को जिताना समझा और यही कारण है कि उन्होंने महा प्रलयंकारी संक्रमण से जीवन बचाने की जवाबदेही राज्य सरकारों को दे दिया । वह कहीं भी यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि देश के अंदर में ऑक्सीजन और दवाओं की कमी है । *यही हालत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जोगी जी का है । उत्तर प्रदेश में जो ऑक्सीजन की कमी की बात कर रहा है । उसके ऊपर केस करके प्रताड़ित किया जा रहा है और यह कहा जा रहा है कि देश में किसी प्रकार की इलाज में कमी नहीं है । बल्कि सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है । जबकि बड़े पैमाने पर जीवन रक्षक चीजों की काला बाजारी हो रही है। अप्रैल माह में 50,000 से ज्यादा लोग इस संक्रमण से मौत के शिकार हुए हैं । यह क्या साबित करता है । देश को देश के प्रधानमंत्री और भाजपा की राज्य सरकारें कहां ले जाना चाह रही है । लाखों व्यक्तियों के मरने के बाद भी वैक्सीन राज्य सरकारों को 150 रुपए के बदले ₹400 में दिया जा रहा है । रेमडेसीविर पर आज भी 12 % जीएसटी लिया जा रहा है । जो जीवन रक्षक दवा है । यह साबित करता है कि देश की जनता का इन्हें कोई चिंता नहीं है । *यह सर्व विदित है कि आज देश मात्र 2 गुजराती आदमी चला रहे हैं । अपने मनमाने तरीके से निर्णय ले रहे हैं । डेढ़ महीने पहले इस कोरोना संक्रमण से बचाने का जहां निर्णय लेना चाहिए था। वहां पश्चिम बंगाल के प्रचार मंत्री हमारे प्रधानमंत्री बने रहे ।

         यह सब देख सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार की सारे दलीलों को नकारते हुए केंद्र सरकार को लोगों की जान बचाने का सख्त निर्देश दिया। तो मजबूरी में केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने स्तर से कुछ निर्णय लेना शुरू किया । आज भी प्रधानमंत्री बहुत सशक्त रूप से इस बीमारी को नहीं ले रहे हैं। जबकि आस्ट्रेलिया ने भारत के लोगों को अपने देश में आने पर रोक लगा दिया है । अमेरिका ने सभी अमेरिकियों को भारत से अविलंब वापस आने का चेतावनी दे दिया है और दुनिया के सबसे संक्रमित देश के रूप में भारत बनकर सामने आया है । 

            ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को सुप्रीमकोर्ट ने कहा की *आप अंधे हो सकते हैं । लेकिन हम मूकदर्शक नहीं रह सकते ।* यह साबित करता है कि हमारा देश आज जनतांत्रिक देश नहीं रहा । जहां जनता के द्वारा जनता के लिए जनता की सरकार बनती है । जो जनता की सेवा करना ही अपना मुख्य मकसद समझती है । आज देश में फासीवादी सरकार को लोगों की चिंता नहीं है । 

           ऐसी स्थिति में हमें अपने संगठन के माध्यम से संक्रमित लोगों को बचाने के लिए अपने सारी शक्तियों को लगाने की जरूरत है । हम बिहार सरकार के द्वारा लगाए गए लॉकडाउन को आज लागू कराने को कतई पर्याप्त नहीं कह सकते। *बिहार में पानी सर से ऊपर गुजर चुका है । जब हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार से इस्तीफा दे देने तक कह दी ।* तो आनन फानन में लॉक डाउन का निर्णय लिया है । यहां भी ऑक्सीजन के अभाव में बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं । इसलिए लॉकडाउन लगाना मात्र इस संक्रमण से बचने का उपाय नहीं है ।

        बल्कि आज जरूरत है कि देश के गरीबों , देश के मजदूरों , रोज कमाने और खाने वाले परिवारों को साढ़े सात हजार रुपए अनुदान देने , प्रति व्यक्ति को 10 किलो प्रति महीने मुफ्त राशन की व्यवस्था करने , बाहर से आ रहे मजदूरों को बिहार में लाने की मुफ्त व्यवस्था और उनको रोजगार देने की गारंटी करने , मनरेगा के मजदूरों को रोजगार देने की गारंटी और जीवन रक्षक सारी दवाओं मुफ्त में लोगों तक पहुंचाने की गारंटी करके ही लोगों को बचाया जा सकता है।

Edited By :- savita maurya

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